'डिफेंस स्पेस इकोसिस्टम' में भारत के अब आत्मनिर्भर होने का समय : सीडीएस

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'डिफेंस स्पेस इकोसिस्टम' में भारत के अब आत्मनिर्भर होने का समय : सीडीएस

- जनरल चौहान ने तीन दिवसीय अंतरिक्ष संगोष्ठी और प्रदर्शनी का उद्घाटन किया

- अंतरिक्ष-रोधी क्षमताओं पर काम करने के लिए भारतीय उद्योग जगत से आह्वान

नई दिल्ली, 07 फरवरी (हि.स.)। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि अब भारत में अत्यधिक सक्षम आत्मनिर्भर 'डिफेंस स्पेस इकोसिस्टम' के निर्माण का समय है। उन्होंने भारतीय उद्योग जगत से देश की अंतरिक्ष संपत्तियों की सुरक्षा के लिए काउंटर-स्पेस क्षमताओं को बढ़ाने पर काम करने का आह्वान किया। उन्होंने जोर देकर कहा है कि चूंकि देश अमृत काल से गुजर रहा है, इसलिए अंतरिक्ष संवर्धन से लेकर अन्वेषण तक सरकार ने राष्ट्र के लिए बड़े लक्ष्यों की कल्पना की है।

सीडीएस चौहान बुधवार को दिल्ली कैंट के मानेकशॉ सेंटर में तीन दिवसीय अंतरिक्ष संगोष्ठी का उद्घाटन करने के बाद संबोधित कर रहे थे। सीडीएस ने निजी अंतरिक्ष उद्योग भागीदारों की विभिन्न तकनीक प्रगति को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। भारतीय सशस्त्र बलों में संयुक्तता, एकीकरण और परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय के साथ थिंक टैंक 'संयुक्त युद्ध अध्ययन केंद्र' और सैटकॉम इंडस्ट्री एसोसिएशन के साथ यह सेमिनार आयोजित की गई। इसका उद्देश्य नागरिक, वाणिज्यिक और रक्षा अंतरिक्ष कार्यक्रमों के बीच समन्वय और तालमेल को बढ़ावा देना है।

मानव जाति और युद्ध में लगे सशस्त्र बलों के लिए अंतरिक्ष की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए सीडीएस ने कहा कि भूमि, वायु, समुद्र और यहां तक कि साइबर के पारंपरिक क्षेत्रों में युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अंतरिक्ष का उपयोग किया जा सकता है। सशस्त्र बलों की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए अंतरिक्ष का उपयोग करने की सरकार की प्रमुख पहलों का उल्लेख करते हुए सीडीएस ने आई-डेक्स पहल के तहत मिशन डेफस्पेस 2022 के हिस्से के रूप में 75 अंतरिक्ष संबंधी चुनौतियों का उल्लेख किया।

जनरल चौहान ने कहा कि इस पहल के तहत कुल पांच अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए हैं और चार अनुबंध प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं। सीडीएस ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार देश के भीतर एक भरोसेमंद अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए स्टार्ट-अप सहित सभी हितधारकों को प्रोत्साहित कर रही है। हमारे पास अंतरिक्ष क्षेत्र में 2014 में एक स्टार्टअप था, जो 2023 में 204 तक बढ़ गए हैं। सरकार ने 2023 में इस क्षेत्र में 123 मिलियन डॉलर का निवेश किया है, जिससे कुल फंडिंग 380.25 मिलियन डॉलर हो गई है। सीडीएस ने वर्ष 2033 तक स्वदेशी अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 44 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद जताई है।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/पवन

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