स्वदेशी एलसीए 'तेजस' एमके-1ए फाइटर जेट इसी माह भरेगा पहली उड़ान

स्वदेशी एलसीए 'तेजस' एमके-1ए फाइटर जेट इसी माह भरेगा पहली उड़ान
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स्वदेशी एलसीए 'तेजस' एमके-1ए फाइटर जेट इसी माह भरेगा पहली उड़ान

- लड़ाकू विमानों का पहला बैच वायु सेना को देने के लिए एचएएल पूरी तरह तैयार

- भारत-पाकिस्तान सीमा पर बनेगी एलसीए तेजस मार्क-1ए की पहली स्क्वाड्रन

- एचएएल आठ वर्षों में करेगा 4.5 पीढ़ी के 180 स्वदेशी विमानों का उत्पादन

नई दिल्ली, 06 फरवरी (हि.स.)। भारतीय वायु सेना इस महीने तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमानों का पहला बैच प्राप्त करने के लिए पूरी तरह तैयार है, जो स्वदेशी एलसीए तेजस का एक बेहतर संस्करण है। रक्षा विमानन क्षेत्र में भारत का स्वर्ण युग इस महीने 4.5 पीढ़ी के इस फाइटर जेट की पहली उड़ान के साथ शुरू होने जा रहा है। तेजस की पहली स्क्वाड्रन 01 अप्रैल तक भारत-पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर राजस्थान के नाल हवाई अड्डे पर बीकानेर एयरबेस में बनाने की तैयारी है। भारतीय वायु सेना के लिए आठ वर्षों में कुल 180 तेजस विमानों का उत्पादन किया जाना है।

रक्षा मंत्रालय ने 83 एलसीए तेजस एमके-1ए फाइटर जेट के लिए 03 फरवरी, 2021 को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ डील फाइनल की थी। इसी सौदे का पहला ट्विन-सीटर ट्रेनर पिछले साल 04 अक्टूबर को एचएएल ने वायुसेना को सौंप दिया था। वायु सेना की जरूरत को देखते हुए केंद्र सरकार ने लंबे इंतजार के बाद पिछले साल 30 नवंबर को 97 तेजस एमके-1ए खरीदने को मंजूरी दे दी है। एचएएल के साथ अतिरिक्त 97 तेजस एमके-1ए के सौदे पर हस्ताक्षर होने के बाद कुल 180 विमानों का उत्पादन किया जाना है। एचएएल ने 83 विमानों का ऑर्डर मिलने पर प्रति वर्ष 16 जेट तैयार करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन 97 विमानों का और ऑर्डर मिलने पर प्रति वर्ष 32 जेट का उत्पादन करने की तैयारी है।

वायु सेना की जरूरतों को देखते हुए तैयार किये जा रहे एलसीए तेजस एमके-1ए फाइटर जेट में एवियोनिक्स, हथियार और रखरखाव में 43 तरह के सुधार किये जाने का खुलासा किया गया है। एचएएल के मुताबिक अब तेजस एमके-1ए में अत्याधुनिक एईएसए रडार होगा, जो तेजस एमके-1 के इजरायली ईएल/एम-2032 राडार से बेहतर होगा। पहले बैच में इजरायली ईएल/एम-2052 राडार होगा, जबकि बाकी में स्वदेशी 'उत्तम' राडार होगा। तेजस एमके-1ए में इजरायली ईएलएल-8222 जैमर पॉड होगा, जो बीवीआर या एसएएम मिसाइलों के राडार सिग्नल को बाधित करेगा। आधुनिक वायु युद्ध के लिहाज से यह सुधार काफी महत्वपूर्ण है।

तेजस एमके-1ए में एक नया डिजिटल फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर (डीएफसीसी) होगा, जो इसकी चपलता और कंप्यूटिंग शक्ति को बढ़ावा देगा। नया डीएफसीसी पावरवीसी आर्किटेक्चर का उपयोग करेगा, जिससे इसे हवा में ज्यादा समय तक बनाए रखना आसान हो जाएगा। विमान में लगा राडार चेतावनी रिसीवर (आरडब्ल्यूआर) दुश्मन के विमानों को ट्रैक और पहचान करेगा। यह रिसीवर पायलट को आने वाली मिसाइलों या रडार लॉक के बारे में चेतावनी देगा और दुश्मन के राडार को जाम करने के लिए सेल्फ-प्रोटेक्शन जैमर को सक्रिय करेगा।

तेजस एमके-1ए में युद्ध के लिए नजदीकी, बीवीआर और लंबी दूरी की बीवीआर बेहतर मिसाइलें होंगी। इसमें हवा से जमीन पर हमला करने के लिए 500 किलोग्राम एलजीबी और बिना गाइड वाले बम भी होंगे। तेजस एमके-1ए की रखरखाव क्षमता में सुधार करने के लिहाज से लाइन रिप्लेसेबल यूनिट्स (एलआरयू) और नए एलआरयू को लगाया गया है। भारतीय वायुसेना की मांग पर तेजस एमके-1ए को स्मार्ट मल्टी-फंक्शन डिस्प्ले, डिजिटल मानचित्र जनरेटर, बेहतर रेडियो अल्टीमीटर और अंगद इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट से लैस किया गया है। इन विशेषताओं के चलते तेजस एमके-1ए लड़ाकू जेट प्रौद्योगिकी में भारत की आत्मनिर्भरता के लिए महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/पवन

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