आईसीजी के जहाज 'वैभव' और 'अभिराज' मालदीव पहुंचे, होगी पेशेवर बातचीत 

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आईसीजी के जहाज 'वैभव' और 'अभिराज' मालदीव पहुंचे, होगी पेशेवर बातचीत 


- दोनों जहाजों की यात्रा भारत और मालदीव के बीच समुद्री सहयोग को मजबूत करने का प्रयास

नई दिल्ली, 16 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) के अपतटीय गश्ती पोत 'वैभव' और तीव्र गश्ती पोत 'अभिराज' सोमवार को मालदीव के माले में बंदरगाह का दौरा किया, जो हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में उनकी चल रही विदेशी तैनाती का हिस्सा है। दोनों जहाजों की यह यात्रा भारत और मालदीव के बीच समुद्री सहयोग को मजबूत करने और क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण प्रयास है।

भारतीय तटरक्षक बल के कमांडर अमित उनियाल के मुताबिक मालदीव में चार दिवसीय प्रवास के दौरान आईसीजीएस वैभव और आईसीजीएस अभिराज के चालक दल मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल तटरक्षक बल (एमएनडीएफ सीजी) के साथ कई पेशेवर बातचीत में शामिल होंगे। फोकस क्षेत्रों में समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया (एमपीआर), समुद्री खोज और बचाव (एम-एसएआर) और समुद्री कानून प्रवर्तन शामिल होंगे। निर्धारित गतिविधियों में क्रॉस डेक प्रशिक्षण, सहयोगी चर्चाएं और मैत्रीपूर्ण खेल कार्यक्रम होंगे, जो समुद्री सुरक्षा और सुरक्षा में सौहार्द और साझा उद्देश्यों की भावना को दर्शाते हैं।

इसके अतिरिक्त आईसीजीएस वैभव पर सवार राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के जवान स्थानीय युवा संगठनों के सहयोग से पर्यावरण संरक्षण जागरुकता कार्यक्रम में भाग लेंगे। यह पहल भारत सरकार के 'पुनीत सागर अभियान' का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के बारे में जागरुकता बढ़ाना है। यह तैनाती द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिए भारतीय तटरक्षक बल की प्रतिबद्धता के साथ क्षेत्रीय समुद्री एजेंसियों के साथ सहयोग के महत्व को दर्शाती है। इन जहाजों को कोलंबो और गैले के श्रीलंकाई बंदरगाहों का भी दौरा करना है, जहां वे अपने समकक्षों के साथ पेशेवर बातचीत करेंगे।

उन्होंने बताया कि यह मिशन आईओआर देशों के साथ मधुर संबंधों को बढ़ावा देने और समुद्री सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता पर जोर देता है, जो क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास ढांचे में भारत के समुद्री दृष्टिकोण के साथ संरेखित है। यह यात्रा न केवल भारत की जहाज निर्माण क्षमताओं को प्रदर्शित करती है, बल्कि क्षेत्र में पर्यावरण स्थिरता और समुद्र की सुरक्षा के लिए राष्ट्र की प्रतिबद्धता को भी पुष्ट करती है।---------------------

हिन्दुस्थान समाचार / सुनीत निगम

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