जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का रंगारंग आगाज
उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने किया उद्घाटन
जयपुर, 1 फ़रवरी (हि.स.)। विश्व के सबसे बड़े साहित्य उत्सवों में से एक, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) का गुरुवार को भव्य रंगारंग आगाज हो गया। इस अवसर उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने ढोल-नगाडों और राजस्थानी लोक नृत्य की प्रस्तुति के बीच दीप प्रज्ज्वलित कर साहित्य के महाकुंभ का उद्घाटन किया।
इस मौके पर उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने कहा कि मुझे लगता है कि जयपुर आज लिट फेस्ट का पर्याय बन गया है और मैं और मेरा परिवार शुरुआत वर्ष 2006 से इसका हिस्सा रहे हैं। इसने विश्व स्तर पर जयपुर को एक पहचान दिलाई है। उन्होंने कहा कि टूरिज्म के लिहाज से यह फेस्ट बहुत खास है। इसमें नामचीन साहित्यकार आ रहे हैं, हम सभी उनको सुनने के लिए उत्साहित हैं।
जेएलएफ के 17वें संस्करण के उद्घाटन समारोह की शुरुआत टीमवर्क आर्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर संजॉय के. रॉय ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की सत्रह साल की यात्रा किया। उन्होंने डिग्गी पैलेस से लेकर क्लार्क्स आमेर और विश्वभर में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के विकास पर प्रकाश डाला और उन सभी लोगों को धन्यवाद दिया, जिन्होंने इसकी शुरुआत से ही फेस्टिवल में भाग लिया है।
संजॉय ने फेस्टिवल के 17वें संस्करण में ग्रीन पहल पर भी जोर दिया और उम्मीद जताई कि फेस्टिवल के आयोजन के इस मॉडल का जयपुर और विश्वभर में अन्य लोग भी अनुकरण करेंगे। रॉय ने कहा कि हम इस बार कार्बन फ्री फेस्टिवल बना रहे हैं, हमने इस बार हमारे साथियों को वेस्ट मैनेजमेंट को ट्रेनिंग दिलाई है। इस मुहिम में लोग साथ देंगे तो इसे सफल जरूर बनाएंगे।
समारोह में नमिता गोखले ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2024 के दौरान होने वाले विभिन्न सत्रों का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि केवल पांच दिनों में साहित्यिक, भौगोलिक और भाषाई विविधता एक मंच पर देखने को मिलेगी।
उद्घाटन समारोह में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के को-डायरेक्टर विलियम डेलरिम्पल उपस्थित रहे। फेस्टिवल पार्टनर्स सैमसंग इंडिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजू पुलन और फेस्टिवल संरक्षक एमडी और सीईओ एयू बैंक, संजय अग्रवाल और प्रीता सिंह ने भी संबोधन दिया।
उल्लेखनीय है कि इस प्रतिष्ठित साहित्यिक समारोह में 550 से अधिक लेखक, वक्ता और कलाकार भाग लेंगे और सोलह भारतीय और आठ अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में प्रस्तुत दी जाएगी। भारतीय भाषाओं में असमिया, अवधी, बंगाली, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कुरुख, मलयालम, उड़िया, पंजाबी, राजस्थानी, संस्कृत, तमिल, टोडा, उर्दू और बंजारा भाषा- लामानी (लंबाडा) शामिल हैं। इस वर्ष भी फेस्टिवल की डेकोर थीम 'उत्सव' रखी गई है। 'उत्सव' राजस्थान के रंगों का जश्न मनाना और उज्ज्वल रंगों का प्रदर्शन है। समारोह में बुकर, इंटरनेशनल बुकर, पुलित्जर, साहित्य अकादमी, पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्म विभूषण, बैली गिफर्ड, डीएससी प्राइज, जेसीबी पुरस्कार विजेता साहित्यकार शामिल होंगे।
जेएलएफ में इतिहास, राजनीति व करंट अफेयर्स, जेंडर, साइंस व मेडिसिन, फूड, मिथक, आध्यात्मिकता और धर्म, मानसिक स्वास्थ्य, फैशन और लाइफ स्टाइल, कानून व न्याय, जिओ पॉलिटिक्स, खेल, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण सहित कई विषयों पर चर्चा होगी।
कबीर-मीरा के भजन से शुरुआत
इससे पूर्व शास्त्रीय गायिका कलापिनी कोमकली के मॉर्निंग रागा कार्यक्रम में राग भैरवी से शुरुआत हुई। इसके बाद मीरा और कबीर के भजन ने फेस्टिवल की पहली सुबह को भक्तिमय बना दिया।
हिन्दुस्थान समाचार/संदीप/सुनील
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।