अग्नि हादसे के बाद भी हजारों भक्तों ने किए महाकाल के दर्शन, कल से बदलेगी व्यवस्था

अग्नि हादसे के बाद भी हजारों भक्तों ने किए महाकाल के दर्शन, कल से बदलेगी व्यवस्था
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अग्नि हादसे के बाद भी हजारों भक्तों ने किए महाकाल के दर्शन, कल से बदलेगी व्यवस्था


उज्जैन, 25 मार्च (हि.स.)। धर्मनगरी उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर मंदिर में अग्नि दुर्घटना के बाद भी रविवार को सुबह से देर शाम श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। होली के अवसर पर हजारों भक्तों ने भगवान महाकाल के दर्शन किए और पूजन-अर्चन कर पुण्य लाभ लिया। अब मंगलवार, 26 मार्च से मंदिर में दर्शन एवं आरती व्यवस्था में परिवर्तन हो जाएगा।

दरअसल, महाकालेश्वर मंदिर में सोमवार सुबह भस्म आरती के समय की जाने वाली कपूर आरती के दौरान गर्भगृह में आग लगने की वजह से पुजारियों समेत 14 लोग झुलस गए थे। इनमें नौ लोगों को इंदौर में भर्ती कराया गया है, जबकि दो घायलों का उज्जैन के जिला अस्पताल में उपचार जारी है। वहीं तीन को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी देकर घर भेज दिया गया है। इस अग्नि दुर्घटना का कोई असर मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं पर नहीं पड़ा। हादसे के बाद मंदिर में फिर से पूजन-अर्चन और दर्शन प्रतिदिन की तरह ही शुरू हो गए। देर शाम तक मंदिर में दर्शनार्थियों का आना लगातार जारी रहा, जिन्होंने अपने इष्ट देव के दर्शन होली के विशेष पर्व पर किए।

सुबह से लेकर देर शाम तक हजारों की संख्या में श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन करने पहुंचे, जिससे मंदिर में प्रतिदिन की तरह ही जय श्री महाकाल की गूंज गुंजायमान हुई। महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित महेश गुरु ने बताया कि मंदिर में मंगलवार, 26 मार्च से बाबा महाकाल को ठंडे जल से स्नान कराया जाना शुरू किया गया।

उन्होंने बताया कि होली पर्व से गर्मी की शुरुआत मानी जाती है। इस दिन से शरद पूर्णिमा तक भगवान ठंडे जल से स्नान करते हैं। ऋतु अनुसार निर्धारित इन छह-छह माह में प्रतिदिन होने वाली पांच में से तीन आरती का समय भी बदलता है। वर्तमान में शीत ऋतु के अनुसार भगवान की सेवा पूजा की जा रही थी। लेकिन अब अगले छह माह गर्मी के अनुसार दिनचर्या बदलेगी, जिसमें अब बाबा महाकाल को ठंडे जल से स्नान कराया जाएगा।

महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि 26 मार्च 2024 से परम्परानुसार ज्योर्तिलिंग भगवान महाकाल की आरतियों के समय में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से अश्विन पूर्णिमा तक परिवर्तन होगा। इसमें प्रथम भस्म आरती प्रात: 04:00 से 06:00 बजे तक, द्वितीय दद्योदक आरती प्रात: 07:00 से 07:45 बजे तक, तृतीय भोग आरती प्रात: 10:00 से 10:45 बजे तक, चतुर्थ संध्या पूजन सायं 05:00 से 05:45 बजे तक, पंचम संध्या आरती सायं 07:00 से 07:45 बजे व शयन आरती रात्रि 10:30 ये 11:00 बजे तक होगी।

हिन्दुस्थान समाचार/मुकेश/आकाश

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