संविधान हमारे लोकतंत्र की नींव और राष्ट्र की प्रगति का मार्गदर्शक : डॉ. वीरेन्द्र कुमार 

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संविधान हमारे लोकतंत्र की नींव और राष्ट्र की प्रगति का मार्गदर्शक : डॉ. वीरेन्द्र कुमार 


नई दिल्ली, 27 नवंबर (हि.स.)।केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेन्द्र कुमार ने कहा कि भारतीय संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं है, यह हमारे लोकतंत्र की नींव और राष्ट्र की प्रगति का मार्गदर्शक है। इसके मूल्यों को अपने दैनिक जीवन में अपनाना आवश्यक है ताकि हम एक ऐसा भारत बना सकें, जहां समानता, न्याय, और गरिमा हर नागरिक के लिए सुनिश्चित हो। डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में भारतीय संविधान के 75 वर्ष के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वीरेन्द्र कुमार ने कहा कि भारतीय संविधान, जो 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत हुआ, भारत की विविधता में एकता और लोकतंत्र के प्रति अडिग प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह समावेशी विकास, न्याय और समान अवसरों के सिद्धांतों को साकार करता है। इन मूल्यों के अनुरूप, मंत्रालय विभिन्न पहलों के माध्यम से समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों को सशक्त करने और उन्हें उनके अधिकार दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

कार्यक्रम में राज्य मंत्री रामदास आठवले ने कहा कि संविधान दिवस युवाओं के मन में ज्ञान का दीप प्रज्वलित करता है, उन्हें भारतीय संविधान को समझने, सम्मान देने और पालन करने के लिए प्रेरित करता है। ऐसे समय में जब लोकतंत्र के महत्व को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है, संविधान दिवस का उत्सव हमें अपने संवैधानिक मूल्यों से जोड़े रखता है और भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. अंबेडकर की कालजयी विचारधाराओं को फैलाने का माध्यम बनता है।

मंत्रालय ने अनुसूचित जातियों , अन्य पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों , विमुक्त जनजातियों, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और वरिष्ठ नागरिकों को सशक्त करने के लिए कई प्रयास किए हैं। यह समावेशिता और गैर-भेदभाव के संवैधानिक आदर्शों को साकार करने की दिशा में कार्यरत है।

कार्यक्रम में राज्य मंत्री बी.एल. वर्मा ने कहा कि हमारा संविधान एक जीवंत दस्तावेज है, जो प्रत्येक नागरिक के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता, और बंधुत्व सुनिश्चित करता है। यह हमें एक ऐसा समाज बनाने के लिए प्रेरित करता है, जहां कोई भी पीछे न छूटे।

कार्यक्रम में संविधान पर आधारित एक रोचक और संवादात्मक क्विज का आयोजन किया गया, जिसमें 10 टीमों ने भाग लिया। यह क्विज 25 प्रश्नों पर आधारित था, जो संविधान के विभिन्न पहलुओं, इसके इतिहास और मूल सिद्धांतों को कवर करता था। सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग और दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सचिवों ने भी इस अवसर पर संविधान की प्रासंगिकता और हर नागरिक के लिए न्याय व गरिमा सुनिश्चित करने में इसकी भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने 'विकसित भारत' के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया, जहां हर व्यक्ति को समान अवसर और सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार मिले।

कार्यक्रम में भारतीय संविधान की ऐतिहासिक यात्रा और आधुनिक महत्व पर आधारित एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी

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