मालदीव से लौटी फास्ट अटैक क्राफ्ट 'तारमुगली' फिर नौसेना में शामिल

मालदीव से लौटी फास्ट अटैक क्राफ्ट 'तारमुगली' फिर नौसेना में शामिल
WhatsApp Channel Join Now
 
मालदीव से लौटी फास्ट अटैक क्राफ्ट 'तारमुगली' फिर नौसेना में शामिल
 
  - इस फास्ट अटैक क्राफ्ट जहाज ने दो देशों के झंडे लगाकर तीन नामों के साथ काम किया

- मालदीव नौसेना के साथ 17 साल तक 'एमसीजीएस हुरवे' के रूप में काम किया जहाज ने

नई दिल्ली, 14 दिसंबर (हि.स.)। मालदीव से लौटे फास्ट अटैक क्राफ्ट जहाज आईएनएस तारमुगली को फिर से गुरुवार को भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल कर लिया गया है। विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्ड में हुए औपचारिक कमीशनिंग समारोह में इसे नौसैनिक बेड़े में शामिल करने की औपचारिकता पूरी की गई। इस जहाज ने तीन नामों के साथ दो देशों के झंडे के नीचे काम किया है।

इसे भारतीय नौसेना में ट्रिंकट क्लास जहाज के रूप में 'आईएनएस टिलंचांग' नाम से कमीशन किया गया था और 2006 तक सक्रिय सेवा में थी। उसके बाद हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में राजनयिक आउटरीच के हिस्से के रूप में भारत सरकार ने इसे मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (एमएनडीएफ) को उपहार में दे दिया था। इसे 16 अप्रैल, 2006 को 'एमसीजीएस हुरवे' के रूप में एमएनडीएफ में शामिल किया गया और मई, 2023 में जहाज को रिटायर कर दिया गया। इसके बाद मालदीव ने जहाज को भारतीय नौसेना में वापस कर दिया।

भारत को वापस मिलने के बाद वॉटरजेट फास्ट अटैक क्राफ्ट को आईएनएस तारमुगली नाम दिया गया। लौटाए गए जहाज की विस्तृत जांच के बाद उसे नवीनीकृत व मरम्मत करने के बाद भारतीय नौसेना में फिर से शामिल करने का निर्णय लिया गया। पिछले छह महीनों के दौरान विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्ड में भारतीय नौसेना ने इस जहाज की व्यापक मरम्मत के बाद अपग्रेड किया गया है। इसके बाद 14 दिसंबर को विशाखापत्तनम में ‘आईएनएस तारमुगली’ के रूप में इसे नौसेना के बेड़े में फिर से शामिल किया गया है। नौसेना के चीफ ऑफ मटेरियल वाइस एडमिरल संदीप नैथानी इस कमीशनिंग समारोह के मुख्य अतिथि थे।

इस जहाज का नाम अंडमान समूह में स्थित एक सुरम्य तारमुगली द्वीप के नाम पर रखा गया है। आईएनएस तारमुगली को कोलकाता के मेसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) में स्वदेशी रूप से निर्मित, डिजाइन और निर्मित किया गया है। यह पहले फॉलो-ऑन वॉटर जेट फास्ट अटैक क्राफ्ट (डब्ल्यूजेएफएसी) का एक उन्नत संस्करण है, जिसे देश की 'मेक इन इंडिया' पहल और युद्धपोत डिजाइन और निर्माण में स्वदेशीकरण प्रयासों के हिस्से के रूप में स्वदेशी रूप से कल्पना, डिजाइन और निर्मित किया गया था। आईएनएस तारमुगली का वजन 320 टन और लंबाई 48 मीटर है।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/पवन

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story