धार की ऐतिहासिक भोजशाला में 10वें दिन आठ घंटे चला एएसआई का सर्वे
-भीतर फर्श की होगी खुदाई, सर्वे के दौरान राजस्व विभाग ने पहली बार की नपाई
धार, 31 मार्च (हि.स.)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग का सर्वे रविवार को 10वें दिन भी जारी रहा। दिल्ली और भोपाल के अधिकारियों की 25 सदस्यीय सर्वे टीम ने यहां करीब आठ घंटे सर्वे का काम किया। टीम सुबह करीब छह बजे मजदूरों के साथ भोजशाला परिसर पहुंची और दोपहर दो बजे कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के बीच भोजशाला से रवाना हो गई। इस दौरान टीम के साथ हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा, आशीष गोयल और मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद खान मौजूद रहे।
हिंदू और मुस्लिम पक्ष की मौजूदगी में रविवार सुबह 6 से दोपहर 2 बजे तक सर्वे जारी रहा। इस दौरान भोजशाला के भीतरी क्षेत्र के फर्श का सर्वे किया गया है। जल्द ही अब भीतर खुदाई शुरू हो सकती है। इसके लिए भोजशाला मुख्य द्वार के सामने वाले फर्श पर निशान लगा दिया गया है। यहां करीब 200 वर्ग फीट में खुदाई होने का अनुमान है। इसमें कई महत्वपूर्ण प्रमाण मिल सकते हैं। पहली बार राजस्व विभाग की टीम को भी बुलाया गया और उसके माध्यम से भी सर्वे में जमीन की स्थिति को पता किया गया है। इसमें रेवेन्यू इंस्पेक्टर से लेकर पटवारी शामिल थे, जिन्होंने मशीन से परिसर की जमीन का लेबल भी जांचा है।
वहीं, एएसआई की सर्वे टीम ने कमाल मौलाना दरगाह क्षेत्र का भी सर्वे किया है। भोजशाला में पहले से ही तीन स्थानों पर खुदाई कार्य चल रहा है। यहां पर प्रतिदिन गहराई बढ़ती जा रही है। प्रमाण मिलने के अनुमान के चलते खुदाई का कार्य बढ़ाया जा रहा है। लगभग दो दिनों से इस कार्य में तेजी आ गई। टीम में नए सदस्य व विशेषज्ञ जुड़े हैं। ऐसे में बहुत ही बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है। कार्बन डेटिंग के लिए नमूने संकलित किए जा रहे हैं। खुदाई कार्य की मिट्टी से लेकर जो भी अवशेष या सामग्री मिल रही है, उनको भी परीक्षण के लिए लैब में भेजने की तैयारी की गई है।
मप्र उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर ऐतिहासिक भोजशाला (वाग्देवी मंदिर) परिसर का एएसआई द्वारा सर्वे किया जा रहा है। इस स्थान को लेकर हिंदू और मुस्लिम दोनों ही अपना दावा प्रस्तुत करते हैं। हिंदू भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम इसे कमाल मौला मस्जिद बताते हैं। हिंदू समुदाय दावा करता है कि राजा भोज ने 1034 ईस्वी में भोजशाला में वाग्देवी की मूर्ति स्थापित की थी। अंग्रेज इस मूर्ति को 1875 में लंदन ले गए थे।
हिन्दुस्थान समाचार/मुकेश/आकाश
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