कोयला खदानों की नीलामी में पारदर्शिता ने ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ किया

कोयला खदानों की नीलामी में पारदर्शिता ने ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ किया
WhatsApp Channel Join Now
कोयला खदानों की नीलामी में पारदर्शिता ने ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ किया


कोयला खदानों की नीलामी में पारदर्शिता ने ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ किया


नई दिल्ली, 5 मार्च (हि.स.)। कोयला क्षेत्र में 2014 के दौरान किए गए सुधारों ने लंबे समय से चली आ रही चुनौतियों का न सिर्फ समाधान किया बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि एवं ऊर्जा सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले कोयला क्षेत्र की क्षमता को उजागर किया। नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता को बनाए रखते हुए कोयला मंत्रालय ने निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी को प्रेरित करने से लेकर ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत किया और कोयला उद्योग के भीतर सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया।

कोयला मंत्रालय के रिकार्ड के अनुसार वित्तीय वर्ष 2015 से वित्तीय वर्ष 2020 तक कैप्टिव नीलामी के तहत कुल 24 कोयला खदानों की नीलामी की गई जबकि वित्तीय वर्ष 2020 से अब तक कुल 91 कोयला खदानों की सफलतापूर्वक नीलामी की गई है। इसकी शुरुआत के बाद से किसी तरह की शिकायत नहीं मिली है।

ऐसे में पारदर्शी और निष्पक्ष नीलामी प्रक्रिया को उद्योग जगत ने खूब सराहा। कोयला ब्लॉक नीलामी में भाग लेने वाली निजी क्षेत्र की संस्थाओं की संख्या में वृद्धि से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और कोयला क्षेत्र में नए निवेश और नवीन प्रौद्यौगिकियों को शामिल करने से मूल्य श्रृंखला में वृद्धि और विकास को बढ़ावा मिला।

दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2014 में 204 कोयला ब्लॉकों को रद्द करने के बाद से कोयले की मांग को पूरा करने के लिए कोयला मंत्रालय ने कोयला संसाधनों के आवंटन में दक्षता, जवाबदेही और स्थिरता बढ़ाने के लिए नीति निर्धारण किए थे। ऐसे मेंं कोयला ब्लॉकों को फिर से आवंटित करने के लिए निजी क्षेत्र को कोयला ब्लॉकों की नीलामी करने और विनिर्दिष्ट अंतिम-उपयोग संयंत्रों के लिए पीएसयू को कोयला ब्लॉक आवंटित करने के लिए कोयला खान (विशेष उपबंध) अधिनियम 2015 लागू किया गया था।

इसके तहत पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कार्टेल (लिखित करार) गठन को रोकने के लिए दो-चरणीय नीलामी व्यवस्था को अपनाया गया। अंतिम-उपयोग विनिर्दिष्ट व्यवस्था के तहत निजी क्षेत्र को 24 कोयला खदानों की नीलामी की गई और 53 कोयला खदानों को विनिर्दिष्ट अंतिम-उपयोग संयंत्रों के साथ सार्वजनिक उपक्रमों को आवंटित किया गया।

इसके बाद जून 2020 में सरकार ने नीलामी पद्धति, निविदा शर्तों और नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता एवं लचीलेपन को बढ़ाते हुए अंतिम उपयोग प्रतिबंधों के बिना कोयला खदानों की नीलामी शुरू की। इतिहास में पहली बार वाणिज्यिक कोयला नीलामी में निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों की भागीदारी देखी गई, जिसमें कोई तकनीकी या वित्तीय पात्रता मानदंड नहीं था। इससे मौजूदा कंपनियों के साथ-साथ उन कंपनियों की भी व्यापक भागीदारी देखने को मिली, जिनके पास खनन क्षेत्र में किसी तरह का पूर्व अनुभव नहीं था। परिणामस्वरूप, कोयला खनन में कोई पूर्व अनुभव नहीं रखने वाले कई पहली बार बोली लगाने वाले सफल बोलीदाताओं के रूप में उभरे हैं। इसके अतिरिक्त कई सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने भी भाग लिया।

कोयला मंत्रालय के मुताबिक इन खदानों के एक बार परिचालन शुरू होने पर 33,000 करोड़ रुपये से अधिक का वार्षिक राजस्व और 3 लाख से अधिक लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।

हिन्दुस्थान समाचार/ बिरंचि सिंह/दधिबल

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story