मप्र के पांढुर्णा में गोटमार मेले का आयोजन, दो गांवों के लोगों ने एक-दूसरे पर बरसाए पत्थर, 400 घायल
पांढुर्णा, 3 सितंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के पांढुर्णा जिले में मंगलवार को परम्परा के अनुसार गोटमार मेले का आयोजन हुआ। इस दौरान दो गांवों के लोगों ने एक-दूसरे पर जमकर पत्थर बरसाए। गोटमार मेले में पत्थर लगने से 400 लोग घायल हो गए। इनमें तीन गंभीर घायलों को नागपुर रेफर किया गया है। पत्थर लगने से तीन लोगों के हाथ-पैर की हड्डी भी टूट गई।
दरअसल, पांढुर्णा का गोटमार मेला हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में पोला त्योहार के दूसरे दिन आयोजित होता है। इस दौरान पांर्ढुणा और सावरगांव के बीच बहने वाली जाम नदी के दोनों किनारों से दोनों गांव के लोग एक-दूसरे पर पत्थर बरसाकर इस परंपरा को निभाते हैं। परम्परा के मुताबिक यहां जाम नदी की पुलिया पर पांढुर्णा और सावरगांव के लोगों के बीच मंगलवार सुबह 10 बजे से शुरू हुआ खेल शाम तक चला। दोनों ओर से एक-दूसरे पर पत्थर बरसाए गए। एक युवक बचाव के लिए क्रिकेट किट पहनकर पहुंचा। पत्थर लगने से एक शख्स की आंख में भी चोट लग गई। इस खेल में करीब 400 लोग घायल हुए हैं।
पुलिस अधीक्षक सुंदर सिंह कनेश और कलेक्टर अजय देव शर्मा के मुताबिक सुरक्षा के लिए 600 पुलिसकर्मियों की नियुक्ति की गई थी। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच यह आयोजन हुआ, जिसमें सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। सभी घायलों का इलाज किया जा रहा है। इनमें छह लोगों को अस्पताल में रेफर किया गया है। बाकी लोग मेडिकल कैंप में इलाज करा रहे हैं।
पांढुर्ना व सावरगांव के बीच जाम नदी पर गोटमार खेलने की परंपरा 300 साल पुरानी है। मेले की आराध्य मां चंडिका के चरणों में माथा टेककर यहां लोग गोटमार मेले में शामिल होते हैं। बुजुर्गों के अनुसार सावरगांव की युवती और पांढुर्णा का युवक एक दूसरे से प्रेम करते थे। दोनों शादी करना चाहते थे लेकिन दोनों के गांव के लोग इस प्रेम कहानी से आक्रोशित थे। पोला त्योहार के दूसरे दिन भद्रपक्ष अमावस्या की अलसुबह युवक-युवती भाग गए लेकिन जाम नदी की बाढ़ में फंस गए। दोनों नदी पार करने की कोशिश करते रहे। यहां पांढुर्णा और सावरगांव के लोग जमा हो गए और प्रेमी जोड़े पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया, जिससे दोनों की मौत हो गई। तभी से प्रेमी युगल की याद में गोटमार का खेल खेला जाता है।
एक मान्यता यह भी है कि हजारों वर्ष पहले जाम नदी के किनारे पिंडारी समाज का प्राचीन किला था। किले में समाज और शक्तिशाली सेना निवास करती थी। सेनापति दलपत शाह था लेकिन महाराष्ट्र के भोसले राजा की सेना ने पिंडारी समाज के किले पर हमला बोल दिया। अस्त्र-शस्त्र कम होने से पिंडारी समाज की सेना ने पत्थरों से हमला कर दिया। भोसले राजा परास्त हो गया। तब से यहां पत्थर मारने की परंपरा चली आ रही है।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर
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