जलवायु सम्मेलन (कॉप28) ने सभी मोर्चों पर निराश कियाः डॉ. अरुणाभा घोष

जलवायु सम्मेलन (कॉप28) ने सभी मोर्चों पर निराश कियाः डॉ. अरुणाभा घोष
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जलवायु सम्मेलन (कॉप28) ने सभी मोर्चों पर निराश कियाः डॉ. अरुणाभा घोष


नई दिल्ली, 13 दिसंबर (हि.स.)। काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अरुणाभा घोष का मानना है कि हाल ही में दुबई में सम्पन्न हुई कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (कॉप28) ने सभी मोर्चों पर काफी हद तक निराश किया है। इसने न तो जलवायु महत्वाकांक्षा को पर्याप्त रूप से बढ़ाया है, न ही ऐतिहासिक प्रदूषकों की जवाबदेही तय की है। यह ग्लोबल साउथ के लिए जलवायु लचीलापन और कम कार्बन उत्सर्जन की दिशा में परिवर्तन के वित्तपोषण के लिए एक प्रभावी तंत्र भी नहीं बना पाया है।

उल्लेखनीय है कि संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में 30 नवम्बर से 12 दिसम्बर तक जलवायु परिवर्तन पर ऐतिहासिक सम्मेलन हुआ। इस सम्मलेन से बहुत उम्मीद थी। सीईईडब्ल्यू के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अरुणाभा घोष का कहना है, ‘‘दुबई में भले ही पहले दिन हानि व क्षति कोष के संचालन पर उल्लेखनीय सफलता मिली हो लेकिन उसके बाद के घटनाक्रम उतार-चढ़ाव से भरे रहे। पेरिस समझौते के लक्ष्यों की दिशा में सामूहिक प्रगति के आकलन (ग्लोबल स्टॉकटेक) के अंतिम पाठ में समस्याओं को स्पष्ट रूप से स्वीकार करने और उनका सामना करने के लिए जरूरी क्षमता का अभाव दिखाई दिया। सभी जीवाश्म ईंधनों के मुकाबले बेरोकटोक कोयले में तेजी से चरणबद्ध कटौती पर विशेष जोर दिया गया, जो उत्तर-दक्षिण वैश्विक विभाजन को और गहरा करने का जोखिम बढ़ाता है।

उन्होंने आगे कहा, जीवाश्म ईंधन पर विशेष ध्यान दिए जाने के बावजूद चरणबद्ध कटौती को जमीन पर उतारने के लिए अक्षय ऊर्जा और जलवायु वित्त को एक साथ मजबूती से आगे बढ़ाने की जरूरत है, खास तौर पर उभरती अर्थव्यवस्थाओं में, जो पर्यावरण अनुकूल प्रयासों की दिशा में बड़ी छलांग लगाने (ग्रीन लीप) के लिए तैयार हैं। प्रभावी वित्तीय तंत्र स्थापित करने और ऐतिहासिक उत्सर्जनकर्ताओं को योगदान करने के लिए बाध्य करने में कॉप28 की विफलता विकासशील देशों को उनकी एनडीसी को पूरा करने में सहायता को खतरे में डालती है। जलवायु संकट की तात्कालिकता यह मांग करती है कि कॉप प्रक्रिया में तुरंत सुधार किया जाए, ताकि सभी प्रयासों में उत्तरदायित्व, कार्यान्वयन और जलवायु न्याय को केंद्र में रखना सुनिश्चित किया जा सके। ऐसा नहीं किया जाता है तो भविष्य में होने वाले कॉप के अनुपयोगी बन जाने का खतरा है।

हिन्दुस्थान समाचार/ जितेन्द्र/दधिबल

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