संजय कुंडू को छोडना होगा हिमाचल के डीजीपी का पद, हाई कोर्ट ने ख़ारिज की रिकॉल अपील
शिमला, 9 जनवरी (हि.स.)। कारोबारी निशांत शर्मा के कथित उत्पीड़न से जुड़े मामले में हिमाचल प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू को हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली है। उनकी रिकॉल अपील को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ की डबल बेंच ने मंगलवार को संजय कुंडू की रिकॉल अपील पर फैसला सुनाया।
हाई कोर्ट की डबल बेंच ने संजय कुंडू की तमाम दलीलों को दरकिनार करते हुए उनकी अपील को खारिज कर दिया। इस आदेश के बाद अब संजय कुंडू को डीजीपी का पद छोड़ना पड़ सकता है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट से उनको हटाने को लेकर मिला स्टे समाप्त हो गया है। हाई कोर्ट की डबल बेंच ने यह भी कहा कि राज्य सरकार चाहे तो इस मामले में एसआइटी गठित कर सकती है और एसआइटी की कमान आईजी या उससे ऊपर के अधिकारी के पास होगी। यह एसआइटी इस मामले में दर्ज सभी एफआइआर की जांच करेगी। हाई कोर्ट ने इस मामले में अगली स्टेटस रिपोर्ट 28 फरवरी को हाई कोर्ट में दायर करने के आदेश दिए हैं। हाई कोर्ट ने इस मामले में एसपी कांगड़ा शालिनी अग्निहोत्री की याचिका भी खारिज कर दी है। हाई कोर्ट ने शिकायतकर्ता व कारोबारी निशांत शर्मा को सुरक्षा जारी रखने की हिदायत राज्य सरकार को दी है।
हाई कोर्ट ने दिए थे डीजीपी कुंडू और एसपी कांगड़ा को हटाने के आदेश
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने बीते 26 दिसंबर को हिमाचल सरकार को डीजीपी संजय कुंडू और कांगड़ा की एसपी शालिनी अग्निहोत्री को उनके पदों से हटाने का आदेश दिया था। दोनों वरिष्ठ अधिकारियों को किसी अन्य पद पर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था, ताकि वे पुलिस जांच को प्रभावित न कर पाएं। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर प्रदेश सरकार ने बीते 2 जनवरी को डीजीपी संजय कुंडू को पद से हटा दिया था। कार्मिक विभाग से जारी आदेश के अनुसार उन्हें आयुष विभाग का प्रधान सचिव बनाया गया।
सुप्रीम कोर्ट से मिली थी कुंडू को राहत
संजय कुंडू को उनके पद से हटाने के मामले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी। छह दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के डीजीपी को ट्रांसफर करने के आदेश पर रोक लगाई। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी को हिमाचल हाई कोर्ट में आदेश वापस लेने की अर्जी दाखिल करने के लिए भी कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाई कोर्ट इस अर्जी पर दो हफ्ते में फैसला करे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि हाई कोर्ट में मामला लंबित रहते समय डीजीपी को आयुष मंत्रालय में पोस्टिंग के लिए जोर ना दिया जाए।
यह है मामला
मामले के अनुसार कारोबारी निशांत ने 28 अक्टूबर 2023 को हाई कोर्ट को ई-मेल के माध्यम से अपने और परिवार की जान को खतरे की बात लिखी थी। निशांत ने लिखा था कि वह चिंतित और भयभीत है कि उन्हें या तो पुलिस प्रमुख संजय कुंडू द्वारा मरवा दिया जाएगा या गंभीर रूप से डराया-धमकाया जाएगा। कारोबारी ने बताया था कि गुरुग्राम में भी उस पर हमला हो चुका है, जिसमें वह बच गया। ई-मेल के मुताबिक डीजीपी कार्यालय से उसे एक ही दिन में 14 फोन आए। इसके अलावा पालमपुर के डीएसपी और एसएचओ ने भी उन पर डीजीपी से बात करने का दबाव बनाया। जब उन्होंने डीजीपी से बात की, तो उन्हें डीजीपी ने शिमला आने के लिए कहा। कारोबारी निशांत शर्मा की शिकायत पर हाई कोर्ट ने मामले में एफआईआर दर्ज करने और उनकी सुरक्षा के भी आदेश दिए थे।
इस मामले को 10 नवंबर को हाई कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लिया था। इससे पहले कारोबारी के खिलाफ डीजीपी ने 4 नवंबर को छोटा शिमला थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी। इस मामले में 50 पन्नों की स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल की गई थी।
हिन्दुस्थान समाचार/उज्ज्वल/सुनील/सुनील /सुनील
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