लाल किले में भारत कला, वास्तुकला और डिजाइन द्वैवार्षिक आयोजन, 8 दिसंबर को होगा उद्घाटन

लाल किले में भारत कला, वास्तुकला और डिजाइन द्वैवार्षिक आयोजन, 8 दिसंबर को होगा उद्घाटन
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लाल किले में भारत कला, वास्तुकला और डिजाइन द्वैवार्षिक आयोजन, 8 दिसंबर को होगा उद्घाटन


नई दिल्ली, 17 नवंबर (हि.स.)। संस्कृति मंत्रालय लाल किले में ‘भारत कला, वास्तुकला और डिजाइन द्विवार्षिक 2023’ का आयोजन करने जा रहा है, जिसका उद्घाटन 8 दिसंबर को होगा। यह आयोजन 15 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान रोजाना सात अलग -अलग विषयों पर पैनल चर्चा, कार्यशालाएं और कला बाजार के साथ प्रदर्शनियां आयोजित की जाएंगी। इस आयोजन में दुनिया भर के अंतरराष्ट्रीय कलाकारों, वास्तुकारों और डिजाइनरों की प्रस्तुति, सार्वजनिक कला प्रतिष्ठान, कला बाजार और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रमुख आकर्षण होंगे।

विदेश और संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता में कहा कि “इंडिया आर्ट आर्किटेक्चर द्वैवार्षिक” का उद्देश्य वैश्विक मंच पर देश की वास्तुकला और कलात्मक प्रतिभा को प्रदर्शित करना है। यह द्वैवार्षिक आयोजन अंतर्राष्ट्रीय समकक्षों की भव्यता को प्रतिबिंबित करता है । द्वैवार्षिक आयोजन जमीनी स्तर के कारीगरों और समकालीन डिजाइनरों को एक साथ लाकर संवाद, नवाचार और सहयोग शुरू करेगा, जिससे रचनात्मक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाया जाएगा। बीनाले वेनिस, साओ पाउलो और दुबई की तुलना में एक प्रमुख वैश्विक सांस्कृतिक कार्यक्रम बनाया जाएगा।

संयुक्त सचिव मुग्धा सिन्हा ने आयोजन के बारे में बताया कि द्वैवार्षिक का आयोजन भव्य लाल किला पर 9 से 15 दिसंबर 2023 तक होने जा रहा है। यह कार्यक्रम प्रदर्शनियों और पैनल चर्चाओं के माध्यम से विभिन्न विषयों के बारे में बताएगा, जिसमें प्रत्येक दिन एक विशिष्ट विषय के आसपास केंद्रित होगा, जिसे क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। इसमें दरवाजे और प्रवेश द्वार, मंत्रमुग्ध करते उद्यान, विस्मयकारी बावड़ियां, राजसी मंदिर वास्तुकला, स्वतंत्र भारत के आधुनिक चमत्कार, स्वदेशी डिजाइन का समकालीन चेहरा और वास्तुकला में महिलाओं की भूमिका जैसे विषय शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि इंडिया आर्ट आर्किटेक्चर डिजाइन बीनाले (द्वैवार्षिक), अपने आप में अनूठा आयोजन है जो देश के पांच हजार साल पुरानी अपनी वास्तुकला, संस्कृति को दुनिया के सामने पेश करेगा। यह आयोजन अगले साल आयोजित होने वाले वेनिस द्वैवार्षिक से पहले भारत की भागीदारी को पेश करने वाले जो कला, वास्तुकला और डिजाइन के क्षेत्र में चिकित्सकों और पेशेवरों के बीच व्यापक संवाद को बढ़ावा देगा।द्वैवार्षिक का उद्देश्य पारंपरिक जमीनी स्तर के कलाकारों और समकालीन डिजाइनरों, विशेषज्ञों, वास्तुकारों और विचारकों को उम्र, लिंग और शैली की सीमाओं से परे सबसे आगे लाना है।

सात अलग-अलग थीम में पर होंगे कार्यक्रम

कार्यक्रम में क्यूरेटेड मंडप भारत की सांस्कृतिक विरासत के विविध पहलुओं को फोकस करती है जिसमें दरवाजों और प्रवेश द्वारों के प्रतीकों के साथ अंजचिता बी नायर बाघ-ए-बहार का संचालन करेंगी। अमित पसरीचा मंदिरों के कालातीत डिजाइन और वास्तुशिल्प लचीलेपन के बारे में बताएंगे। रतीश नंदा और विक्रमजीत रूपराय भारत में बावली पर केंद्रित प्रस्तुति देंगे। शिखा जैन और एड्रियाना ए. गैरेटा ने भारत की स्वतंत्रता के बाद के स्थापत्य कल वैभव की प्रस्तुति देंगे। अनुभव नाथ देशज -लोक कला और डिजाइन परंपराओं की खोज के साथ स्वाति जानू वास्तुकला में महिलाओं के योगदान की खोज पर अनूठी प्रस्तुति देंगी।

हिन्दुस्थान समाचार/ विजयलक्ष्मी/जितेन्द्र

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