एचएएल से अपग्रेड होने के बाद सुखोई-30 'भारतीय जेट' हो जाएगा : वायु सेना प्रमुख
- सरकार ने मंजूर किये 64 हजार करोड़, बदले जाएंगे राडार, सेंसर और एवियोनिक्स
- वायु सेना प्रमुख ने कहा- भविष्य के युद्ध आयातित हथियारों से नहीं लड़े जा सकते
नई दिल्ली, 15 दिसंबर (हि.स.)। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से अपग्रेड होने के बाद लड़ाकू सुखोई-30 रूसी जेट नहीं रहेगा बल्कि 78 फीसदी स्वदेशी हो जायेगा। पहले चरण में 84 सुखोई-30 को बड़े पैमाने पर अपग्रेड किया जाएगा, ताकि आने वाले वर्षों में इसे अन्य भारतीय निर्मित विमानों के साथ काम करने के लिए 4.5 से अगली पीढ़ी का जेट बनाया जा सके। सरकार ने इसके लिए 64 हजार करोड़ रुपये मंजूर किये हैं, जिससे राडार, मिसाइल, सेंसर और एवियोनिक्स बदला जाना है।
केंद्र सरकार ने लम्बे इंतजार के बाद 30 नवम्बर को 2.23 लाख करोड़ रुपये के विभिन्न पूंजीगत अधिग्रहण प्रस्तावों के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) के संबंध में मंजूरी दी थी। रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की इसी बैठक में रक्षा मंत्रालय ने एचएएल से स्वदेशी तौर पर सुखोई-30 एमकेआई विमान को अपग्रेड करने के लिए मंजूरी दी है। मंजूर किये गए 64 हजार करोड़ रुपये से 84 लड़ाकू सुखोई-30 विमानों को अपग्रेड किया जाना है। सुखोई की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए इसमें ऐसा राडार, नये इंजन, आईआरएसटी सेंसर अगली पीढ़ी के आरडब्ल्यूआर, एडवांस जैमर, वैमानिकी, नए ईडब्ल्यू सूट, डीएफसीसी, भारतीय मिसाइलें और बम लगाए जाने हैं।
वायु सेना प्रमुख वीआर चौधरी ने एक समारोह में कहा कि एचएएल में अपग्रेड होने के बाद सुखोई-30 अब रूसी जेट नहीं रहेगा, बल्कि 78 फीसदी स्वदेशीकरण होने के बाद भारतीय जेट में बदल जायेगा। वायु सेना ने सुखोई लड़ाकू विमानों को उन्नत करने का काम शुरू कर दिया है। चौधरी ने कहा कि वायु सेना के मिराज-2000, सुखोई-30 एमकेआई और मिग 29 विमान 30 से 35 साल पुराने हैं। इनकी कुछ तकनीक पुरानी हो रही है। यह तीसरी पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं, इसलिए इन्हें पांचवीं पीढ़ी या नवीनतम तकनीक के साथ अपग्रेड करना जरूरी हो गया है। फिलहाल भारतीय वायुसेना ने खुद ही मिराज-2000 और मिग-29 लड़ाकू बेड़े को उन्नत किया है।
उन्होंने रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास संघर्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि इनसे सबक लिया जा सकता है कि भविष्य के युद्ध आयातित हथियारों से नहीं लड़े जा सकते। हमें अपनी हथियार प्रणालियों, विशेषकर वायु प्रक्षेपण रक्षा को स्वदेशी बनाना होगा। हमने ड्रोन का मुकाबला करने के लिए स्वदेशी वायु रक्षा प्रणालियों को शामिल किया है। हालांकि, हाइपरसोनिक खतरे का मुकाबला करने के लिए हमारे पास अभी भी प्रभावी तकनीक नहीं है लेकिन हमने ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए स्वदेशी हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर 'प्रचंड' को शामिल किया है। निगरानी क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए हमारे पास तीन एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम हैं, जिन्हें 'नेत्रा' सिस्टम नाम दिया गया है।
इसके अलावा एचएएल निकट भविष्य में मिड लाइफ रिफिट और अपग्रेड प्रोग्राम के तहत पुराने सुखोई-30 के इंजनों को बदलने के लिए नए एएल-31एफपी इंजन का निर्माण करने जा रहा है। एचएएल मिग-29 यूपीजी के पुराने इंजन को बदलने के लिए नए आरडी-33 इंजन का भी निर्माण करेगा। सुखोई विमानों के अपग्रेडशन से भारतीय वायुसेना को भारी ताकत मिलेगी और विदेशी मूल के उपकरण निर्माताओं (ओईएम) पर निर्भरता भी काफी हद तक कम हो जाएगी। वायु सेना ने हाल ही में अपनी स्क्वाड्रन ताकत बढ़ाने की दिशा में भारतीय वायु सेना ने 12 उन्नत सुखोई-30 लड़ाकू जेट खरीदने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को एक निविदा जारी की है, जिसका निर्माण रूसी मूल उपकरण निर्माताओं की साझेदारी में भारत में किया जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/दधिबल
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