परमार्थ निकेतन में मप्र के कैबिनेट मंत्री कैलाश बाेले- अब ओंकारेश्वर में 'नर्मदा' तट पर भी शुरू होगी गंगा आरती
- स्वामी चिदानंद सरस्वती से भेंट कर विभिन्न समसामयिक विषयों पर की चर्चा
ऋषिकेश/देहरादून, 03 मई (हि.स.)। मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय शुक्रवार को ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन पहुंचे, जहां परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती से भेंट कर विभिन्न समसामयिक विषयों पर चर्चा की। स्वामी ने ओंकारेश्वर में नर्मदा की आरती शुरू करने के लिए विजयवर्गीय को प्रेरित किया। कैबिनेट मंत्री ने महाराजश्री को ओंकारेश्वर ‘महाकाल’ की धरती पर आने के लिए आमंत्रित करने के साथ कहा कि अब ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर आरती जल्द शुरू होगी।
उन्होंने कहा कि जब भी आपसे मिलते हैं नदियों पर आरती की शुरूआत का संदेश सभी को प्रेरणा प्रदान करता है। आज परमार्थ गंगा तट पर जो आरती का स्वरूप है, वह अद्भुत व्यक्तित्व एवं संकल्प का ही दिव्य परिणाम है। किसने सोचा था कि एक दिन गंगा आरती अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर वैश्विक पुरस्कार भी लाएगी और जागरण का केंद्र बनेगी। यह सब आपकी प्रेरणा व संकल्प की ही शक्ति है।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि स्वामी चिदानंद सरस्वती पर्यावरण संरक्षण, भारत एवं भारत की संस्कृति को पूरे विश्व में प्रसारित करने के लिए जो कार्य कर रहे हैं, वह अद्भुत, अवर्णनीय व अलौकिक है। एक क्षेत्र नहीं, ऐसे अनेक क्षेत्र है जिसमें आपका योगदान अद्भुत है। भारत के लिए स्वामी ने बहुत कुछ किया है। स्वामी ने हिमालय की हरित रूद्राक्ष का दिव्य पौधा कैबिनेट मंत्री को भेंट किया। इस दौरान मेयर ऋषिकेश अनीता ममगाई भी उपस्थित थीं। स्वामी के अनुयायी व आश्रम के भक्त दिनेश शाहरा ने अपनी नूतन कृतियां मंत्री को भेंट की।
‘बोल बम-बोल बम, कचरा कर दो जड़ से खत्म’ कांवड़ यात्रा से पर्यावरण संरक्षण का देंगे संदेश
स्वामी ने कहा कि वर्तमान समय की सबसे बड़ी जरूरत पर्यावरण संरक्षण है। उन्होंने नीलकंठ महादेव कावंड़ यात्रा पर चर्चा करते हुए कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान लाखों शिवभक्त परमार्थ निकेतन आते हैं। उन्हें विभिन्न माध्यमों से पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करना होगा, ताकि यात्रा के साथ वे यहां से पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी लेकर जाएं। स्वामी ने कहा कि आने वाले कांवड़ मेला में सारा जोर पर्यावरण संरक्षण के लिए लगाना होगा, ताकि यहां-वहां जो कचरे के पहाड़ दिखाई देते हैं उन्हें खत्म किया जा सके। ‘बोल बम-बोल बम, कचरा कर दो जड़ से खत्म’ को चरितार्थ करना होगा। पर्यावरण बचेगा तो पीढ़ियां बचेगी-पृथ्वी बचेगी, इसलिए मिलकर इस ओर कार्य करना होगा।
प्रथाओं व परंपराओं को पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए करें उसका अनुकरण
महाराजश्री ने कहा कि ऋषियों ने पर्यावरण संरक्षण और पौधरोपण के लिए विभिन्न प्रथाओं व परंपराओं को बनाया था। उन परंपराओं को जीवंत बनाए रखना होगा। उन दिव्य मूल्यों व संदेशों को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए वर्तमान पीढ़ी को उनका अनुकरण करना होगा।
हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/प्रभात
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