अब आसमान में जमेगी अमेरिकी 'अपाचे' और स्वदेशी 'प्रचंड' की लड़ाकू जोड़ी

अब आसमान में जमेगी अमेरिकी 'अपाचे' और स्वदेशी 'प्रचंड' की लड़ाकू जोड़ी
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अब आसमान में जमेगी अमेरिकी 'अपाचे' और स्वदेशी 'प्रचंड' की लड़ाकू जोड़ी

- भारतीय सेना 15 मार्च को जोधपुर में बनाएगी अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टरों की पहली स्क्वाड्रन

- जोधपुर में पिछले साल ही स्वदेशी ‘प्रचंड’ की पहली स्क्वाड्रन स्थापित कर चुकी है वायु सेना

नई दिल्ली, 14 मार्च (हि.स.)। अब अमेरिकी ‘अपाचे’ और स्वदेशी ‘प्रचंड’ लड़ाकू हेलिकॉप्टरों की जुगल जोड़ी आसमान में नया गुल खिलाएगी। भारतीय वायु सेना पहले ही स्वदेशी 'प्रचंड' की पहली स्क्वाड्रन जोधपुर में स्थापित कर चुकी है लेकिन अब भारतीय सेना की आर्मी एविएशन कोर भी 15 मार्च को जोधपुर में अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टरों का अपना पहला स्क्वाड्रन स्थापित करने जा रही है। इस यूनिट के पहले हेलिकॉप्टर इस साल मई में अमेरिका से आने की उम्मीद है। भारतीय सेना ने अमेरिका से छह अपाचे हेलिकॉप्टर हासिल करने के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।

भारतीय वायु सेना पहले ही अमेरिकी कंपनी बोइंग के अपाचे अटैक हेलिकॉप्टरों पर भरोसा करती है, इसीलिए वायु सेना ने सितम्बर, 2015 में अमेरिकी सरकार और बोइंग लिमिटेड के साथ 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये थे। वायु सेना ने पठानकोट एयरबेस पर सितम्बर, 2019 में आठ लड़ाकू अपाचे हेलिकॉप्टर तैनात किए हैं। यह शक्तिशाली और भारी हथियार ले जाने में सक्षम होने के बावजूद वजन में भारी होने की वजह से उच्च ऊंचाई वाले इलाकों में पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाते हैं। इसीलिए हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टरों की जरूरत को देखते हुए वायु सेना ने पिछले साल जोधपुर में मल्टी रोल वाले हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टर ‘प्रचंड’ की पहली ‘धनुष’ स्क्वाड्रन बनाई थी।

इसी तरह रक्षा मंत्रालय ने 2017 में 4168 करोड़ रुपये कीमत पर सेना के लिए हथियारों के साथ छह अपाचे हेलिकॉप्टरों की खरीद को मंजूरी दी थी। भारतीय सेना की आर्मी एविएशन कोर को इस साल मई में अमेरिका से अपाचे हेलिकॉप्टर मिलने की उम्मीद है लेकिन सेना 15 मार्च को जोधपुर में अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टरों का अपना पहला स्क्वाड्रन स्थापित करने जा रही है। इस स्क्वाड्रन के नाम का खुलासा नहीं किया गया है लेकिन अमेरिका से मिलने वाले पहले बैच के हेलिकॉप्टरों को जोधपुर की इसी स्क्वाड्रन में तैनात किया जायेगा। सेना के लिए अपाचे को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि दुश्मन की किलेबंदी को भेदकर और उसकी सीमा में घुसकर हमला करने में सक्षम है।

पाकिस्तानी सीमा पर पश्चिमी सेक्टर के जोधपुर में वायु सेना की स्वदेशी ‘प्रचंड’ की स्क्वाड्रन और यहीं पर भारतीय सेना की अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टरों की स्क्वाड्रन मिलकर काम करेगी। दोनों स्क्वाड्रन एक ही जगह पर होने से लड़ाकू अमेरिकी ‘अपाचे’ और स्वदेशी ‘प्रचंड’ की जुगल जोड़ी आसमान में नया गुल खिलाएगी। अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टर फ्लाइंग रेंज 550 किलोमीटर में 16 एंटी टैंक मिसाइल दागकर उसके परखच्चे उड़ा सकता है। इसे दुश्मन पर बाज की तरह हमला करके सुरक्षित निकल जाने के लिए बनाया गया है। हेलिकॉप्टर के नीचे लगी बंदूकों से 30 एमएम की 1,200 गोलियां एक बार में भरी जा सकती हैं। अपाचे एक बार में 2:45 घंटे तक उड़ान भर सकता है।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत निगम 

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