मुख्यमंत्री की अग्निपरीक्षा : विधानसभा उपचुनाव के नतीजों पर टिका है सुक्खू सरकार का भविष्य
शिमला, 22 मार्च (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार से नाखुश चल रहे तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे ने पहाड़ी राज्य की सियासत में फिर गर्माहट ला दी है। यह तीनों हमीरपुर से आशीष शर्मा, नालागढ़ से केएल ठाकुर और देहरा से होशियार सिंह भाजपा का दामन थामेंगे। ऐसी अटकलें हैं कि भाजपा इन्हें अपना उम्मीदवार घोषित कर उपचुनाव लड़ाएगी।
कांग्रेस से बागी हुए छह विधायक पहले ही अयोग्य ठहराए जा चुके हैं। उनकी भी भाजपा में शामिल होने की तैयारी है। अयोग्य घोषित छह विधायकों के विधानसभा हलकों में उपचुनाव पहली जून को होंगे। अब तीन खाली सीटों पर भी उपचुनाव की घोषणा होगी। माना जा रहा है कि केंद्रीय चुनाव आयोग इन सीटों पर भी लोकसभा चुनाव के साथ पहली जून को उपचुनाव करवाएगा। इस तरह नौ सीटों पर विधानसभा उपचुनाव के नतीजों पर कांग्रेस की सुक्खू सरकार का भविष्य टिका है। उपचुनाव में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अग्निपरीक्षा होगी।
राज्य की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के परिणाम विधानसभा का समीकरण बदल सकते हैं। विधानसभा की 68 सीटों में कांग्रेस के पास 34 और भाजपा के पास 25 सीटें हैं। जिन नौ सीटों पर उपचुनाव होगा, अगर वो मोदी लहर में भाजपा जीतती है तो भाजपा के विधायकों की संख्या बढ़कर 34 हो जाएगी और वो मजबूत स्थिति में आ जाएगी। रोचक बात यह है कि विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 35 है। कांग्रेस महज एक जीत से इस आंकड़े को छू लेगी। हालांकि सभी नौ सीटें गंवाने पर विधानसभा में कांग्रेस सरकार पर तलवार लटकी रहेगी। इस उपचुनाव के नतीजे तय करेंगे कि सरकार पर खतरा बढ़ेगा या टलेगा।
अपनी अंतर्कलह से कमजोर हो रही कांग्रेस
पिछले एक माह में राज्य में घटे सियासी घटनाक्रम पर नजर डालें तो वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले कांग्रेस कमजोर दिखाई दे रही है। 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के सभी बड़े नेता गुटबाजी से इतर भाजपा को सत्ता से बेदखल करने की कवायद में एकजुट थे। तब चुनाव प्रचार कमेटी के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह की एकजुटता से कांग्रेस ने 40 सीटों पर जीत हासिल की। लेकिन सत्ता पर काबिज होते ही कांग्रेस में अंतर्कलह बढ़ने लगी। मुख्यमंत्री की कार्यशैली से नाखुश पार्टी के छह विधायकों ने बगावत कर दी। भाजपा के कदावर नेता व पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल को हराने वाले राजेन्द्र राणा, पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा, जीत की हैट्रिक लगाने वाले इंद्रदत्त लखनपाल सहित छह कांग्रेस विधायकों की राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग से भाजपा का उम्मीदवार जीत गया। कांग्रेस के लिए सिरदर्द बने इन छह बागियों में से कइयों को अब भाजपा से चुनाव लड़ाने की तैयारी चल रही है। इस सियासी उठापठक ने कांग्रेस सरकार को बैकफुट पर ला दिया है।
इस बार का लोकसभा चुनाव व विधानसभा उपचुनाव कांग्रेस के लिए चुनौतियों से भरा है। एक तरफ तो सरकार व संगठन में मतभेद कायम है, पार्टी के भीतर कलह व्याप्त है, तो वहीं दूसरी तरफ मोदी लहर पर सवार भाजपा पूरी तरह सक्रिय है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस हिमाचल प्रदेश में अंतर्कलह से जूझ रही है। ऐसे में कांग्रेस के लिए विधानसभा उपचुनाव आसान नहीं होगा। कांग्रेस के इन छह बागी व अयोग्य ठहराए गए विधायकों की सीटों पर 1 जून को विधानसभा उपचुनाव होगा। इनमें राजेन्द्र राणा की सुजानपुर, देवेंद्र कुमार भुट्टो की कुटलैहड़, इंद्रदत्त लखनपाल की बड़सर, सुधीर शर्मा की धर्मशाला, चैतन्य शर्मा की गगरेट और रवि ठाकुर की लाहौल स्पीति विधानसभा क्षेत्र शामिल है। इसके अलावा आज विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा के हमीरपुर, होशियार सिंह के देहरा और केएल ठाकुर के नालागढ़ में भी उपचुनाव होने हैं।
मुख्यमंत्री के गृह जिले की पांच में से तीन सीटों पर उपचुनाव
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह जिला हमीरपुर में पांच विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें नादौन, भोरंज, हमीरपुर, बड़सर और सुजानपुर शामिल हैं। मुख्यमंत्री नादौन से विधायक हैं। भोरंज से मुख्यमंत्री के करीबी कांग्रेस के सुरेश कुमार विधायक हैं। अन्य तीन सीटों के विधायक इस्तीफा दे चुके हैं। इस जिले में वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में हमीरपुर की पांच सीटों पर भाजपा खाता भी नहीं खोल पाई थी। चार सीटों पर कांग्रेस ने कब्ज़ा जमाया था, वहीं एक सीट पर निर्दलीय को जीत मिली थी।
हिन्दुस्थान समाचार/उज्ज्वल/सुनील
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