'इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग' में होगी हिंद-प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियों पर चर्चा
- मानेकशा सेंटर में नौसेना का तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 15 नवंबर से होगा
- इंडो-पैसिफिक समुद्री व्यापार और कनेक्टिविटी पर छह पेशेवर सत्रों में होगा मंथन
नई दिल्ली, 14 नवंबर (हि.स.)। हिंद-प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए बुधवार से नई दिल्ली के मानेकशा सेंटर में भारतीय नौसेना का वार्षिक शीर्ष स्तरीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शुरू होगा। पहले दिन इस ‘इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग’ (आईपीआरडी) में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का मुख्य भाषण होगा। तीन दिवसीय इस सम्मेलन को केंद्रीय मंत्रियों और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के विशेष संबोधनों की शृंखला के साथ विचार-विमर्श और व्यापक मार्गदर्शन देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
‘इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग’ से पहले भारतीय नौसेना ने 29-31 अक्टूबर तक ‘गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव’ आयोजित किया था। आखिरी दिन नौसेना अध्यक्ष एडमिरल आर. हरि कुमार ने भरोसा जताया था कि इस कॉन्क्लेव के नतीजे जमीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई में बदल सकेंगे। इस कॉन्क्लेव ने महासागरों को मुक्त और खुला रखने की दिशा में साझा प्रतिक्रियाओं के विकल्प तलाशने का मौका दिया। इसी क्रम में आईपीआरडी रणनीतिक स्तर पर नौसेना की अंतरराष्ट्रीय भागीदारी की प्रमुख अभिव्यक्ति है, जिसमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र में 'समग्र' समुद्री सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा की जानी है।
आईपीआरडी के पहले दो संस्करण क्रमशः 2018 और 2019 में नई दिल्ली में हुए थे। आईपीआरडी 2020 को कोरोना काल की वजह से रद्द कर दिया गया था। आईपीआरडी का तीसरा संस्करण 2021 में ऑनलाइन मोड में आयोजित किया गया, जबकि चौथा संस्करण 2022 में नई दिल्ली में हुआ था। अब पांचवें आईपीआरडी के प्रत्येक संस्करण का मुख्य आयोजक नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन (एनएमएफ) है, जिसका उद्देश्य प्रमुख हितधारकों के बीच उन्मुख बातचीत करके इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के भीतर विभिन्न समुद्री रुझानों, क्षेत्रीय अवसरों और वहां उत्पन्न होने वाली चुनौतियों की समीक्षा करना और आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है।
आईपीआरडी के इस संस्करण में तीन दिनों के दौरान विश्व स्तर के विशेषज्ञों और प्रख्यात वक्ताओं के माध्यम से छह पेशेवर सत्रों में इंडो-पैसिफिक समुद्री व्यापार और कनेक्टिविटी पर भू-राजनीतिक प्रभावों का पता लगाया जाएगा। इन छह पेशेवर सत्रों को समुद्री कनेक्टिविटी के नोड, भारत-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री कनेक्टिविटी पर चीन का प्रभाव, नौवहन और व्यापार के माध्यम से समुद्री कनेक्टिविटी, नौवहन और व्यापार के माध्यम से समुद्री कनेक्टिविटी (भाग 2), इंडो-पैसिफिक समुद्री व्यापार और शिपिंग की सुरक्षा और संरक्षा में निजी उद्योग और नियम-आधारित, सुरक्षित और सुरक्षित इंडो-पैसिफिक में बांटा गया है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार भारत सरकार, भारतीय रक्षा उद्योग, भारतीय शिक्षा जगत के व्यवसायी और डोमेन-विशेषज्ञ भी सम्मेलन में मौजूद रहेंगे। इसमें 16 देशों के प्रतिष्ठित वक्ताओं के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय भागीदारी होगी, जिनसे इस विषय पर विविध क्षेत्रीय दृष्टिकोण पेश करने की उम्मीद है। साथ ही नई दिल्ली में विभिन्न दूतावासों और उच्च आयोगों के प्रतिनिधि भी सम्मेलन में शामिल होंगे। पिछले संस्करणों की तरह इस बार भी छात्र समुदाय, विद्वानों, प्रतिष्ठित नागरिकों, सैन्य अधिकारियों, राजनयिक कोर के सदस्यों और विदेश के थिंक-टैंकों की भागीदारी इस आयोजन में उत्साह बढ़ाएगी।
हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/पवन
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