आक्रांताओं का सटीक इलाज थे छत्रपति शिवाजी महाराजः सरसंघचालक

WhatsApp Channel Join Now
आक्रांताओं का सटीक इलाज थे छत्रपति शिवाजी महाराजः सरसंघचालक


नागपुर, 02 अप्रैल (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने कहा कि भारत में पराक्रम की कमी कभी नहीं रही। इसके बावजूद देश पर लगातार विदेशी हमले होते रहे। इन आक्रांताओं का सटीक इलाज छत्रपति शिवाजी महाराज थे। उन्होंने कहा कि छत्रपति महाराज की प्रेरणा आज भी बरकरार है।

शिवाजी महाराज पर विशेष अध्ययन करने वाले दिवंगत डॉ सुमंत टेकाडे द्वारा लिखित ‘युगंधर शिवराय’ पुस्तक का बुधवार को नागपुर में आयोजित कार्यक्रम में सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने विमोचन किया। इस अवसर पर सरसंघचालक ने कहा कि भारत पर सिकंदर के जमाने से लेकर मुस्लिम आक्रांताओं तक अलग-अलग समय पर निरंतर हमले होते आए हैं। भारत में कभी पराक्रम की कमी नहीं रही। उन्होंने कहा कि हमारे विशाल हृदय में सारी सभ्यताओं के लिए स्थान था। वहीं हमारे अंदर आक्रांताओं को उन्हीं की भाषा में जवाब देने का अद्धभुत सामर्थ्य भी था। इसके बावजुद हमारे देश के समाज की हालत निरंतर खराब होती रही। कई वर्ष जूझने के बाद भी हमें इन आक्रांताओं के लिए सही जवाब नहीं मिल रहा था। छत्रपति शिवाजी महाराज के रूप में यह जवाब उभर कर सामने आया। आक्रांताओं का छत्रपति शिवाजी सटीक इलाज थे।

डॉ भागवत ने बताया कि आगरा में औरंगजेब के चंगुल से छूटने के बाद छत्रपति की गाथा पूरे भारत में फैली। सकुशल महाराष्ट्र में लौटने के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपना राज्याभिषेक करते हुए स्वराज्य प्रस्थापित किया। उनका यह राज्याभिषेक युगप्रवर्तक साबित हुआ। इसके चलते उस समय भारत में मौजूद सभी विदेशी शक्तियों को सटीक जवाब मिल गया।

सरसंघचालक ने कहा कि शिवाजी महाराज से प्रेरणा लेकर बुंदेलखंड में राजा छत्रसाल खडे़ हुए। राजस्थान में दुर्गाप्रसाद राठौड़ ने राजपूतों को इकट्ठा किया, जिसके बाद मुगल कभी राजपुताने में दोबारा पांव नहीं रख सके। वहीं कूचबिहार के राजा चक्रधर सिंह भी छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रभावित थे। सरसंघचालक ने कहा कि चक्रधर दूसरे राजा को लिखे पत्र में कहते हैं, “अब हम भी शिवाजी की तरह विदेशी आक्रांताओं को बंगला के समुद्र में डुबाकर नष्ट कर सकते हैं।”

सरसंघचालक ने बताया कि भावी पीढ़ियां भी शिवाजी से प्रेरणा लेती रही हैं। इसी के चलते गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगौर ने छत्रपति पर कविती लिखी। वहीं स्वामी विवेकानंद भी शिवाजी महाराज से प्रभावित नजर आए।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में डॉ. हेडगेवार, गोलवलकर गुरूजी और बालासाहब देवरस ने अलग-अलग समय पर कहा था कि संघ का व्यक्ति पूजा में विश्वास नहीं रखता। संघ का कार्य विचार दर्शन पर चलता है, लेकिन यदि किसी को भौतिक रूप में आदर्श मानना हो तो पौराणिक काल में पवन पुत्र हनुमान और आधुनिक इतिहास में छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे लिए आदर्श हैं।

डॉ. भागवत ने कहा कि शिवाजी महाराज ने समाज और देश को जो प्रेरणा प्रदान की थी, वह आज भी मौजूद है। छात्रपति का कीर्तन निरंतर रूप से होता रहे, इसलिए हमें स्वर्गीय सुमंत टेकाडे जैसे महानुभावों की जरूरत है। इस कार्य के लिए समाज को आगे आने का आह्वान भी डॉ. भागवत ने किया।--------------

हिन्दुस्थान समाचार / मनीष कुलकर्णी

Share this story

News Hub