समान अवसर के साथ आगे बढ़ें देशवासी, तभी भारत बनेगा दुनिया का अग्रणी राष्ट्र : अमित शाह
-चिंता की जगह चिंतन, व्यथा की जगह व्यवस्था अपनाएं अधिकारी, शासन को बनाएं प्रो-एक्टिव
-किसी भी समस्या का समाधान अवलोकन, विश्लेषण और दस्तावेज़ीकरण से संभव
-गृहमंत्री बोले, आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सिविल सेवकों की अहम भूमिका
-अब आंकड़ों से नहीं, जनता के जीवन में सुधार के परिणामों से मापा जाएगा विकास
देहरादून, 28 नवंबर (हि.स.)। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) मसूरी में 99वें फाउंडेशन कोर्स के दीक्षांत समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर और विकसित भारत के विजन को साकार करने में सिविल सेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे ‘चिंता’ की जगह ‘चिंतन’ और ‘व्यथा’ की जगह ‘व्यवस्था’ को अपनाएं और शासन को रिएक्टिव से प्रो-एक्टिव बनाने का प्रयास करें। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2047 तक भारत को हर क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी बनाने का लक्ष्य रखा है। युवा अधिकारियों को अपनी कर्मठता और ऊर्जा से इस सपने को साकार करने में योगदान देना होगा। विकसित भारत का सपना तभी साकार होगा जब 140 करोड़ देशवासी समान अवसर के साथ आगे बढ़ेंगे। अमित शाह ने शासन के समन्वित प्रयासों की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण के तहत सभी विभागों और नीतियों का एकीकृत कार्यान्वयन जरूरी है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि किसी भी समस्या का समाधान अवलोकन, विश्लेषण और दस्तावेज़ीकरण से संभव है और यह दृष्टिकोण गवर्नेंस को अधिक प्रभावी बनाएगा।
'महिला नेतृत्व वाला विकास' और महिला भागीदारीशाह ने बताया कि सिविल सेवा में चयनित 38% महिलाएं हैं, लेकिन जब तक 50% महिलाएं नीति निर्धारण में शामिल नहीं होंगी, 'महिला नेतृत्व वाला विकास' का लक्ष्य अधूरा रहेगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए नीति निर्माण में संवेदनशीलता और दूरदृष्टि जरूरी है।
नए भारत के लिए नई सोच गृह मंत्री ने कहा कि सिविल सेवकों को जनता की समस्याओं का समाधान फाइलों के आंकड़ों के बजाय जमीनी स्तर पर दिखने वाले परिणामों से करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एआई और डेटा इंटीग्रेशन जैसे आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके स्थानीय समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि फाइलों में उलझने की जगह जनता की जिंदगी को सुधारना आपका उद्देश्य होना चाहिए।
प्रधानमंत्री की नई शिक्षा नीति और विकास की दिशाशाह ने नई शिक्षा नीति का जिक्र करते हुए कहा कि यह युवाओं को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सक्षम बनाएगी। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा को मातृभाषा में सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह बच्चों की तर्कशक्ति को बढ़ाती है।
आतंकवाद और नक्सलवाद पर कड़ी कार्रवाईउन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद और नशीले पदार्थों के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल की है। उन्होंने विश्वास जताया कि 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा।
न्याय प्रणाली में क्रांतिकारी सुधार गृह मंत्री ने अंग्रेजों के बनाए पुराने कानूनों को बदलकर लागू किए गए तीन नए आपराधिक कानूनों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इन कानूनों से दोष सिद्धि दर 90% तक पहुंच जाएगी और भारत की न्याय प्रणाली विश्व की सबसे आधुनिक प्रणाली बनेगी।
योग, चिंतन और समस्या समाधान की कला शाह ने अधिकारियों को योग और ध्यान को अपनी दिनचर्या में शामिल करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि समस्या समाधान के लिए माइक्रो प्लानिंग, रोड मैप बनाना, मिड-टर्म रिव्यू और निरंतर फॉलो-अप बेहद आवश्यक हैं।
अंतिम व्यक्ति तक विकास सुनिश्चित करना केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि अधिकारी इस बात को सुनिश्चित करें कि विकास योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। उन्होंने हर घर में बिजली, शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने की जिम्मेदारी को सिविल सेवकों का मुख्य कर्तव्य बताया। उन्होंने कहा कि विकास आंकड़ों से नहीं, बल्कि जनता के जीवन में सुधार के परिणामों से मापा जाएगा।
अंतिम सांस तक सीखने की भावना बनाए रखने की अपील अमित शाह ने सिविल सेवकों से अपील की कि वे अंतिम सांस तक सीखने की भावना बनाए रखें और भारत को एक सशक्त, विकसित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में अपना योगदान दें।
हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण
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