मानव शरीर और धरती के स्वास्थ्य के लिए भी भारत अब प्राकृतिक खेती पर बल दे रहा है : शिवराज सिंह चाैहान
नई दिल्ली, 03 अगस्त (हि.स.)। राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केन्द्र (एनएएससी) परिसर में कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीएई) में शनिवार काे केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चाैहान ने अपना संबाेधन दिया। इस माैके पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री की चिंताएं हैं कि केमिकल व फर्टिलाइजर के अत्यधिक उपयाेग के कारण उत्पादित फल एवं सब्जियां के कुप्रभाव शरीर पर पड़ रहे हैं और लगातार मिट्टी की सेहत खराब हाे रही है। इसलिए उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ भारत की चिंता भी रही है कि मानव शरीर और मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित उत्पादन हो, भारत अब प्राकृतिक खेती पर बल दे रहा है।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र माेदी के नेतृत्व में आज भारत की कृषि विकास दर दुनिया में सबसे ज्यादा बनी हुई है। अब हमें पूरी तरह से भूख व कुपाेषण काे समाप्त करना है। पर्यावरण में आए बदलाव के खतराें से निपटना है। बढ़ते हुए तापमान के कारण घटता हुआ उत्पादन गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। आनेवाली पीढ़ियाें की भी भविष्य की चिंता हमकाे करना है। इनके समाधान में कृषि अर्थशास्त्री आज से जुटेंगे।
इस माैके पर केंद्रीय मंत्री ने विश्वास जताया कि विज्ञानियाें के इस सम्मेलन में चिंता मनन से जाे निष्कर्ष निकलकर आएगा। वह कृषि के लिए बहुत उपयाेगी साबित हाेंगे। उन्हाेंने कहा कि ‘वसुधैव कुटुंबकम‘ भारत की परंपरा रही है। सारा विश्व एक परिवार है। प्रधानमंत्री की चिंता सिर्फ भारत के लिए नहीं है बल्कि पूरे विश्व के कल्याणा के लिए है। इसलिए भारत की प्रतिबद्धता है कि हम ना सिर्फ खाद्य सुरक्षा काे मजबूत करें बल्कि इस धरती काे आनेवाली पीढ़ियाें के लिए छाेड़ें। इस माैके पर उन्हाेंने आश्वस्त किया कि इस दिशा में कृषि विभाग काेई काेर कसर नहीं छाेड़ेगा।
हिन्दुस्थान समाचार
हिन्दुस्थान समाचार / बिरंचि सिंह / रामानुज
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