खेती में वैज्ञानिक तकनीक अपनाकर आय को बढ़ाएं किसान : सूर्यप्रताप शाही
झांसी, 08 फरवरी (हि. स.)। आज रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झाॅंसी में उत्तर क्षेत्रीय किसान मेला एवं प्रदर्शनी का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने किया। इस अवसर पर कृषि मंत्री ने कहा कि खेती में वैज्ञानिक तकनीक अपनाकर आय को बढ़ाया जा सकता है। बुंदेलखण्ड में धान की खेती होने पर उन्होंने हर्ष व्यक्त किया। इसका श्रेय प्रधानमंत्री को दिया। कृषि मंत्री ने कहा कि रामराज्य राम मंदिर की स्थापना के बाद प्रथम बार कृषि विवि झाँसी आया हूं।
उद्घाटन सत्र में कृषि मंत्री शाही ने रानी झांसी का ध्यान दिलाते हुए कहा कि यह वीरों की भूमि रही है। भारत माता की जयकार करते हुए कृषि विवि झाँसी के कुलपति एवं वैज्ञानिकों,आइसीएआर,एफपीओ के किसानों को शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर 7 उन्नतशील किसानों को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि किसानों को जागरूक करने के लिए लगी कृषि प्रदर्शनी में किसान स्टाॅल के साथ-साथ विवि के फार्म को भी अवश्य देखें इससे आपको नई - नई जानकारी मिल सकेंगी। किसानों को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि खेती में वैज्ञानिक तकनीक अपनाकर आय को बढ़ाया जा सकता है। बुंदेलखण्ड में धान की खेती होने पर उन्होंने हर्ष व्यक्त किया। इसका श्रेय प्रधानमंत्री को दिया। कृषि मंत्री ने कहा कि रामराज्य राम मंदिर की स्थापना के बाद प्रथम बार कृषि विवि झाँसी आया हूं। उन्होंने अयोध्या के प्रभारी होने के नाते मंदिर का भी दृष्टांत बताया।
उन्होंने रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विवि, झाँसी देश का प्रथम कृषि विवि है जहां मोबाइल हेल्थ क्लीनिक वाहन उपलब्ध है। इसका लाभ किसानों की कृषक समस्याएं खेत पर ही हल हो जाती हैं। इसमें सहयोग उत्तर प्रदेश सरकार का है। उत्तर प्रदेश सरकार की तमाम योजनाएं किसानों के लिए चलाई जा रही हैं इसका आप लोग लाभ उठाएं। उन्होंने सोलर पम्प योजना का जिक्र करते हुए कहा कि झाँसी जनपद को 1140 सोलर पम्प देना है। बुंदेलखण्ड के किसानों को सोलर पम्प तकनीक अपनाकर कृषि में लागत कम कर सकते हैं। यहां पर बुंदेलखण्ड औद्यौगिक पार्क, अन्र्तराष्ट्रीय एयरपोर्ट भी बनने जा रहा है। किसान समय से अधिक बुवाई कर लाभ उठाएं। बुंदेलखण्ड तिलहन एवं दलहन के लिए जाना जाता है किसान इसे अपनाकर आय बढ़ाएं एवं इसी के साथ - साथ साक सब्जी, फल फूल एवं अन्य लाभकारी फसल लगाएं। जय जवान जय किसान कहकर अपनी बात समाप्त की।
सभी अतिथियों का स्वागत परिचय कराते हुए कुलपति डाॅ. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि बुंदेलखण्ड में दलहन, तिलहन, नीबू वर्गीय फसलों की असीम संभावनाएं हैं। प्राकृतिक संसाधनों के क्षरण को ध्यान में रखते हुए पुनर्जीवी कृषि, एकीकृत बागवानी तथा शुष्क मौसम में भी कृषि की नई तकनीकों को अपनाने की जरूरत है। घटते जल स्तर की समस्या के साथ-साथ दलहन तिलहन, मछली पालन, श्री अन्न जैसे विषयों पर बुुंदेलखण्ड को आगे आना होगा। उन्होंने बताया कि इस मेले में भा.कृ.अनु.परि. के 25 संस्थानों सहित देश भर के कृषि संस्थानों के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
विधायक सदर झाँसी रवि शर्मा ने इस मेले का प्रमाण देते हुए कहा कि बुंदेलखण्ड अब किसानी क्षेत्र में आगे बढ़ा हैं। प्रधानमंत्री के प्रयासों से यह कृषि विवि स्थापित हो पाया है। वह किसानों के लिए लगातार अथक प्रयास कर रहे हैं। इस मेले एवं कुलपति के कार्यों की प्रसंसा की। मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कृषि विवि झाँसी और 27 एफपीओ के मध्य हुए एमओयू का बटन दबाकर शुभारम्भ किया। साथ ही साथ श्री लक्ष्मी मधु का भी विमोचन किया, राष्ट्रीय कृषि विकास परियोजना, उत्तर प्रदेश द्वारा वित्त पोषित मधुमक्खी परियोजना के अंतर्गत झाँसी एवं ललितपुर जिले के 150 किसानों को 300 मधुमक्खी के बक्से वितरित किए गए। इसमें परागकण एवं शहद के उत्पाद भी शामिल हैं। प्रक्षेत्र मधुमक्खी पालन वाटिका को भी किसानों के मध्य प्रदर्शनी हेतु प्रदर्शित किया गया। संरक्षित पौध नर्सरी कैंपस जिसमे पौली हाउस, पौध नर्सरी सुविधा का भी विमोचन किया गया। सभी दलहनों एवं तिलहनों बीजों के अलावा सभी कृषि फसलों की प्रदर्शनी (सीड वाॅल) का भी उद्घाटन किया जिसमें 250 से अधिक किस्मों के उन्नतशील बीजों की प्रदर्शनी लगाई। उन्होंने मेले परिसर में लगी प्रथम स्टाॅल सतत् विकास के लिए पुनर्जीवी कृषि सहित कुछ स्टाॅल का निरीक्षण कर मेले की प्रशंसा की।
इससे पूर्व कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही का स्वागत कुलपति डाॅ. अशोक कुमार सिंह ने पुष्पगुच्छ एवं बुंदेली अंगवस्त्र उड़ाकर स्वागत किया। कृषि मंत्री सहित सभी अतिथियों को कृषि विवि झाँसी द्वारा तैयार किए गए उत्पाद भेंट किए।
प्रथम सत्र में विभिन्न वैज्ञानिकों ने दलहन, तिलहन, फूल, सब्जियां, फल, औषधीय एवं सुगंधित पौधे कृषि वानिकी पर किसानों को व्याख्यान दिया गया । इसकी अध्यक्षता डॉ शांतनु कुमार दुबे अटारी कानपुर ने की। द्वितीय सत्र में पशुपालन पशु रोग एवं उनके निदान तथा मछली पालन पर डॉक्टर बीके बड़ा डॉक्टर प्रमोद सोनी आदि पशु चिकित्सा वैज्ञानिको ने विभिन्न जानकारी किसानों को दी। इसकी अध्यक्षता डॉ वीपी सिंह ने की।
समवर्ती सत्र बहुउद्देशीय हाल शैक्षणिक भवन में श्री अन्न का उत्पादन बढ़ाने,पृसंस्करण एवं बनाने पर परिचर्चा हुई। इसमें निदेशक अटारी जबलपुर डॉ आरके सिंह ने अध्यक्षता की।
इनके लगे स्टाल
प्रक्षेत्र भ्रमण, कैफेटेरिया फसल, सब्जियां, फल, फूल, औषधीय एवं सुगंधित पौधे वर्मी कंपोस्ट इकाइयों का भी किसानों ने भ्रमण किया। मेले में प्रमुख आकर्षण सतत् विकास के लिए पुनर्जीवी कृषि का स्टाल रहा। रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय का बीज बिक्री केंद्र, उद्यानिकी एवं वानिकी, पशुपालन एवं मत्स्य, कृषि महाविद्यालय, बैद्यनाथ, बलिनी मिल्क, दयाल फर्टिलाइजर्स, काटेरवा एग्री साइंस, बांदा कृषि विश्वविद्यालय, आइसीआइसीआइ बैंक, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर, चंबल फर्टिलाइजर्स, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर, चंद्रशेखर कृषि विश्वविद्यालय कानपुर, सरदार वल्लभभाई प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ, विभिन्न ट्रैक्टर, रॉयल एनफील्ड नाबार्ड, बीज विक्री केंद्र, आशा सेल्स दिल्ली, ध्यान शिविर, मेडिकल यूनिट, बरसाना एग्रोटेक, पराग दूध, इफको, पशु स्वास्थ्य विभाग, मत्स्य विभाग उत्तर प्रदेश कृषि विभाग झाॅंसी धनुका एग्रीटेक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के बरेली नैनीताल, लखनऊ, मुंबई, प्रयागराज, हैदराबाद के भी स्टॉल लगे थे।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी अधिकारी, वैज्ञानिक, शिक्षक, विभिन्न जनप्रतिनिधि, किसान, स्कूल के बच्चे, एनसीसी विद्यार्थी उपस्थित रहे। संचालन डॉ आर्तिका सिंह एवं डॉ आशुतोष शर्मा ने संयुक्त रूप से किया एवं सभी का आभार प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ एसएस सिंह ने व्यक्त किया।
हिन्दुस्थान समाचार/महेश/बृजनंदन
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