कथाकार हृषीकेश सुलभ को मिला 'अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान'

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कथाकार हृषीकेश सुलभ को मिला 'अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान'




96 वर्षीय बीएस शांता बाई ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ से सम्मानित

साहित्यिक संस्था ‘शब्द’ के 26वें वार्षिकोत्सव में साहित्यकारों का किया गया सम्मान

बेंगलूरु, 11 दिसंबर (हि.स.)। दक्षिण भारत की प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था ‘शब्द’ के 26वें वार्षिकोत्सव सह पुरस्कार अर्पण समारोह में ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ मूर्धन्य कथाकार हृषीकेश सुलभ को और ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ वयोवृद्ध हिंदी सेवी बीएस शांता बाई को प्रदान किया गया।

इस मौके पर ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ से सम्मानित कथाकार हृषीकेश सुलभ ने कहा कि अज्ञेय हमारी भाषा के सिरमौर हैं। उनके नाम पर सम्मान पाना स्वप्न के सच होने की तरह है। मलिकार्जुन मंसूर, कुमार गंधर्व और प्रसन्ना की भूमि से सम्मानित होना मेरे लिए बड़ा महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि साहित्य के लिए यह संकट का समय है, जबकि आदमी के भीतर की करुणा को जीवित रखना आज के समय की मांग है।

समारोह के मुख्य अतिथि व कन्नड़ के प्रख्यात कवि, नाटककार एचएस शिवप्रकाश ने कहा कि भारत की एकता राजनीति से नहीं, साहित्य और संस्कृति से है, किन्तु समाज के यांत्रिकीकरण के कारण आज साहित्य और संस्कृति के आस्वादन का खतरा उत्पन्न हो गया है। हर दिशा से शब्द और साहित्य पर हमले हो रहे हैं। विश्वविद्यालयों में साहित्य और संस्कृति का ऐसा संकुचन हुआ है कि आज के युवा दो-तीन सौ से ज्यादा शब्दों का उपयोग नहीं करते। यह स्थिति रही तो भविष्य के बच्चे हमारी भाषा के शब्द बोलना भी बंद कर देंगे।

समारोह में एक लाख रुपये का ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ मूर्धन्य कथाकार हृषीकेश सुलभ को और इक्कीस हजार रुपये का ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ 96 वर्षीय वयोवृद्ध हिंदीसेवी बीएस शांता बाई को अंगवस्त्रम, स्मृति चिह्न, प्रशस्ति फलक एवं श्रीफल के साथ सम्मानित किया गया। समारोह को ‘शब्द’ के अध्यक्ष डॉ श्रीनारायण समीर व श्रीकान्त शर्मा ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ उषारानी राव ने किया। इस अवसर पर ‘शब्द’ के गीतकार आनंद मोहन झा के गीत संग्रह ‘पथ के गीत’ का लोकार्पण भी किया गया।

इसके पूर्व समारोह के प्रथम सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें प्रसिद्ध कवयित्री अनुराधा सिंह एवं युवा कवयित्री लवली गोस्वामी की कविताओं का स्वर स्त्री विमर्शवादी था, जबकि वरिष्ठ कवि अनिल विभाकर की कविताओं में सामाजिक विडंबना का स्वर मुख्य था। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवयित्री रचना उनियाल ने की और संचालन हंसराज मुणोत ने किया।

उल्लेखनीय है कि ‘अज्ञेय शब्द सृजन सम्मान’ नगर के अज्ञेय साहित्य के मर्मज्ञ बाबूलाल गुप्ता के फाउंडेशन और ‘दक्षिण भारत शब्द हिंदी सेवी सम्मान’ बेंगलूरु एवं चेन्नई से प्रकाशित अखबार समूह ‘दक्षिण भारत राष्ट्रमत’ के सौजन्य से प्रदान किए जाते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ सुनील/सुनील/सुनील

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