सरकार ने उल्फा के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये, अमित शाह ने बताया असम के लिए बड़ा दिन
नई दिल्ली, 29 दिसंबर (हि.स.)। यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के वार्ता समर्थक गुट ने हिंसा छोड़ने और मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमति व्यक्त करते हुए शुक्रवार को गृह मंत्रालय में केंद्र और असम सरकारों के साथ एक त्रिस्तरीय शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा की मौजूदगी में उल्फा के वार्ता समर्थक प्रतिनिधिमंडल के 29 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिनमें उल्फा के 16 और सिविल सोसाइटी ऑर्गेनाइजेशन के 13 प्रतिनिधि शामिल थे।
समझौते के तहत, उल्फा प्रतिनिधियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ने, सभी हथियार डालने और अपने सशस्त्र संगठन को खत्म करने पर सहमति व्यक्त की है। इसके अलावा उल्फा अपने सशस्त्र कैडरों के कब्जे वाले सभी शिविरों को खाली करने, कानून द्वारा स्थापित शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने और देश की अखंडता को बनाए रखने पर भी सहमत हुआ है।
इस अवसर पर अमित शाह ने कहा कि आज असम के लिए एक सुनहरा दिन है जब लंबे समय से हिंसा का दंश झेल रहे पूर्वोत्तर और असम में शांति स्थापित होने जा रही है। उन्होंने कहा कि 2014 में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से दिल्ली और पूर्वोत्तर के बीच की दूरी कम करने के प्रयास हुए और खुले मन से सबके साथ बातचीत की शुरूआत हुई। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में ही उग्रवाद, हिंसा और विवाद-मुक्त पूर्वोत्तर की परिकल्पना लेकर गृह मंत्रालय ने काम किया। उन्होंने कहा कि पूरे पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में पिछले 5 वर्षों में विभिन्न राज्यों के साथ शांति और सीमा संबंधित 9 समझौते हुए हैं, जिनके कारण आज पूर्वोत्तर के बड़े हिस्से में शांति की स्थापना हुई है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज तक 9000 से अधिक कैडर ने सरेंडर किया है और असम के 85 प्रतिशत हिस्से से अफस्पा को हटा लिया गया है। उन्होंने कहा कि आज भारत सरकार, असम सरकार और उल्फा के बीच हो रहे त्रिपक्षीय समझौते से पूरे असम के सभी हिंसक गुटों को मुख्य धारा में शामिल करने में मोदी सरकार को सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि आज हुआ समझौता असम और पूरे पूर्वोत्तर में शाति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आज के समझौते के तहत उल्फा प्रतिनिधियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ने, सभी हथियार डालने और अपने सशस्त्र संगठन को खत्म करने पर सहमति व्यक्त की है। इसके अलावा उल्फा अपने सशस्त्र कैडरों के कब्जे वाले सभी शिविरों को खाली करने, कानून द्वारा स्थापित शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने और देश की अखंडता को बनाए रखने पर भी सहमत हुआ है।
शाह ने कहा कि उल्फा संघर्ष में दोनों पक्षों के लगभग 10 हजार लोग मारे गए, जो इस देश के ही नागरिक थे, लेकिन आज इस समस्या का संपूर्ण समाधान हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने एक बहुत बड़े पैकेज और असम के विकास के प्रोजेक्ट्स को भी सहमति दी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार समझौते की हर बात पर पूरी तरह अमल करेगी और इस पर खरी उतरेगी। शाह ने कहा कि 2014 में मोदी सरकार आने के बाद असम में हिंसक घटनाओं में 87 प्रतिशत, हत्याओं में 90 प्रतिशत, अपहरण में 84 प्रतिशत और अकेले असम में अब तक 7500 कैडर ने सरेंडर किया है, जिसमें आज 750 और जुड़ जाएंगे। इस प्रकार अकेले असम में में 8200 से अधिक कैडर द्वारा आत्मसमर्पण किया जाना असम के लिए शांति के नए युग का सूत्रपात है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने 2019 में एनएलएफटी, 2020 में ब्रू, बोड़ो, 2021 में कार्बी, 2022 में आदिवासी समझौता, असम-मेघालय सीमा समझौता, 2023 में असम-अरूणाचल सीमा समझौता और यूएनएलएफ और आज उल्फा के साथ समझौता किया है। उन्होंने कहा कि आज इस समझौते के साथ ही पूरे पूर्वोत्तर और विशेषकर असम के लिए शांति के नए युग की शुरूआत होने जा रही है।
अमित शाह ने कहा कि भारत सरकार का गृह मंत्रालय उल्फा की मांगो को पूरा करने के लिए एक समयबद्ध कार्यक्रम बनाएगा और इसकी मॉनीटरिंग के लिए एक समिति भी बनाई जाएगी जो असम सरकार के साथ मिलकर समझौते को पूरा करने का प्रयास करेगी। शाह ने कहा कि 2019 के बाद हुए सभी समझौतों में मोदी सरकार समय से आगे है और समय़ पूर्व सभी शर्तों को पूरा करने का प्रयास किया गया है। गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के उग्रवाद-मुक्त पूर्वोत्तर के ब्रॉडर विज़न के बिना ये संभव नहीं था।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि आज असम के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में असम की शांति के लिए हमेशा काम चल रहा था। आज प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के प्रयासों से उल्फा के साथ केंद्र व राज्य सरकार के बीच समझौत पर हस्ताक्षर हो गए। आज के समझौते के साथ ही असम में जनजातीय उग्रवाद समाप्त हो गया है।
हिन्दुस्थान समाचार/ सुशील/जितेन्द्र
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