आपदा चेतावनी के मामले में वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरा भारतः जितेन्द्र सिंह
नई दिल्ली, 26 दिसंबर (हि.स.)। विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आईएनसीओआईएस (इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशन सर्विसेज) 2004 में हिंद महासागर सुनामी की 20वीं वर्षगांठ के अवसर पर कहा कि भारत आज आपदा चेतावनी और अन्य देशों की जरूरतों को पूरा करने के मामले में वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि सुनामी के बाद आईएनसीओआई की संकल्पना 2004 में की गई थी। 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निरंतर समर्थन और प्राथमिकता के साथ इसने दुनिया के सबसे अत्याधुनिक संस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त की।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी की अग्रणी समुद्री पहलों की सराहना की, जिनमें 'डीप सी मिशन' भी शामिल है। इसकी घोषणा उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में की थी।
उन्होंने समुद्री अनुसंधान और आपदा तैयारी में भारत की तीव्र प्रगति पर भी प्रकाश डाला।
मंत्री ने विश्व स्तरीय आपदा चेतावनी प्रणालियां उपलब्ध कराने में देश के वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरने पर जोर दिया तथा सुरक्षा एवं स्थिरता को बढ़ावा देने में वैज्ञानिक प्रगति की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
दुनिया भर में 230,000 से ज़्यादा लोगों की जान लेने वाली भयावह सुनामी पर विचार करते हुए, जिसमें भारत में 10,749 लोगों की जान गई थी, डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस घटना से मिले अमूल्य सबक और उसके बाद अपनाई गई परिवर्तनकारी नीतियों पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा, इस त्रासदी ने आईएनसीओआईएस जैसी संस्थाओं की स्थापना के लिए उत्प्रेरक का काम किया, जो अब जीवन और आजीविका की सुरक्षा के लिए भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
भारत की सुनामी पूर्व चेतावनी प्रणाली, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना की गई है, उसे राष्ट्र की आपदा तैयारी की आधारशिला के रूप में प्रदर्शित किया गया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के विकसित भारत बनने की यात्रा में समुद्री अन्वेषण के बढ़ते महत्व को रेखांकित किया। 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा और प्रचुर समुद्री संसाधनों के साथ, उन्होंने उनके सतत अन्वेषण और संरक्षण का समर्थन किया। उन्होंने कहा, हमारा डीप-सी मिशन और बायोई3 [पर्यावरण, रोजगार और अर्थव्यवस्था के लिए जैव प्रौद्योगिकी] जैसी पहल ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र सृजित कर रही है जो न केवल जैव विविधता को बढ़ाएगा बल्कि राष्ट्रीय समृद्धि में भी योगदान देगा। उन्होंने घोषणा की, हम संभवतः 2026 तक एक भारतीय को गहरे समुद्र में और एक अन्य को अंतरिक्ष में भेजने करने की योजना बना रहे हैं, जो एक ऐतिहासिक मील का पत्थर होगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने आईएनसीओआईएस के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय सहयोग में भारत की सक्रिय भूमिका पर भी प्रकाश डाला, जो यूनेस्को श्रेणी 2 प्रशिक्षण केंद्र की मेजबानी करता है। उन्होंने कहा, इन जैसी पहलों के माध्यम से हम न केवल वैश्विक साझेदारी को मजबूत कर रहे हैं, बल्कि दुनिया भर में सतत तटीय समुदायों के लिए मार्ग भी प्रशस्त कर रहे हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी
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