स्वदेशी युद्धपोत निर्माण में भारत की बड़ी छलांग, गोवा शिपयार्ड ने लांच किया फ्रिगेट 'तवस्या'

पणजी/नई दिल्ली, 22 मार्च (हि.स.)। भारत के प्रमुख रक्षा शिपयार्डों में से एक गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) ने शनिवार को प्रोजेक्ट 1135.6 (यार्ड 1259) के दूसरे फ्रिगेट 'तवस्या' के सफल लॉन्च के साथ एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। यह लॉन्च युद्धपोत निर्माण में भारत की आत्मनिर्भरता में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है, जो रक्षा निर्माण में देश के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को मजबूत करता है।
इस जहाज को नीता सेठ द्वारा रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ की उपस्थिति में औपचारिक रूप से लॉन्च किया गया, जिन्होंने इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए रक्षा राज्यमंत्री ने वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं को प्रभावित करने वाली भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद केवल आठ महीनों के भीतर दो जटिल हथियार-गहन फ्रिगेट लॉन्च करने में जीएसएल की असाधारण उपलब्धि की सराहना की। नौसेना की बढ़ती आत्मनिर्भरता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह लॉन्च भारत के नौसेना इतिहास में एक निर्णायक क्षण है, जो हमारी तकनीकी क्षमताओं और आत्मनिर्भरता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम, टारपीडो लॉन्चर, सोनार और सहायक नियंत्रण प्रणाली जैसे महत्वपूर्ण घटकों का सफल स्थानीयकरण भारत के जहाज निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के बढ़ते लचीलेपन को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि तवस्या का लॉन्च न केवल भारतीय नौसेना के लिए एक कदम आगे है बल्कि भारत की रणनीतिक रक्षा महत्वाकांक्षाओं के लिए एक बड़ी छलांग है।
3800 टन से अधिक विस्थापन के साथ 'तवस्या' को आक्रामक और रक्षात्मक संचालन की विविध रेंज को निष्पादित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक प्रभुत्व सुनिश्चित करता है। मंत्री ने कहा कि उन्नत स्टील्थ सुविधाओं, उच्च सहनशक्ति क्षमताओं और अगली पीढ़ी की लड़ाकू प्रणालियों से लैस यह जहाज भारतीय नौसेना की परिचालन शक्ति को महत्वपूर्ण बढ़ावा देता है। उन्होंने रक्षा निर्यात में जीएसएल की अग्रणी भूमिका और 2029 तक रक्षा निर्यात में 50,000 करोड़ रुपये हासिल करने के रक्षा मंत्रालय के दृष्टिकोण का हवाला देते हुए युद्धपोत निर्यात में वैश्विक नेता के रूप में उभरने की भारत की महत्वाकांक्षा की पुष्टि की।
इस अवसर पर जीएसएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ब्रजेश कुमार उपाध्याय ने राष्ट्र के लिए एक रणनीतिक रक्षा परिसंपत्ति के रूप में शिपयार्ड के उल्लेखनीय विकास पर प्रकाश डाला। यह इन जटिल प्लेटफार्मों का निर्माण करने वाला एक भारतीय शिपयार्ड द्वारा पहला प्रयास है, जिन्हें पहले पूरी तरह से निर्मित स्थिति में आयात किया गया था। 56% से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ विदेशों में निर्मित समान जहाजों में 25% से कहीं अधिक, दुर्जेय बहु-भूमिका वाले स्टील्थ फ्रिगेट को नौसेना युद्ध के पूरे स्पेक्ट्रम- वायु, सतह और उप-सतह - में संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो बेजोड़ परिचालन क्षमता सुनिश्चित करता है।
इस जहाज का नाम महाभारत के महान योद्धा भीम की गदा के नाम पर 'तवस्या' रखा गया है, जो भारतीय नौसेना की अदम्य भावना और बढ़ती ताकत का प्रतिनिधित्व करता है। रक्षा मंत्रालय और गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के बीच 25 जनवरी 2019 को दो प्रोजेक्ट 1135.6 फॉलो-ऑन फ्रिगेट बनाने के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। पहला जहाज 'त्रिपुट' 23 जुलाई 2024 को लॉन्च किया गया। इन जहाजों को सतह, उप-सतह और हवाई युद्ध संचालन के लिए डिज़ाइन किया गया है। 'त्रिपुट' और 'तवस्या' लगभग 125 मीटर लंबे हैं। इसकी अधिकतम गति 28 समुद्री मील है। ये जहाज स्टील्थ सुविधाओं, उन्नत हथियार और सेंसर एवं प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणालियों से लैस हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान के अनुरूप ‘त्रिपुट’ और ‘तवस्या’ को बड़ी मात्रा में स्वदेशी उपकरण, हथियार और सेंसर से लैस किया जा रहा है, जिससे भारतीय विनिर्माण इकाइयों द्वारा बड़े पैमाने पर रक्षा उत्पादन सुनिश्चित होगा, देश के भीतर रोजगार और क्षमता वृद्धि पैदा होगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / दधिबल यादव