ब्रिक्स सम्मेलन में भारत ने गाजा में निर्दोष नागरिकों की हत्या की कड़ी निंदा की
नई दिल्ली, 21 नवंबर (हि.स.)। भारत ने गाजा में निर्दोष नागरिकों की हत्या की कड़ी निंदा की है तथा फिलिस्तीन में संघर्ष टालने और संयम बनाए रखने पर जोर दिया है।
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने गाजा की गंभीर स्थिति के बारे में ब्रिक्स संगठन की आपात वर्चुअल शिखरवार्ता का आयोजन किया था। दक्षिण अफ्रीका वर्तमान में ब्रिक्स की अध्यक्षता संभाल रहा है। इस वार्ता में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत का प्रतिनिधित्व किया।
जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि तात्कालिक घटनाक्रम 07 अक्टूबर को हमास के आतंकवादी हमले के कारण शुरू हुआ। जहां तक आतंकवाद का सवाल है, उसके साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता। इसी तरह लोगों को बंधक बनाया जाना भी स्वीकार नहीं किया जा सकता।
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि बाद के घटनाक्रम में हमारी चिंताओं को ओर बढ़ा दिया है। गाजा में बड़ी संख्या में नागरिकों की मौत हुई है। वहां मानवीय संकट भी पैदा हुआ है। उन्होंने कहा कि नागरिकों की सुरक्षा के संबंध में अंतराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पूरी तरह पालन किया जाना चाहिए।
उन्होंने भारत के पक्ष को दोहराते हुए कहा कि संकट के समाधान के लिए कुटनीति और वार्ता का सहारा लिया जाना चाहिए। इस सिलसिले में उन्होंने संबंधित पक्षों के बीच सीधी वार्ता का सुझाव दिया।
फिलिस्तीनी जनता के हितों पर जोर देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि दो देशों के अस्तीत्व संबंधी समाधान पर गंभीरता और सतत प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने मानवीय त्रासदी का सामना कर रही फिलिस्तीनी आवाम तक कारगर एवं सुरक्षित ढंग से मानवीय सहायता सुनिश्चित किए जाने पर भी जोर दिया। साथ ही उन्होंने सभी बंधकों की रिहाई पर भी जोर दिया।
जयशंकर ने राष्ट्रपति रामाफोसा की ओर से आपात शिखरवार्ता आयोजित करने का स्वागत करते हुए इसे सामयिक कदम बताया। उन्होंने ब्रिक्स के सदस्य बनने जा रहे देशों के नेताओं को भी शिखरवार्ता में शामिल करने की पहल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पश्चिम एशिया के घटनाक्रम के बारे में विभिन्न विश्व नेताओं से बातचीत की है। प्रधानमंत्री ने शांति और सीधी एवं सार्थक शांति वार्ता के लिए माहौल बनाने पर जोर दिया है।
जयशंकर ने फिलिस्तीन में प्रभावित लोगों की सहायता के लिए भारत की ओर से भेजी गई मानवीय सहायता का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत ने अब तक 70 टन मानवीय सहायता भेजी है, जिसमें 70 टन दवा एवं चिकित्सा सामग्री है। यह राहत सहायता आगे भी जारी रहेगी।
विदेश मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को इस समय एक जटिल स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। इसके बहुत से आयाम है। हमें इन सभी पर गौर करना है, साथ ही प्राथमिकताएं भी तय करनी है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि जमीनी स्तर पर तात्कालिक रूप से सुधार हो तथा स्थायी समाधान निकले।
शिखरवार्ता में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग, साउदी शहजादे मोहम्मद बिन सलमान सहित अन्य शामिल हुए थे।
ब्रिक्स अध्यक्ष के रूप में राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने इजरायल की कड़ी निंदा की तथा उस पर गाजा में नरसंहार और युद्ध अपराध करने का दोषारोपण किया। वहीं राष्ट्रपति पुतिन ने फिलिस्तीन के मौजूदा हालात के लिए अमेरिका की वर्चस्व वादी नीतियों को दोषी ठहराया। चीन के राष्ट्रपति ने संकट से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद में पारित किए गए प्रस्तावों पर कारगर ढंग से अमल किए जाने पर जोर दिया।
हिन्दुस्थान समाचार/अनूप/सुफल/आकाश
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