सिविल सेवा की आकर्षक नौकरियों के चक्रव्यूह से बाहर निकलने का समय आ गया है: धनखड़

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सिविल सेवा की आकर्षक नौकरियों के चक्रव्यूह से बाहर निकलने का समय आ गया है: धनखड़


नई दिल्ली, 16 अगस्त (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को समाचार पत्रों में कोचिंग सेंटरों के विज्ञापनों की अतिशयता की ओर इशारा करते हुए युवाओं से कहा कि सिविल सेवा की आकर्षक नौकरियों के चक्रव्यूह से बाहर निकलने का समय आ गया है।

उपराष्ट्रपति ने आज दिल्ली के राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एनएलयू) में बौद्धिक संपदा कानून और प्रबंधन में संयुक्त परास्नातक/एलएलएम डिग्री के पहले बैच को संबोधित करते हुए कहा कि अखबारों में कोचिंग सेंटरों के विज्ञापनों में आमतौर पर कुछ गिने चुने सफल चेहरे का इस्तेमाल कई संगठनों द्वारा किया जाता है। धनखड़ ने इस बात पर अफसोस जताया कि इन विज्ञापनों का एक-एक पैसा उन युवा लड़के-लड़कियों से आता है जो अपना भविष्य सुरक्षित करने की कोशिश में लगे हैं।

सिविल सेवा नौकरियों की संकीर्णता से मुक्त होने की वकालत करते हुए धनखड़ ने युवाओं को पारंपरिक करियर पथ से परे देखने तथा अधिक आकर्षक और प्रभावशाली करियर तलाशने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने युवाओं से अन्य क्षेत्रों में भी अवसरों की तलाश करने को कहा।

उपराष्ट्रपति ने लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा कि संवैधानिक पद पर बैठा एक व्यक्ति भारतीय अर्थव्यवस्था को नष्ट करने का प्रयास कर रहा है। उनका यह बयान राहुल गांधी द्वारा हिंडनबर्ग की नवीनतम रिपोर्ट के बाद भारत के शेयर बाजार की अखंडता के बारे में चिंता जताए जाने के बाद आया है। उन्होंने कहा कि मैं तब बहुत चिंतित हो गया, जब पिछले सप्ताह ही एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति ने एक सुप्रचारित मीडिया में घोषणा की, मैं कहूंगा कि यह एक अभियान है, जिसमें उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से स्वतः संज्ञान लेकर अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करके हमारी अर्थव्यवस्था को नष्ट करने के उद्देश्य से एक कथानक को हवा देने का अनुरोध किया।

धनखड़ ने कहा कि संस्था का अधिकार क्षेत्र भारतीय संविधान द्वारा परिभाषित किया गया है, चाहे वह विधायिका, कार्यपालिका या फिर न्यायपालिका हो। न्यायालयों का अधिकार क्षेत्र तय होता है। दुनिया भर में देखें, अमेरिका में सर्वोच्च न्यायालय को देखें, ब्रिटेन में सर्वोच्च न्यायालय को देखें या अन्य प्रारूपों को देखें। उन्होंने कहा कि क्या एक बार भी स्वतः संज्ञान लिया गया है? क्या संविधान में दिए गए प्रावधान से परे कोई उपाय बनाया गया है? यह समीक्षा भी प्रदान करता है।

हिन्दुस्थान समाचार

हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार / दधिबल यादव

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