इतिहास के पन्नों में 03 जनवरीः महान रॉकेट वैज्ञानिक को देश ने खोया

इतिहास के पन्नों में 03 जनवरीः महान रॉकेट वैज्ञानिक को देश ने खोया
WhatsApp Channel Join Now
इतिहास के पन्नों में 03 जनवरीः महान रॉकेट वैज्ञानिक को देश ने खोया


देश के वैज्ञानिक कारनामों की जब कभी बात आती है तो सतीश धवन स्पेस सेंटर का नाम अक्सर आता है। सुप्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ और एयरोस्पेश इंजीनियर प्रो. सतीश धवन के नाम पर यह संस्थान है, जिन्हें भारत में प्रायोगिक द्रव गतिकी अनुसंधान का जनक माना जाता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के तीसरे अध्यक्ष के रूप में उनकी बेमिसाल सेवाओं को देखते हुए 3 जनवरी 2002 को उनके निधन के बाद आंध्र प्रदेश के नल्लोर जिला स्थित उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र का नाम बदल कर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र कर दिया गया। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का सफल और स्वदेशी करण की दिशा उल्लेखनीय नेतृत्व किया। इसरो के कार्यकाल के दौरान ही दो उपग्रह- आर्यभट्ट (1975) और भास्कर (1979) को पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में (सोवियत रॉकेट द्वारा) स्थापित किया गया। पहले स्वदेशी रूप में निर्मित एसएलवी (उपग्रह प्रक्षेपण वाहन) ने भारत के वैश्विक अंतरिक्ष क्लब में प्रवेश की घोषणा की।

प्रोफेसर सतीश धवन का जन्म 25 सितंबर 1920 को श्रीनगर में हुआ था। सतीश धवन के पिता देवीलाल आजादी से पहले पंजाब प्रांत में वकील थे जो बाद में लाहौर हाइकोर्ट में जज बने। सतीश धवन बचपन से ही पढ़ाई में बढ़िया थे। 1934 में उन्होंने मैट्रिक्युलेशन पास करने के बाद लुधियाना से विज्ञान में इंटर की परीक्षा पास की। लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज से उन्होंने गणित और भौतिकी में स्नातक की परीक्षा पास की, फिर अंग्रेजी साहित्य में एमए भी किया। उन्होंने लाहौर के ही मैक्लैगन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में पढ़ाई कर यूनिवर्सिटी में टॉप किया और प्रांत के पहले गोल्ड मेडलिस्ट बने। 1945 में छात्रवृत्ति पाकर आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए और मिनेपोलिस के मिनोसेटा विश्वविद्यालय से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में मास्टर्स की डिग्री हासिल की।

1951 में भारत लौटने के बाद प्रो सतीश धवन बेंगलुरू के भारतीय विज्ञान संस्थान में सीनियर साइंटिफिक ऑफिसर के रूप में काम किया। 1955 में वे एरोनॉटिकल विभाग के प्रमुख बन गए। शोध और शिक्षण के दौरान उन्होंने अपनी लैब के लिए खुद ही उपकरण तैयार किए। उन्हें भारत की पहली सुपरसॉनिक विंड टनल के विकास के लिए जाना जाता है।

1962 में प्रोफेसर धवन भारतीय विज्ञान संस्थान के प्रमुख बने और इस पद पहुंचने वाले वे सबसे कम उम्र के वैज्ञानिक थे। उन्होंने करीब 20 साल तक इस संस्थान का निर्देशन किया। 1971 में विक्रम साराभाई की असमय मृत्यु के बाद उन्हें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंप दी गई और उन्होंने इसरो के पद के साथ भारतीय विज्ञान संस्थान को भी संभाला। उनके कार्यकाल में इसरो ने सबसे ज्यादा तरक्की की। धवन का 3 जनवरी 2002 को बैंगलुरू में निधन हो गया।

अन्य अहम घटनाएंः

1621- महान वैज्ञानिक गैलिलियों ने दूरबीन की खोज की।

1894- रवीन्द्रनाथ टैगोर ने शांति निकेतन में ‘पौष मेला’का उद्घाटन किया।

1901- शांति निकेतन में ब्रह्मचर्य आश्रम खुला।

1911- अमेरिका में डाक बचत बैंक का उद्घाटन।

1920- अलीगढ़ का एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में रूपांतरित हुआ।

1920- तुर्की और आर्मिनिया के बीच शांति संधि।

1929- महात्मा गांधी लॉर्ड इरविन से मिले।

1943- टेलीविजन पर पहली बार गुमशुदा लोगों के बारे में सूचना का प्रसारण किया गया।

1959- अलास्का को अमेरिका का 49वां राज्य घोषित किया गया।

1968- भारत के पहले मौसम विज्ञान राकेट ‘मेनका’का प्रक्षेपण।

1991- इजरायल ने 23 साल बाद सोवियत संघ में वाणिज्य दूतावास को दोबारा खोला।

1993- अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश एवं रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन द्वारा ‘स्टार्ट द्वितीय’संधि पर हस्ताक्षर।

1997- इटली के अभिनेता एवं लेखक डारियो फो को साहित्य का नोबेल पुरस्कार।

2006- गूगल ने यू-ट्यूब के अधिग्रहण की घोषणा की।

जन्म

1831- सामाजिक कार्यकर्त्ता, भारत में पहली महिला शिक्षक और कवयित्री सावित्रीबाई फुले।

1927- ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री जानकी बल्लभ पटनायक।

1938- भारतीय राजनेता जसवंत सिंह।

1941- बॉलीवुड अभिनेता संजय खान।

1977- मॉडल और बॉलीवुड अभिनेत्री गुल पनाग।

1903- भारतीय हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ियों में से एक जयपाल सिंह।

1915- प्रसिद्ध फ़िल्म निर्माता-निर्देशक चेतन आनंद।

निधन

1972- लेखक व नाटककार मोहन राकेश।

1979- शोधकर्मी और समीक्षक परशुराम चतुर्वेदी।

2002- भारत के प्रसिद्ध रॉकेट वैज्ञानिक सतीश धवन।

2005- भारतीय राजनयिक व विदेश सचिव रहे जे एन दीक्षित।

हिन्दुस्थान समाचार/ संजीव

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story