शिक्षा प्राप्त करने और प्रदान करने का सहयोगपूर्ण तरीका भारत को विश्वगुरु बनाएगा : शंकरानंद

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शिक्षा प्राप्त करने और प्रदान करने का सहयोगपूर्ण तरीका भारत को विश्वगुरु बनाएगा : शंकरानंद


नई दिल्ली, 08 अगस्त (हि.स.)। अखिल भारतीय शिक्षा मंडल (एबीएसएम) के संगठन सचिव शंकरानंद ने गुरुवार को कहा कि शिक्षा प्राप्त करने और प्रदान करने का सहयोगपूर्ण तरीका भारत को विश्वगुरु बनाएगा।

शंकरानंद ने एबीएसएम अधिकारियों के साथ आज गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (जीजीएसआईपीयू) का दौरा किया और संकाय सदस्यों के साथ संवाद किया। परिचर्चा का उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार करना है। प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य स्वदेशी भारतीय शिक्षा प्रणाली की अवधारणा साझा करने के लिए विचारशील लोगों के साथ बातचीत करना था।

जीजीएसआईपीयू के कुलपति प्रोफेसर महेश वर्मा ने कहा कि युवाओं को एकजुट करना और अनुसंधान और शिक्षा के माध्यम से स्वदेशी समाधान खोजना विश्वविद्यालय का मुख्य ध्येय है। नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत, विश्वविद्यालय परिसर में भारतीय शिक्षा और संस्कृति को बढ़ावा देने का लक्ष्य है। उन्होंने शोध छात्रों से विकसित भारत के लिए दृष्टि विषय पर शोध पत्र जमा करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

एबीएसएम के संगठन सचिव शंकरानंद ने कहा कि नीतियों, बुनियादी ढांचे और कार्य संस्कृति के स्तर पर हमें और सुधार की ज़रूरत है, लेकिन समाधान नियमित संचार के माध्यम से प्राप्त किए जा सकते हैं। प्रतियोगिता की बजाय सहयोग से राष्ट्र का विकास हो सकता है। भौतिक विज्ञान के साथ-साथ हमें आध्यात्मिक विज्ञान की भी ज़रूरत है। बिना दिशा के गति हमें गंतव्य तक नहीं ले जा सकती। उन्होंने कहा कि भोजन, दवा और शिक्षा सब को सुगमता से मिलनी चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार

हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार / आकाश कुमार राय

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