डी-डुप्लीकेशन का उपयोग नहीं करने से रह गई बिहार वोटर लिस्ट में 14.5 लाख डुप्लीकेट एंट्री- कांग्रेस

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डी-डुप्लीकेशन का उपयोग नहीं करने से रह गई बिहार वोटर लिस्ट में 14.5 लाख डुप्लीकेट एंट्री- कांग्रेस


नई दिल्ली, 30 दिसंबर (हि.स.)। कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से आरोप लगाया कि चुनाव आयोग के बिहार में मतदाता सूची अपडेट करने की प्रक्रिया में डी-डुप्लीकेशन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल नहीं करने के चलते करीब 14.5 लाख डुप्लीकेट एंट्री बनी हुई है। पार्टी का कहना है कि आयोग पहले इसका इस्तेमाल करता रहा है लेकिन बिहार और अन्य राज्यों में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान उसने ऐसा नहीं किया।

कांग्रेस सांसद शशिकांत सेंथिल पार्टी मुख्यालय में आज पत्रकारवार्ता में दावा किया कि बिहार में एसआईआर के दौरान डी-डुप्लीकेशन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल बंद कर दिया गया। पहले यही सॉफ्टवेयर हर साल की वोटर लिस्ट रिवीजन में इस्तेमाल होता था और बीएलओ द्वारा फील्ड वेरिफिकेशन के बाद डुप्लीकेट नाम हटाए जाते थे।

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग पारदर्शी तरीके से बताए कि डी-डुप्लीकेशन कब शुरू हुआ, कब बंद हुआ और अब किस नए ऐप से यह प्रक्रिया की जा रही है। आयोग को देश के सामने पूरी जानकारी रखनी चाहिए ताकि मतदाता सूची की शुचिता पर भरोसा कायम रह सके।

शशिकांत सेंथिल ने कहा कि अब बिना स्पष्ट दिशा-निर्देश और प्रशिक्षण के बीएलओ दबाव में काम कर रहे हैं और कई असली वोटरों के नाम कटने का खतरा है। यूपी समेत कई राज्यों की ड्राफ्ट लिस्ट में 10-15 प्रतिशत असली वोटरों के नाम हटने की आशंका है। चुनाव आयोग ने पूरे देश में भ्रम का माहौल बना दिया है और यह प्रक्रिया जल्दबाजी में कराई जा रही है।

हिन्दुस्थान समाचार / प्रशांत शेखर

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