(वार्षिकी) 5जी, 6जी मिशन और 100 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन के साथ संचार मंत्रालय के लिए 2025 रहा ऐतिहासिक

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(वार्षिकी) 5जी, 6जी मिशन और 100 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन के साथ संचार मंत्रालय के लिए 2025 रहा ऐतिहासिक


नई दिल्ली, 29 दिसंबर (हि.स.)। केंद्रीय संचार मंत्रालय के लिए यह साल अभूतपूर्व रहा। इस साल मंत्रालय ने छात्र, किसान, व्यापारी, कर्मचारी, महिलाएं और बुजुर्गों सहित सभी को तेज नेटवर्क, सस्ते डेटा और सुरक्षित डिजिटल सेवाएं मुहैया कराईं। मंत्रालय ने 5जी सेवाएं देश के अंतिम कोने तक पहुंचाकर, स्वदेशी चौथी पीढ़ी स्टैक का सफल रोलआउट कर दिया। इससे भारत स्वदेशी चौथी पीढ़ी स्टैक का सफल रोलआउट करने वाला विश्व का पांचवां देश बन गया। इसके अलावा मंत्रालय ने देश में राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन 2.0 की शुरुआत कर इंटरनेट का कनेक्शन 100 करोड़ लोगों तक पहुंचा दिया है।

केंद्रीय संचार मंत्रालय के अनुसार देश में सभी राज्यों में 5जी इंटरनेट को पहुंचाया गया। इसकी मदद से युवाओं ने घर बैठे फ्रीलांसिंग, कंटेंट क्रिएशन और डिजिटल स्टार्टअप शुरू किए। छोटे दुकानदारों, ठेला और रेहड़ी-पटरी वालों ने क्यूआर कोड, यूपीआई और ऑनलाइन भुगतान को अपनाया, जिससे उनका कारोबार बढ़ा और नकद पर निर्भरता कम हुई। 5जी सेवाएं सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में उपलब्ध हो गईं। 99.9 प्रतिशत जिलों तक इसकी पहुंच सुनिश्चित की गई और लगभग 85 प्रतिशत आबादी 5जी कवरेज के दायरे में आ गई। देश में अक्टूबर 2025 तक देशभर में 5.08 लाख पांचवीं पीढ़ी बेस ट्रांससीवर स्टेशन स्थापित किए गए। इससे नेटवर्क की गुणवत्ता में सुधार हुआ, कॉल ड्रॉप में कमी आई और डेटा स्पीड में बड़ा उछाल देखने को मिला।

दूरसंचार विभाग ने सुनिश्चित किया कि डिजिटल सुविधाएं केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित न रहें। ग्रामीण भारत को डिजिटल मुख्यधारा से जोड़ने के लिए राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन 2.0 के तहत फाइबर नेटवर्क का बड़े पैमाने पर विस्तार किया। वर्ष 2019 में जहां ऑप्टिकल फाइबर केबल की लंबाई 19.35 लाख रूट किलोमीटर थी, वह बढ़कर 42.36 लाख रूट किलोमीटर की गई। जिससे 2,14,843 ग्राम पंचायतें ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से जुड़ गईं। ग्रामीण इलाकों में टेलीफोन कनेक्शनों की वृद्धि 42.9 प्रतिशत रही, जो शहरी क्षेत्रों की तुलना में लगभग दोगुनी है।

इंटरनेट और ब्रॉडबैंड पहुंच के मामले में भी वर्ष 2025 ऐतिहासिक रहा। जून 2025 में इंटरनेट कनेक्शनों की संख्या 100.29 करोड़ रही, जो देश के इतिहास में एक रिकॉर्ड है। सितंबर 2025 तक ही ब्रॉडबैंड कनेक्शन 99.56 करोड़ तक पहुंच गए थे। प्रति वायरलेस औसत मासिक डेटा खपत 2014 की तुलना में 399 गुना बढ़कर 24.01 जीबी हो गया। मोबाइल ब्रॉडबैंड डाउनलोड स्पीड अक्टूबर 2025 में 131.47 मेगाबिट प्रति सेकंड तक पहुंची, जो दुनिया के सबसे तेज नेटवर्क वाले देशों में भारत को शामिल करती है। आम नागरिकों को सस्ती सेवाओं का लाभ देते हुए एक जीबी डेटा की औसत लागत मात्र 0.10 अमेरिकी डॉलर रही, जो वैश्विक स्तर पर सबसे सस्ती दरों में से एक है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सबसे बड़ी उपलब्धि स्वदेशी चौथी पीढ़ी (4 जी) स्टैक का विकास और रोलआउट रहा। यह तकनीक सी-डॉट, तेजस नेटवर्क्स और टीसीएस के सहयोग से मात्र दो वर्षों में विकसित की गई, जबकि अन्य देशों में ऐसी तकनीक विकसित करने में दशकों लगे। यह स्टैक पूरी तरह सॉफ्टवेयर आधारित और क्लाउड आधारित है तथा इसे आसानी से 5जी में अपग्रेड किया जा सकता है। भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) देशभर में इस स्वदेशी 4जी नेटवर्क का प्रसार कर रहा है। इससे विदेशी तकनीक पर निर्भरता कम हुई और देश का डिजिटल नियंत्रण मजबूत हुआ, जिसका सीधा लाभ आम लोगों को सुरक्षित और भरोसेमंद सेवाओं के रूप में मिला।

देश में छठी पीढ़ी (6जी) मिशन के तहत स्वदेशी अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देते हुए परीक्षण केंद्र स्थापित किए गए और अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारण में भारत की भूमिका मजबूत किया गया। भारत 6जी एलायंस के अंतर्गत 7 कार्य समूह गठित किए गए और वैश्विक अनुसंधान गठबंधनों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे भविष्य की संचार तकनीकों में भारत की भागीदारी सुनिश्चित हुई।

डिजिटल दुनिया में बढ़ती धोखाधड़ी से लोगों को राहत दिलाने के लिए इस साल संचार मंत्रालय का ‘संचार साथी’ एप बेहद प्रभावी साबित हुआ। इस नागरिक-केंद्रित पोर्टल पर 22 करोड़ से अधिक लोगों ने रजिस्टर किया। मोबाइल ऐप को 1.5 करोड़ से ज्यादा लोगों ने डाउनलोड किया। वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम सूचक (एफआरआई) ने 70 लाख से अधिक संदिग्ध लेनदेन पर चेतावनी जारी कर नागरिकों के लगभग 450 करोड़ रुपये बचाए। 26.35 लाख खोए या चोरी हुए मोबाइल हैंडसेट ट्रेस किए गए, जिनमें से 7.3 लाख सही मालिकों को वापस सौंपे गए। 6.21 लाख धोखाधड़ी से जुड़े अंतरराष्ट्रीय उपकरण पहचान पत्र (आईएमईआई) ब्लॉक किए गए। अंतरराष्ट्रीय स्पूफ्ड कॉल रोकथाम प्रणाली ने रोजाना होने वाले फर्जी कॉल प्रयासों को न्यूनतम कर दिया, जिससे आम लोगों का भरोसा डिजिटल सेवाओं पर और बढ़ा।

भारत मोबाइल कांग्रेस ने तकनीक और नवाचार को आम लोगों से जोड़ा। अक्टूबर महीने में नई दिल्ली में आयोजित चार दिवसीय इस आयोजन में 1.4 लाख से अधिक लोग पहुंचे थे। 860 प्रदर्शकों, 465 भारतीय स्टार्टअप्स और वैश्विक कंपनियों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर सुरक्षा, क्वांटम संचार, उपग्रह संचार और स्मार्ट मोबिलिटी जैसे क्षेत्रों में 1500 से अधिक मामलों का प्रदर्शन किया।

मंत्रालय की उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत घरेलू दूरसंचार उत्पादन को बढ़ावा मिला, जिससे 96,240 करोड़ रुपये की बिक्री, 19,240 करोड़ रुपये का निर्यात और लगभग 30,000 रोजगार सृजित हुए। साथ ही मंत्रालय ने केंद्रीकृत राइट ऑफ वे पोर्टल ने दूरसंचार अवसंरचना के लिए अनुमतियों की प्रक्रिया को सरल बनाया, जिससे अनुमति का समय 448 दिनों से घटकर औसतन 34 दिन रह गया और 25 प्रतिशत आवेदनों का निपटारा 15 दिनों में होने लगा।

हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में बाढ़ और भूस्खलन तथा चक्रवात मोंथा और दित्वा के समय स्वदेशी सेल ब्रॉडकास्टिंग प्रणाली के जरिए लोगों को समय पर स्थान-विशिष्ट चेतावनी संदेश भेजे गए। इससे जान-माल की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई और संकट की घड़ी में लोग अपनों से संपर्क में बने रहे।

दूरसंचार अधिनियम 2023 के तहत नियम निर्माण की प्रक्रिया को भी तेज किया गया। दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियम और अधिकार मार्ग नियम 2024 जैसे प्रावधान लागू किए गए। अनुपालन बोझ कम करने के लिए 114 में से 110 अनावश्यक नियम हटाए या सरलीकृत किए गए। सुरक्षा प्रमाणन की वैधता दो वर्ष की गई और परीक्षण शुल्क में 95 प्रतिशत तक कटौती की गई, जिससे कारोबार सुगमता बढ़ी।

मंत्रालय की भारतनेट परियोजना और चौथी पीढ़ी संतृप्ति परियोजना के जरिए दूरदराज के गांवों तक मोबाइल और ब्रॉडबैंड सेवाएं पहुंचाईं गईं। दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास कोष के तहत 136 अनुसंधान परियोजनाओं को 550 करोड़ रुपये का वित्त पोषण दिया गया। संचार मित्र 2.0 योजना के जरिए 2200 युवा छात्रों को डिजिटल सुरक्षा और धोखाधड़ी रोकथाम के लिए जागरूक किया गया।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर

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