International Yoga Day 2024: भारत के इन मशहूर योग गुरुओं ने दिलाई योग को नई पहचान, जानिए कौन हैं वो 

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योग भारत द्वारा दुनिया को दिया गया एक तोहफा है। योग सिर्फ फिट रहने का एक माध्यम ही नहीं है बल्कि ये भारत की एक प्राचीन परंपरा भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सफल प्रयास की वजह से हर साल 21 जून को योग दिवस मनाया जाने लगा है। मौजूदा समय में खराब लाइफस्टाइल की वजह से जिस तरह लोगों की सेहत खराब हो रही है, इसको देखकर ये साफ पता लगता है कि लोगों को योग के लिए जागरूक करना कितना जरूरी है। योग एक प्राचीन परंपरा है जिसके माध्यम से आप फिट रह सकते हैं।  भारत में इसका इतिहास 5000 साल से भी पुराना है. कई मान्यताओं के अनुसार आदियोगी शिव ने इसकी शुरूआत की थी। इसके बाद हमारे भारत के कुछ महान आचार्यों ने इस परंपरा को अबतक जीवित रखा है। योग की इस प्राचीन परंपरा को जीवित रखने में योग गुरूओं ने अहम भूमिका निभाई है। 


21 जून को दुनिया भर में इंटरनेशनल योग डे मनाया जाता है। इस मौके पर कई योग गुरूओं को याद किया जाता है। हर साल योग दिवस को एक खास उद्देश्य के साथ मनाया जाता है। इसके साथ साथ हर साल इसे एक थीम तय की जाती है। योग से आपकी ओवरऑल हेल्थ तो सही रहती ही है इसके साथ इससे आप मेंटली भी फिट रहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर आज हम आपको कुछ ऐसे योग गुरूओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने योग के माध्यम से देश का नाम रौशन किया है।

m परमहंस योगानंद
परमहंस योगानंद भारत के विशिष्ट गुरूओं में से एक थे। इन्होंने ध्यान और क्रिया योग की शिक्षा को देश विदेश में फैलाया था। उन्होंने एक प्रसिद्ध किताब ‘ ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी भी लिखी थी ‘. परमहंस महाराज का जन्म उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में एक बंगाली परिवार में हुआ था। 

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बीकेएस अयंगर
बीकेएस अयंगर का जन्म 14 दिसंबर 1918 को कर्नाटक के वेल्लूर नामक स्थान पर एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। ‘अयंगर योग’ के नाम से उनका एक योग स्कूल भी है। इस योग स्कूल के जरिए उन्होंने देश विदेश के लोगों को योग के लिए जागरूक किया था। 16 वर्ष की उम्र से उन्होंने योग की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी। साल 2004 में उनका नाम टाइम मैग्जीन की 100 प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में भी आया था। इसके अलावा लाइट ऑन योग के नाम से उन्होंने एक किताब भी लिखी है जिसे योग का बाइबल भी कहा जाता है। 

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तिरूमलाई कृष्णमआचार्य
तिरूमलाई कृष्णमआचार्य को योग के पिता भी कहा जाता है। इसके साथ साथ ये एक शिक्षक और चिकित्सक भी थे। इन्होंने ही हठ योग की परंपरा को पुनर्जीवित किया था। इनका जन्म 18 नवंबर 1888 को कर्नाटक में हुआ था। इन्होंने विनयसा योग विकसित किया था जिसे सांस और गति को रोककर किया जाता है। 

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स्वामी विवेकानंद
स्वामी वविवेकानंद ने देश और दुनिया को योग के महत्व से रूबरू करवाया था। इन्होंने योग की विशिष्ट परंपराओं को दुनिया के सामने रखा था। इन्होंने राजयोग, कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग जैसी योग पद्धतियों के जरिए युवाओं में योग के लिए समर्पण की भावना जागरूक की। 

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