नब्बे के हुए राम नाईक, मुंबई में हुआ अभिनंदन समारोह
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि सच्चा जनप्रतिनिधि बनना रामभाऊ से ही सीखा
मुंबई, 19 अप्रैल (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल व केन्द्रीय मंत्री रहे वरिष्ठ भाजपा नेता राम नाईक 90 बरस के हो गए। इस उपलक्ष्य में मुंबई में उनके अभिनंदन के लिए भव्य समारोह आयोजित किया गया। तुंगारेश्वर के बालयोगी सदानंद महाराज के पवित्र सान्निध्य में आयोजित इस समारोह में लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन विशेष रूप से पधारीं। इसके साथ ही केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल, भाजपा मुंबई के अध्यक्ष आशीष शेलार सहित महाराष्ट्र के दूर इलाकों में बसे कुष्ठपीडित, दादरा – नगर हवेली के वयोवृद्ध स्वातंत्र्यसेनानी भी सम्मिलित हुए।
रामभाऊ का अभिनंदन करते हुए सुमित्रा महाजन ने कहा, “अत्यंत सुलझा हुआ, सेवाभावी संघ प्रचारक, जनता का काम कैसे करें, उसे निर्णयात्मक स्थिति तक कैसे ले जाएं, इसके प्रति पूर्ण संवेदनशील, विचारक व कर्मठ नेता यानी राम नाईक।”
सुमित्राताई ने इस अवसर पर बताया कि स्वयं मैंने रामभाऊ से कई बातें सीखीं। उन्होंने मुझे चुनाव जीतने का मंत्र दिया। अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए काम और जीवंत संपर्क रखने के उनके मंत्र का इस्तेमाल करके ही मैं स्वयं एक ही निर्वाचन क्षेत्र से लगातार आठ बार लोकसभा चुनाव जीती हूं।
राम नाईक जिस उत्तर मुंबई निर्वाचन क्षेत्र से लगातार पांच बार सांसद चुने गए, उसी क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने समारोह में भावुक होते हुए कहा कि मेरे पिताजी और भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रहे (स्व.) वेदप्रकाश और रामभाऊ की मित्रता और सहयोग मैं बचपन से देखता आया हूँ। व्यक्तिगत तौर पर तो रामभाऊ मेरे पितृतुल्य हैं ही, मगर उनकी संपूर्ण जीवन की हर छोटी – मोटी बातों से हमें केवल सामाजिक कार्य के लिए ही नहीं तो व्यक्तिगत जीवन के लिए भी सीखने जैसा बहुत कुछ है। राम नाईक आदर्श कार्यकर्ता और नेता तो हैं ही मगर एक पति और पिता की भूमिका के लिए भी आदर्श हैं।
पद्म भूषण के लिए मनोनीत, जन्मभूमि (गुजराती) के संपादक कुंदन व्यास ने तो इस समारोह में बोलते हुए राम नाईक के अनेकानेक कामों की यादें ताजा कीं। पिछले 50 वर्षों से राम नाईक की राजनीति करीब से देख रहे कुंदन व्यास ने कहा, “1978 में विधायक राम नाईक जितना पारदर्शी थे, उतने ही पारदर्शी मैंने उन्हें राज्यपाल के रूप में भी पाया है। एक बार कोई काम राम नाईक ने हाथ में लिया तो उसे पूर्ण करे बगैर वे रुकते ही नहीं, फिर उसके लिए कितने भी दिन, महीने, साल क्यों न लगे? पिछले 20 वर्षों से तारापुर अणु ऊर्जा प्रकल्प पीड़ितों के लिए वे स्वयं मुंबई उच्च न्यायलय में लड़ रहे हैं। कोई दूसरा ऐसा नेता नहीं मिलेगा।”
अपने अभिनंदन को उत्तर देते हुए पूर्व राज्यपाल राम नाईक ने बताया कि 18 – 19 साल की उम्र में जब कश्मीर के मुद्दे को लेकर डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने सत्ता त्याग कर भारतीय जनसंघ की स्थापना की तो उससे प्रभावित हो कर मैं जनसंघ से जुड़ा। वहां पंडित दीनदयाल ने ‘अंत्योदय’ के लिए राजनीति की सीख दी और मैं काम करता रहा। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाया तो इसका आनंद पूरे देश को है लेकिन मेरे जैसे कार्यकर्ता को तो वह तपस्यापूर्ति का पल है। राम नाईक ने सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में काम करने वालों को दो गुरु मंत्र भी दिए। पहला, सामने वाला कितना भी गुस्से में क्यों न हो उससे शांतिपूर्ण व्यवहार करना चाहिए और दूसरा, विरोधी को नहीं बल्कि उसके विरोध के कारण को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
इस अवसर पर उत्तर मुंबई के सांसद गोपाल शेट्टी, विधायक विद्या ठाकुर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (मुंबई) के संघचालक सुरेश भगेरिया, विश्व हिंदू परिषद के देवकीनंदन जिंदल ने भी राम नाईक को दीर्घायुरारोग्य के लिए प्रकट शुभकामनाएं दी। महाराष्ट्र भाजपा के उपाध्यक्ष व अभिनंदन समारोह के प्रमुख संयोजक जयप्रकाश ठाकुर ने आभार प्रकट किए। इस अवसर पर ‘पद्म भूषण’ से मनोनीत राम नाईक के जीवनी पर लघु वृत्त चित्र दिखाया गया।
हिन्दुस्थान समाचार/ जितेन्द्र/दधिबल
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