उज्जैन में विकसित होगा देश का प्रथम आईआईटी सैटेलाइट कैंपस
-सैटेलाइट परिसर शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों के साथ आमजन के लिए होगा उपयोगी
-मुख्यमंत्री डॉ यादव के समक्ष आईआईटी इंदौर के विशेषज्ञों ने दिया प्रेजेंटेशन
भोपाल, 26 जनवरी (हि.स.)। देश में शोध आधारित प्रथम आईआईटी सैटेलाइट परिसर की स्थापना उज्जैन में होगी। देश का अपने तरह का यह अनूठा संस्थान होगा। आईआईटी इंदौर का डीप-टेक रिसर्च और डिस्कवरी कैंपस (डीआरडीसी) जल्दी ही उज्जैन में शुरू होने जा रहा है। उज्जैन भविष्य की प्रौद्योगिकी में विश्व-स्तरीय अनुसंधान केंद्र होगा, जिसे आईआईटी इंदौर का डीप-टेक रिसर्च और डिस्कवरी कैंपस उज्जैन में स्थापित किया जाएगा।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) इंदौर के निदेशक और विशेषज्ञों ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से मुलाकात कर उज्जैन में प्रस्तावित सैटेलाइट परिसर के संबंध में प्रेजेंटेशन दिया। इसमें जानकारी दी गई कि इस केन्द्र की लागत 474 करोड़ रुपये होगी। आने वाले डेढ़ से दो वर्ष की अवधि में यह कार्य पूर्ण होगा।
मप्र के साथ अन्य प्रदेशों के लिए भी उपयोगी होगा सैटेलाइट परिसर
उज्जैन के सैटेलाइट परिसर की स्वीकृति के लिए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने पूर्व में भी प्रयास किए। उन्होंने गत दिवस (गुरुवार को) नई दिल्ली प्रवास के दौरान केंद्रीय शिक्षा व कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से भेंट कर शिक्षा और कौशल विकास से संबंधित विभिन्न विषयों पर विस्तृत चर्चा की थी। इस क्रम में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, इंदौर द्वारा उज्जैन में सैटेलाइट परिसर स्थापित करने की परियोजना शामिल है। यह परियोजना तैयार कर वर्ष 2023 में शिक्षा मंत्रालय को स्वीकृति के लिए भेजी गई थी। उज्जैन सैटेलाइट परिसर एक महत्वपूर्ण परियोजना है, जिससे पूरे भारत और विशेष रूप से मध्य प्रदेश के छात्रों, शिक्षकों और औद्योगिक कर्मियों को लाभ मिलेगा।
मुख्यमंत्री डॉ यादव को प्रेजेंटेशन में बताया गया कि सेटेलाइट परिसर में डीप टेक रिसर्च एंड लैबोरेट्री डिस्कवरी सेंटर, डिस्कवरी सेंटर, लैब टू मार्केट सेंटर और एस्ट्रोनॉमी एंड स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विविध गतिविधियां होंगी। इसका व्यापक लाभ विद्यार्थियों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं और आमजन को मिलेगा।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को जानकारी दी गई कि कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में आईआईटी सक्रिय है। कृषि के विविध रूपों और नवीन तकनीक के संबंध में भी शोध कार्य हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने उद्यानिकी और फूलों की खेती के भविष्य में विस्तार की संभावनाओं पर किए जा रहे कार्यों की जानकारी प्राप्त की।
महत्वपूर्ण होगा मौसम विज्ञान से जुड़ा अनुसंधान
डीप-टेक रिसर्च और डिस्कवरी कैंपस के प्रस्तावित संगठन डीप-टेक रिसर्च प्रयोगशालाओं, खोज केंद्र का समर्थन करेगा, नए आयामों के अनुसंधान को अनुवाद और इसके प्रयोग के माध्यम से उपलब्ध कराने और लैब-टू-मार्केट सेंटर को शामिल किया जाएगा। जिसमें स्टार्टअप संस्कृति और उद्यमिता भी शामिल हॉगे। आईआईटी इंदौर अनुसन्धान के उन्नत क्षेत्रों में नेतृत्व स्थापित करने का प्रयास कर रहा है।
डीप-टेक रिसर्च और डिस्कवरी कैंपस का प्रस्ताव हाई-टेक प्रौद्योगिकियों और उत्पादों का विकास करने और कई उच्च-तकनीकी प्रौद्योगिकियों और उत्पादों को विकसित किया जायेगा, जो गहरे तकनीकी क्षेत्र उद्यमों में ले जा सकता है।
यह उज्जैन में गहन तकनीकी अनुसंधान और अनुसन्धान कैम्पस को बनाने के लिए एक विशेष संरचना बनाएगा, जो अनुवादात्मक अनुसंधान की संस्कृति के विकास के लिए उच्चतम स्तर पर गहन तकनीकी उत्पाद को बाजार में पहुंचाएगा।
कैम्पस में गहन तकनीकी अनुसंधान प्रयोगशालाओं, अनुसन्धान केंद्र और लैब-टू-मार्केट केंद्र का एक समूह होगा, जिसमें उन्नत साधन और सुविधाओं के साथ आवश्यक इमारतें होंगी।
गहन तकनीकी अनुसंधान प्रयोगशालाएं कटिंग-एज क्षेत्र में उच्च स्तरीय अनुसंधान करेंगी और उद्योग और समाज के लिए नई तकनीकों को विकसित करेंगी, जो प्रोटोटाइप विकास और उद्यमिता उद्योगों के लिए आगे लाया जा सकता है। अनुसंधान से समाज के लिए उपयुक्त तकनीकों को स्थापित किया जा सकेगा। इसमें वैज्ञानिकों, उद्योग विशेषज्ञों और प्रौद्योगिकी परिवर्तन विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी जो अनुसंधान गतिविधियों का नेतृत्व करेंगे।
उच्च-स्तरीय सिमुलेशन, पैकेजिंग, सेंसर, आईओटी और सेमीकंडक्टर उपकरणों के निर्माण, इंटीग्रेशन, संचार प्रौद्योगिकियों और संबंधित गतिविधियों को शामिल किया जायेगा। लैब-से-बाजार परियोजना में प्रयोगशाला स्तरीय मॉडल से प्रोटोटाइप्स और उत्पादों को शामिल किया जायेगा। यह उद्यमिता संचालन विशेषज्ञों की सलाह और उद्यम सृजन के लिए व्यापार आधारित योजनाओं को विकसित करने के लिए वाणिज्यिक विशेषज्ञों की सहायता और भागीदारी पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।
उच्च-तकनीकी क्षेत्रों में मानव श्रम के कौशल में सहायता करने के लिए मासिक ऑनलाइन और हाइब्रिड कार्यक्रमों के आयोजन को बढ़ावा दिया जायेगा। ऐसे पाठ्यक्रम की योजना बनाई जा रही है जिनमें बायो-मेडिकल डिवाइस विकास, औद्योगिक लेजर और ऑप्टिक्स प्रौद्योगिकी आदि शामिल हैं।
इस अवसर पर डायरेक्टर आईआईटी इंदौर प्रो सुहास एस जोशी के, डीन (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) प्रो. आईए पलानी, रजिस्ट्रार एसपी होता उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/मुकेश/आकाश
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