करीब 30 सीनियर नौकरशाहों को दरकिनार कर नंदिनी को बनाया गया बंगाल का गृह सचिव
कोलकाता, 30 दिसंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल सरकार ने रविवार को राज्य के गृह सचिव के तौर पर आईएएस अधिकारी नंदिनी चक्रवर्ती को नियुक्त किया है। इसी साल फरवरी में राज्यपाल के सचिव पद से हटाई गईं नंदिनी को गृह सचिव बनाए जाने को लेकर अब राज्य सरकार के अधिकारी भी हैरान हैं। इसकी वजह है कि उन्हें 30 सीनियर नौकरशाहों को दरकिनार कर इस पद पर नियुक्त किया गया है। इसे लेकर आईएएस अधिकारियों में नाराजगी है। हालांकि इस पर कोई अधिकारी सरेआम बोलते हैं या नहीं यह देखने वाली ही बात होगी।
कैडर शेड्यूल की तहत होती है नौकरशाहों की नियुक्ति
नौकरशाहों की नियुक्ति ''कैडर शेड्यूल'' के आधार पर होती है, जो केंद्र और राज्यों के बीच संयुक्त बातचीत के आधार पर बनाया गया है। इसे 2017 में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा भी प्रकाशित किया गया था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि 2017 के बाद यह शेड्यूल प्रकाशित ही नहीं हुआ है। डर के मारे अधिकारी नहीं बोलते हैं और इस प्रयास में रहते हैं कि किसी तरह से मुख्यमंत्री की नजर में पसंदीदा बन कर रह सकें। इसके दो फायदे हैं। एक नौकरी के समय उन्हें मन मुताबिक पद मिल सकता है या रिटायरमेंट के बाद भी अब तो ऊंचे ओहदों पर नियुक्तियां होती हैं।
जूनियर रैंक की अधिकारी हैं नंदिनी
नंदिनी चक्रवर्ती 1994 बैच की आईएएस हैं। पश्चिम बंगाल में फिलहाल अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के 14 अधिकारी हैं।
कैडर शेड्यूल में गृह सचिव को अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर का अधिकारी होना चाहिए। लेकिन नंदिनी अभी भी प्रमुख सचिव स्तर की हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि राज्य पुलिस के महानिदेशक (डीजी) यानी राजीव कुमार 1989 बैच के हैं। नंदिनी 1994 बैच की हैं लेकिन रिवाज के मुताबिक, गृह सचिव को पांच साल सीनियर डीजी नंदनी को सर (इस मामले में मैडम) कहकर संबोधित करेंगे।
नौकरशाही रिपोर्ट के मुताबिक, वाम दलों के शासन के दौरान कैडर शेड्यूल का पालन होता था लेकिन पिछले छह-सात सालों से इसे पूरी तरह से दरकिनार किया गया है, जिसकी वजह से 40 से अधिक आईएएस अधिकारी उन नियुक्तियों से वंचित रहे हैं जो उन्हें नियमानुसार मिल जाना चाहिए था।
पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु के पसंदीदा नौकरशाह नारायणन कृष्णमूर्ति को मुख्य सचिव नियुक्त किया गया, तो इस पर खूब सवाल खड़े हुए और खबरें भी बनीं जिस पर सरकार को आलोचना झेलनी पड़ी थी।
मुख्यमंत्री के पसंदीदा एक नौकरशाह ने कहा कि लगभग हर विभाग में सीएम के पसंदीदा लोगों को ही रखा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि दूसरे राज्यों में भी ऐसा होता है लेकिन इस तरह के मामले बहुत कम है।
माकपा के जमाने में मजबूत था आईएएस एसोसिएशन
वामपंथ के दौर में आईएएस अधिकारियों का राज्य संगठन काफी मजबूत था। आरोप है कि जब असीम बर्मन कोलकाता नगर निगम के आयुक्त थे तो तत्कालीन मेयर प्रशांत चटर्जी ने उनके साथ गलत व्यवहार किया था।
सूत्रों के मुताबिक, असीम ने मामले की जानकारी आईएएस एसोसिएशन को दी थी। तब संगठन ने जब मामले को बातचीत के जरिये राजनीतिक स्तर पर पहुंचाया तो वाम दलों के शीर्ष नेताओं ने प्रशांत को संयम बरतने की नसीहत दे दी थी।
अब हाल ही में पश्चिम बंगाल के आईएएस एसोसिएशन का पुनर्गठन किया गया है। इसके अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सचिव क्रमशः सुब्रत गुप्ता, वरुण रॉय और स्मिता पांडे हैं। अगले दो अपेक्षाकृत कनिष्ठ हैं। सुब्रत गुप्ता से जब हिन्दुस्थान समाचार की ओर प्रतिक्रिया के लिए संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार/ओम प्रकाश/गंगा/आकाश
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