सीडीएस ने युद्ध के बदलते चरित्र पर सेनाओं से तालमेल का आह्वान किया

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सीडीएस ने युद्ध के बदलते चरित्र पर सेनाओं से तालमेल का आह्वान किया

-वित्तीय सामंजस्य और तालमेल बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर

-सम्मेलन में रक्षा खरीद की पेंचीदगियों को सामने लाकर चर्चा की गई

नई दिल्ली, 05 अगस्त (हि.स.)। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने युद्ध की प्रकृति और स्‍वरूप में तेजी से हो रहे बदलाव को देखते हुए वित्तीय सामंजस्य और तालमेल बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है। मानेकशॉ सेंटर में सोमवार को दिनभर चले शीर्ष स्तरीय सम्मेलन में उन्होंने भारत के रणनीतिक हितों की रक्षा के लिए एकजुटता और तालमेल के साथ काम करने का आह्वान किया।

इस सम्मेलन का उद्देश्य सशस्त्र बलों के वित्तीय मुद्दों में सामंजस्य और तालमेल बढ़ाना है। जनरल अनिल चौहान ने शीर्ष त्रि-सेवा वित्तीय सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सशस्त्र बलों में युद्ध की प्रकृति और स्‍वरूप में तेजी से हो रहे बदलाव के कारण वित्तीय प्रक्रियाओं में बदलाव अपनाने की जरूरत पर बल दिया। अपने मुख्य भाषण में सीडीएस ने राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में मिलकर काम करते हुए भारत के रणनीतिक हितों की रक्षा के लिए एकजुटता और तालमेल के साथ काम करने का आह्वान किया, जो विकसित भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है।

इस सम्मेलन में सेना मुख्यालयों के उप प्रमुखों के साथ-साथ सेना मुख्यालयों, तटरक्षक मुख्यालय, रक्षा मंत्रालय अधिग्रहण, रक्षा मंत्रालय वित्त, सीजीडीए और सभी प्रमुख एकीकृत वित्तीय सलाहकारों के वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए। सम्मेलन में सभी वित्तीय सिद्धांतों का पालन करते हुए रक्षा खरीद में दक्षता में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

अपने उद्घाटन भाषण में एकीकृत रक्षा स्टाफ (पीपी एंड एफडी) के उप प्रमुख वाइस एडमिरल संजय वात्स्यायन ने रक्षा खरीद की पेंचीदगियों को सामने लाकर चर्चा की। वित्तीय सलाहकार (रक्षा सेवाएं) सुगाता घोष दस्तीदार ने विदेशी निर्भरता को कम करने और रक्षा में अनुसंधान और विकास के लिए शिक्षाविदों के साथ अधिक सहयोग सुनिश्चित करते हुए आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने पर जोर दिया।

सम्मेलन में सभी हितधारकों ने अपने विचार सामने रखे और सामंजस्य और तालमेल बढ़ाने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया। सेवा मुख्यालयों ने सार्वजनिक खरीद में अपनी-अपनी चुनौतियों के बारे में जानकारी दी और उन्हें दूर करने के तरीकों पर चर्चा की गई। पीआईएफए ने पूंजी और राजस्व खरीद के महत्वपूर्ण मुद्दों पर सक्रिय रूप से भाग लिया। सम्मेलन की कुछ प्रमुख उपलब्धियों को अनुमोदन के लिए रक्षा मंत्रालय को भेजा जाएगा।

एयर वाइस मार्शल अनिल सभरवाल ने कहा कि सभी सशस्त्र बलों के पास चुनौतियों से निपटने के लिए अत्याधुनिक उपकरण होने चाहिए लेकिन इन सभी अत्याधुनिक उपकरणों को हासिल करना बहुत महंगा है, इसलिए हमें विदेशी खर्चों पर निर्भर रहना पड़ता है। यह सही है कि जरूरत आत्मनिर्भरता की है लेकिन इन सभी चीजों के लिए बहुत सारा पैसा चाहिए। यह पैसा देश के करदाताओं का है, इसलिए सरकार के साथ ही सशस्त्र बल इस बात को लेकर बहुत विचारशील हैं कि इसका उपयोग कहां करना है। अगर हम सभी वित्तीय बारीकियों को अच्छी तरह से समझ लें तो हम इसका सही तरीके से उपयोग कर पाएंगे।

मेजर जनरल संदीप नारंग कहते हैं कि अगर हम एक राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमारे पास आत्मनिर्भर होने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। ऐसे सम्मेलनों में सभी सेनाएं अपने विचार साझा करती हैं, हमारे पास वित्तीय सलाहकार होते हैं जो देखते हैं कि हम कैसे आगे बढ़ सकते हैं और हमें आवंटित बजट से अधिकतम लाभ कैसे प्राप्त कर सकते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत निगम

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