'सेंगोल के माध्यम से सत्ता के हस्तांतरण' के इतिहास को कांग्रेस ने नकारा

'सेंगोल के माध्यम से सत्ता के हस्तांतरण' के इतिहास को कांग्रेस ने नकारा


'सेंगोल के माध्यम से सत्ता के हस्तांतरण' के इतिहास को कांग्रेस ने नकारा


नई दिल्ली, 26 मई (हि.स.)। कांग्रेस पार्टी ने ‘सेंगोल के माध्यम से सत्ता के हस्तांतरण’ के इतिहास को नकारते हुए इस पर सवाल खड़े किए हैं। इस पर कटाक्ष करते हुए पार्टी ने इसे ‘व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी’ का झूठा दावा बताया है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि माउंटबेटन, राजाजी और नेहरू द्वारा राजदंड को भारत में ब्रिटिश सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में वर्णित करने का कोई दस्तावेजी साक्ष्य नहीं है। इस आशय के सभी दावे सही मायने में ‘बोगस’ हैं।

कांग्रेस नेता ने कहा कि एक बार फिर बड़ी बातें की गई हैं और उसे साबित करने के लिए कोई साक्ष्य पेश नहीं किए गए हैं। उन्होंने कहा कि असली सवाल यह है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नई संसद का उद्घाटन करने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है?

जयराम रमेश ने इस बात को स्वीकार किया कि तत्कालीन मद्रास प्रांत में एक धार्मिक प्रतिष्ठान द्वारा मद्रास शहर में तैयार किए गए राजसी राजदंड को अगस्त 1947 में नेहरू को सौंपा गया था। वहीं सत्ता हस्तांतरण के तौर पर इसके उपयोग के दावे पर अच्छी साख रखने वाले दो बेहतरीन राजाजी (सी राजगोपालाचारी) विद्वानों ने आश्चर्य व्यक्त किया है।

जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि राजदंड का इस्तेमाल तमिलनाडु की राजनीति के लिए हो रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/अनूप/अनूप/दधिबल

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