पर्यटकों के लिए खोली गयी भारत-नेपाल सीमा

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पर्यटकों के लिए खोली गयी भारत-नेपाल सीमा


- गौरीफंटा-धनगढ़ी सीमा के खुलने से भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक सम्बंधों को मिलेगी मजबूती

लखनऊ, 10 सितम्बर (हि.स.)। भारत और नेपाल के मध्य अंतरराष्ट्रीय सीमा को पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं के आवागमन के लिए खोल दिया गया है। यह अंतरराष्ट्रीय सीमा कोविड-19 के प्रकोप के दौरान बंद कर दी गयी थी। पर्यटन के दृष्टिकोण से यह सीमा भारत और नेपाल के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इसके खुलने से पर्यटक भारत तथा नेपाल के प्राकृतिक एवं रमणीक स्थलों का भ्रमण कर सकेंगे। इससे दोनों देशों को लाभ मिलेगा। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक सम्बंधों को मजबूती मिलेगी। यह जानकारी प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी।

जयवीर सिंह ने बताया कि भारत नेपाल के बीच स्थित धनगढ़ी और गौरीफंटा क्रासिंग दो वर्षों से बंद थी। गौरीफंटा-धनगढ़ी सीमा को फिर से खोला जाना प्रकृति प्रेमियों के लिए विशेष महत्व है। यह मार्ग विभिन्न परिदृश्यों तथा विविध वन्य जीवन तक सीधी पहुंच प्रदान करता है। उप्र के लखीमपुर जनपद में स्थित दुधवा राष्ट्रीय उद्यान संरक्षित वन क्षेत्र है। घने जंगलों से घिरा यह इलाका रॉयल बंगाल टाइगर के लिए सबसे उपयुक्त क्षेत्र है। हर साल बड़ी संख्या में वन्य जीव प्रेमी यहां पहुंचते हैं। यह राष्ट्रीय उद्यान नेपाल के धनगढ़ी शहर से लगा हुआ है।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि भारत की ओर से नेपाल जाने के इच्छुक पर्यटकों को बर्दिया राष्ट्रीय उद्यान खासा आकर्षित करता है। नेपाल की सैर पर जाने वालों को बर्दिया उद्यान में बाघों और एक सींग वाले गैंडों की वृहद आबादी देखने को मिलती है। शुक्ला फांटा राष्ट्रीय पार्क लुभावने दृश्य और जैव विविधता का जीता-जागता उदाहरण है। यह एशिया का दूसरा सबसे बड़ा घास का मैदान है। वहीं, नेपाल में चितवन राष्ट्रीय उद्यान, जिसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी है, जाे पर्यटकों की पहली पसंद है। यह घने जंगलों, वन्यजीव सफारी और अद्भुत जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। लम्बे समय बाद भारत और नेपाल के पर्यटकों को एक-दूसरे देश में फिर से जाने और घूमने का अवसर मिलेगा। नेपाल में मौजूद पर्यटन स्थल न केवल प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग समान है, बल्कि दोनों (भारत और नेपाल) देशों के बीच आध्यात्मिक साधकों के लिए एक प्रवेश द्वार भी है।

जयवीर सिंह ने बताया कि गौरीफंटा-धनगढ़ी अंतरराष्ट्रीय सीमा का एक बार फिर खुलना बौद्ध पर्यटकों के लिए खुशखबरी है। यह मार्ग नेपाल से आने वाले पर्यटकों को उत्तर प्रदेश के विभिन्न वन्य जीव अभ्यारण्यों तथा सारनाथ, कुशीनगर जैसे पवित्र बौद्ध स्थलों की यात्रा का अवसर प्रदान करता है। वहीं, बौद्ध सर्किट के अंतर्गत आने वाले डेस्टिनेशन की रोमांचक यात्रा को प्रेरित करता है। इस द्विपक्षीय प्रवेश द्वार से निकट भविष्य में भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक सम्बंधों को मजबूती मिलेगी। दोनों देशों के आपसी सम्बंधों में प्रगाढ़ता के साथ प्राकृतिक और ऐतिहासिक विरासत की गहरी समझ विकसित होने की उम्मीद है।

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हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन यादव

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