विश्व में नशा करने वालों की संख्या में 20 फीसदी की बढ़ोतरी, यूएन कार्यालय ने जारी की रिपोर्ट
नई दिल्ली, 27 जून (हि.स.)। दुनिया भर में नशा करने वालों की संख्या में 20 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में नशा करने वालों की संख्या 29.2 करोड़ पहुंच गई है। इसमें सबसे ज्यादा 22.8 करोड़ लोग भांग का सेवन करते हैं। यून कार्यालय द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2022 को समाप्त हुए दशक में, अवैध मादक पदार्थों का उपयोग करने लोगों की संख्या बढ़कर 29.2 करोड़ पहुंच गई है। दुनियाभर में मादक पदार्थों का सेवन करने वाले अधिकतर लोग यानि 22.8 करोड़ लोग कैनेबिस (भांग) का सेवन करते हैं। इसके बाद अफ़ीम युक्त दवाओं का सेवन करने वाले लोगों की संख्या छह करोड़ है, मेथमफ़ेटामीन का सेवन करने वाले 03 करोड़ लोग हैं, जबकि 2.3 करोड़ लोग कोकेन की लत का शिकार हैं।
नवीनतम यूएनओडीसी वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2024 वैश्विक नशीली दवाओं के उपयोग में चिंताजनक वृद्धि और शक्तिशाली नए सिंथेटिक ओपिओइड के उद्भव पर प्रकाश डालती है, जो विश्व दवा समस्या और इसके संबंधित स्वास्थ्य, सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों को बढ़ा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में नशीली दवाओं का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या पिछले दशक की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक है।
ड्रग्स दुरुपयोग और अवैध तस्करी के विरुद्ध अन्तरराष्ट्रीय दिवस के मौके पर जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि ड्रग्स की अवैध तस्करी में भी काफी बढ़ोतरी हुई है। भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट समन्वयक शोम्बी शार्प ने कहा, हमारे प्रयास संतुलित होने चाहिए, स्वास्थ्य के अधिकारों को बनाए रखना चाहिए, मानवाधिकारों को बनाए रखना चाहिए और नशे की लत से जूझ रहे लोगों की मदद करनी चाहिए।
दक्षिण एशिया के लिए यूएनओडीसी के क्षेत्रीय प्रतिनिधि मार्को टेक्सेरा ने कहा कि स्थिति गंभीर है। हमारी प्रतिक्रियाएं प्रतीक्षा नहीं कर सकतीं। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में अनुमानित 6.4 करोड़ लोगों के नशीली दवाओं के उपयोग संबंधी विकारों से पीड़ित होने के बावजूद, 11 में से केवल एक को ही इलाज मिल पाता है। महिलाओं को, विशेष रूप से, महत्वपूर्ण बाधाओं का सामना करना पड़ता है, नशीली दवाओं के उपयोग से संबंधित विकारों वाली 18 में से केवल एक महिला को उपचार मिलता है, जबकि सात पुरुषों में से एक को उपचार मिलता है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने इन असमानताओं को दूर करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि हमें कमजोर आबादी, विशेषकर बच्चों को मादक पदार्थों की तस्करी के हानिकारक प्रभावों से बचाना चाहिए और उनके स्वस्थ, सुरक्षित रहने के अधिकार को सुनिश्चित करना चाहिए। रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि नशीली दवाओं की तस्करी संगठित अपराध समूहों को सशक्त बनाती है, जो वन्यजीव तस्करी, वित्तीय धोखाधड़ी और अवैध संसाधन निष्कर्षण जैसी अन्य अवैध अर्थव्यवस्थाओं में विविधता ला रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/विजयलक्ष्मी/आकाश
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