डॉ. हेडगेवार का स्वप्न था श्रेष्ठ एवं संगठित भारत : रामदत्त चक्रधर

डॉ. हेडगेवार का स्वप्न था श्रेष्ठ एवं संगठित भारत : रामदत्त चक्रधर
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डॉ. हेडगेवार का स्वप्न था श्रेष्ठ एवं संगठित भारत : रामदत्त चक्रधर


- अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पं. विजयशंकर मेहता 'डॉ. हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान' से विभूषित

कोलकाता, 17 दिसंबर (हि.स.)। आत्मविस्मृत हिन्दू समाज को आत्मबोध कराना एवं राष्ट्रीयता के भाव से संगठन का निर्माण करना डॉ. हेडगेवार की सबसे बड़ी देन है। भारत शक्तिशाली बनेगा तभी विश्व का भला होगा और यह तभी हो सकता है जब हिन्दू संगठित होगा। डॉ. हेडगेवार का स्वप्न था श्रेष्ठ, संगठित एवं आत्मनिर्भर भारत का निर्माण। उनके द्वारा स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में समाज को जागृत करने की असीम शक्ति है। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह रामदत्त चक्रधर ने श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के तत्वावधान में स्थानीय जीडी बिड़ला सभागार में रविवार को आयोजित 34वें डॉ. हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान 2023 समारोह में कही।

समारोह में जीवन प्रबंधन गुरु पंडित विजयशंकर मेहता को डॉ. हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान-2023 से सम्मानित किया गया। पंडित मेहता को सम्मान स्वरूप एक लाख रुपये का चेक एवं मानपत्र प्रदान किया गया। कार्यक्रम के प्रधान वक्ता चक्रधर ने डॉ. हेडगेवार के जीवन प्रसंगों का उल्लेख करते हुए बताया कि श्रेष्ठ विरासत के जीवन मूल्यों को स्थापित करने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक है। परिवार व्यवस्था, सामाजिक समरसता, पर्यावरणपूरक जीवन, स्वदेशी की व्याप्ति तथा नागरिक शिष्टाचार आदि पांच मंत्र भारत को समृद्ध बनाने में सहायक होंगे।

सम्मानित होने के बाद पंडित विजयशंकर मेहता ने पुस्तकालय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत को 'राष्ट्रीयता' शब्द का उपहार डॉ. हेडगेवार की सबसे बड़ी देन है। उन्होंने समाज में व्याप्त चार विसंगतियों यथा राष्ट्र के प्रति भ्रष्टाचार, समाज के प्रति अपराध, व्यवस्था के प्रति निकम्मापन एवं परिवार के प्रति उदासीनता को वर्तमान समस्याओं का मूल बताया।

प्रधान अतिथि एवं उद्योगपति सजन कुमार बंसल ने कहा कि संघ के विचारों से प्रेरित होकर ही हम कोलकाता पिंजरापोल सोसाइटी, वननवंधु परिषद जैसी अनेक संस्थाओं का सफलतापूर्वक संचालन कर पा रहे हैं।

आचार्य राकेश कुमार पाण्डेय ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉ. हेडगेवार के स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत भारत की दशा एवं दिशा चिंतन को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व ही राष्ट्र की मूल आत्मा है। उन्होंने हनुमान जी को निर्भीकता एवं सदैव प्रयासरत रहने का प्रेरणास्त्रोत बताया।

पुस्तकालय के अध्यक्ष महावीर बजाज ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि डॉ. हेडगेवार व्यक्ति नहीं, एक विचार हैं। प्रारंभ में शिबेन्द्र त्रिपाठी ने राष्ट्र मंत्रे जागाइलो देश...' बांग्ला गीत की प्रस्तुति की। महावीर प्रसाद रावत, नन्दकुमार लढ़ा, अरुण प्रकाश मल्लावत, अजेन्द्रनाथ त्रिवेदी, अजय चौबे, मोहनलाल पारीक, सत्यप्रकाश राय, संजय मंडल एवं राजेश अग्रवाल लाला' ने अतिथियों का माल्यार्पण एवं अंगवस्त्र पहनाकर स्वागत किया।

मंच पर संघ के वरिष्ठ प्रचारक गुरुशरण एवं बंशीधर शर्मा भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में आचार्य राकेश पाण्डेय द्वारा रचित कालगणना की लघु पुस्तिका का विमोचन भी किया गया। समारोह में जयंतराय चौधरी, प्रशांत भट्ट, ब्राहृानंद बंग, राधेश्याम बजाज, तेजबहादुर सिंह, महावीर प्रसाद मनकसिया, वास्तुमित्र शिवनारायण मूंधड़ा, गोविन्द सारडा, बुलाकीदास मीमानी, दयाशंकर मिश्र सहित कोलकाता एवं हावड़ा के सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र के अनेक गण्यमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/मधुप/पवन

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