धारः ऐतिहासिक भोजशाला में 30वें दिन भी जारी रहा एएसआई का सर्वे
-सर्वे टीम में शामिल हुए तीन भाषा विशेषज्ञ, भोजशाला के मिले शिलालेखों को पढ़ेंगे
भोपाल, 20 अप्रैल (हि.स.)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग का सर्वे शनिवार को 30वें दिन भी जारी रहा। दिल्ली और भोपाल के 22 अधिकारियों की टीम 24 श्रमिकों के साथ सुबह आठ बजे भोजशाला परिसर में पहुंची और शाम पांच बजे बाहर आई। यहां टीम ने आधुनिक उपकरणों के जरिए वैज्ञानिक पद्धति से करीब नौ घंटे काम किया। सर्वे टीम के साथ हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा, आशीष गोयल और मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद खान भी मौजूद रहे।
एएसआई टीम के लीडर अतिरिक्त महानिरीक्षक डॉ आलोक त्रिपाठी भी शनिवार को धार पहुंच गए हैं। उनके नेतृत्व में सर्वे कार्य में गति आई है। एएसआई के सर्वे कार्य में 30वें दिन तीन भाषा विशेषज्ञ भी जुड़े। तीनों विशेषज्ञों ने भोजशाला के भीतरी परिसर में शिलालेख और अन्य हिंदू प्रतीक चिह्नों से प्लास्टिक की फिल्म हटवाई और प्राथमिक जांच की। सर्वे से पहले टीम ने शिलालेखों और प्रतीक चिह्नों की सुरक्षा के लिए प्लास्टिक की फिल्म लगाई थी। रविवार को विशेषज्ञ शिलालेखों पर लिखे विषय को हिंदी और अंग्रेजी में अनुवादित करेंगे। भोजशाला परिसर में स्थित कमाल मौलाना की दरगाह में भी जो शिलालेख उर्दू या फारसी में हैं, उनके भी अध्ययन का कार्य विशेषज्ञों द्वारा किया जाएगा।
सर्वे टीम के साथ मौजूद रहे हिंदू पक्षकार गोपाल शर्मा ने बताया कि शनिवार को व्यापक स्तर पर सर्वे किया गया है। उत्तर की दिशा में दीवार की लेवलिंग का कार्य तेज गति से हुआ। दक्षिण में एक प्लेटफार्म मिला है, जिसकी सफाई की गई। पश्चिम दिशा में भी खोदाई जारी है। भोजशाला की नींव और उससे संबंधित तथ्यों का पता किया जा रहा है। यज्ञ कुंड के पास में मिट्टी की खोदाई का कार्य भी जारी रहा।
गोपाल शर्मा ने बताया कि अब तक जो साक्ष्य सामने आए, निश्चित ही भोजशाला की गाथा को बताते हैं, साथ ही आक्रमणकारियों के कर्मों का परिणाम भी साक्ष्य के रूप में भोजशाला में दिखाई दे रहा है। भोजशाला प्रथम दृष्टिया में मंदिर है, यह सभी ने देखा है, परंतु इसे मस्जिद में परिवर्तित करने का कार्य मध्यकाल से चल रहा है। उन्हीं से प्रभावित होकर हिंदू समाज ने भोजशाला की मुक्ति ओर गौरव की पुनर्स्थापना को लेकर सतत संघर्ष किया है और हमारे पूर्वजों ने 1952 में महाराजा भोज उत्सव समिति का पुनर्गठन कर राजा भोज मां वाग्देवी और भोजशाला को जन जन तक पहुंचने को लेकर प्रयत्न किया था। निश्चित ही हम सफल हुए हैं और हिंदू समाज भोजशाला के विषय में जानने को लेकर आतुर हैं।
वहीं, मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद ने बताया कि टीम के तीन नए सदस्यों ने दरगाह परिसर में करीब आधा घंटे तक कार्य किया। वहां उर्दू व फारसी में जो लिखावट है, उसे भी पढ़ा जाएगा।
इधर, गत दिवस मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद द्वारा भोजशाला में सर्वे में खुदाई में निकली गौतम बुद्ध की मूर्ति की बात छिपाने के आरोप पर हिंदू पक्षकार और याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि प्रतिवादी द्वारा कुछ दिनों से लगातार एक मूर्ति निकालने की बात कही जा रही है। इस तरह की कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट की बातें हैं। भोजशाला सर्वे की गोपनीयता भंग करने का विषय है, आप एएसआई के ऊपर कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट का आरोप लगा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भोजशाला में जो वैज्ञानिक सर्वे चल रहा है, उसकी सारी रिपोर्ट एएसआई द्वारा कोर्ट में प्रस्तुत की जा रही है, लेकिन लगातार मूर्ति विषय को लेकर मुस्लिम पक्ष द्वारा जानकारी सार्वजनिक करना न्यायालय की अवमानना है। यदि आप सत्य जानकारी दे रहे हैं तो आप कोर्ट के दोषी हैं और असत्य जानकारी दे रहे हैं तो यह समाज प्रशासन मीडिया और जनता को गुमराह करना हैं। भ्रामक जानकारी फैलाने को लेकर जिला प्रशासन इस मामले को संज्ञान लेना चाहिये।
हिन्दुस्थान समाचार/मुकेश/आकाश
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