दिवाली 2025: ग्रीन पटाखे भी पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त नहीं, आतिशबाजी से पहले अपनाएं ये सावधानियां
दिवाली का त्यौहार खुशियों और रोशनी का प्रतीक है, लेकिन दिल्ली-एनसीआर जैसे शहरों में यह त्योहार वायु प्रदूषण को भी कई गुना बढ़ा देता है। पिछले कई सालों से पटाखों पर कड़े प्रतिबंध लगे हुए हैं, लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट ने कुछ विशेष शर्तों के साथ ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति दी है। हालांकि, पर्यावरण विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्रीन पटाखे भी पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त नहीं होते; केवल इनसे निकलने वाला धुआं और हानिकारक तत्व पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम होते हैं। इसलिए दिवाली पर सुरक्षित और जिम्मेदार तरीके से आतिशबाजी करना जरूरी है। आइए जानते हैं ग्रीन पटाखों की विशेषताएं, उनकी सीमाएं और आतिशबाजी से पहले किन सावधानियों का ध्यान रखें।
ग्रीन पटाखे क्या हैं?
ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे होते हैं। इन्हें CSIR-NEERI ने 2018 में विकसित किया था। इन पटाखों में हानिकारक रसायनों की मात्रा काफी कम होती है या उनकी जगह पर्यावरण के अनुकूल तत्वों का उपयोग किया जाता है। जैसे:
जिओलाइट और आयरन ऑक्साइड: जलने पर कम धुआं और कम हानिकारक गैसें छोड़ते हैं।
कम शोर: पारंपरिक पटाखों का शोर 160 डेसिबल तक हो सकता है, जबकि ग्रीन पटाखों का शोर लगभग 110-125 डेसिबल होता है।
इनसे निकलने वाली गैसें और धुआं पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम हानिकारक होते हैं, लेकिन पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होते।

क्या ग्रीन पटाखे पूरी तरह प्रदूषण मुक्त हैं?
ग्रीन पटाखे पूर्णतः पॉल्यूशन फ्री नहीं होते। ये पारंपरिक पटाखों की तुलना में लगभग 30-40% कम प्रदूषण करते हैं। फिर भी इनमें कुछ धुआं, हानिकारक गैसें और छोटे कण निकलते हैं। यदि बहुत सारे लोग एक ही समय में ग्रीन पटाखे जलाते हैं, तो यह मामूली प्रदूषण भी मिलकर गंभीर समस्या बन सकता है। CPCB के विशेषज्ञों के अनुसार, जो भी वस्तु धुआं पैदा करती है, वह पूरी तरह इको-फ्रेंडली नहीं हो सकती।
आतिशबाजी से पहले किन बातों का रखें ध्यान?
1. केवल असली ग्रीन पटाखे खरीदें
ग्रीन पटाखों पर QR कोड होना जरूरी है। इसे स्कैन कर के असली या नकली होने की पुष्टि करें।
नकली ग्रीन पटाखों में अधिक प्रदूषण फैलाने वाले केमिकल हो सकते हैं।
2. पटाखे जलाने का समय निर्धारित करें
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार दिल्ली-एनसीआर में पटाखे सुबह 6-7 बजे और रात 8-10 बजे के बीच ही जलाएं।
इससे एक ही समय में अत्यधिक आतिशबाजी नहीं होगी और प्रदूषण स्तर कम रहेगा।
3. बीमार, बुजुर्ग और बच्चों का ध्यान रखें
धुएं से अस्थमा, एलर्जी और सांस की तकलीफ वाले लोग प्रभावित हो सकते हैं।
ऐसे लोग घर में रहें, एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें या N95 मास्क पहनें।

4. कम मात्रा में और खुले स्थान पर पटाखे जलाएं
ज्यादा पटाखे जलाने से नुकसान बढ़ता है।
बंद या भीड़भाड़ वाले इलाके से बचें। खुले मैदान, पार्क या सोसाइटी के खुले क्षेत्र में दूरी बनाकर ही पटाखे जलाएं।

