भारतीय संस्कृति कराती है अनेकता में एकता का बोध : डा. शरद रेणु

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भारतीय संस्कृति कराती है अनेकता में एकता का बोध : डा. शरद रेणु


भारतीय संस्कृति कराती है अनेकता में एकता का बोध : डा. शरद रेणु


भारतीय संस्कृति कराती है अनेकता में एकता का बोध : डा. शरद रेणु


लखनऊ, 29 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्र सेविका समिति लखनऊ विभाग की ओर से सरस्वती कुंज निरालानगर में रविवार को विजयादशमी उत्सव मनाया गया। उत्सव में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख डा. शरद रेणु ने कहा कि भारतीय संस्कृति अनेकता में एकता का बोध कराती है। हिन्दू संस्कृति का संरक्षण करना हम सबकी जिम्मेदारी है।

डा. शरद रेणु ने कहा कि अखण्ड भारत की जो संकल्पना है हम सभी बहनों को समझना आवश्यक है। भारत कैसे खंड खण्ड हुआ यह हमें जानना आवश्यक है।

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मनकामेश्वर मंदिर की महंत दिव्या गिरि ने कहा कि मातृ शक्ति द्वारा ही एक परिवार का निर्माण होता है। परिवार से राष्ट्र का और मातृ शक्ति द्वारा भविष्य के राष्ट्र का निर्माण हो सकता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए युवा संसद 2021 की विजेता मुदिता ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को सशक्त होना है। उन्होंने युवा पीढ़ी का आह्वान किया कि हम सब आगे आये और संकल्प लें कि एक नए युग का निर्माण करेंगे और स्त्री ही देश की आधार शक्ति है।

कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन और शस्त्र पूजन के साथ किया गया। 1936 में विजयादशमी के पावन पर्व के दिन ही राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना हुई थी। इस अवसर पर समिति की बहनों ने योगासन, योग व्यायाम, दंड व यष्टि का भी प्रदर्शन किया।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन/राजेश

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