कार्बन उत्सर्जन का 80 प्रतिशत बोझ विकसित देशों पर: आरके सिंह
नई दिल्ली, 1 दिसंबर (हि.स.)। भारत 2005 के स्तर की तुलना में 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। केन्द्रीय विद्युत एवं नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने शुक्रवार को गांधीनगर में भारत में ऊर्जा परिवर्तन - सड़क यात्रा और आगे के अवसर विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर यह बात कही।
बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए केन्द्रीय मंत्री आरके सिंह ने कहा कि विकसित देशों को कार्बन उत्सर्जन कैसे पैदा किया जाता है, इसके बजाय कार्बन उत्सर्जन कम करने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कार्बन उत्सर्जन का 80 प्रतिशत बोझ विकसित देशों पर है, जिनके पास दुनिया की केवल एक तिहाई आबादी है।
उर्जा मंत्री ने कहा कि इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने और ऊर्जा संक्रमण को सुविधाजनक बनाने की महत्वाकांक्षी दृष्टि के साथ आगे बढ़ना है। दो दिवसीय सम्मेलन ग्रिड एकीकरण, वित्तपोषण उपकरण और सहायक बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित चुनौतियों पर विचार करके नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन और खपत को बढ़ाने पर केंद्रित होगा। भारत का लक्ष्य 2030 तक 500 गीगावॉट जीवाश्म ईंधन आधारित क्षमता जोड़ना और स्थापित क्षमता के मामले में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी को कम से कम 50 प्रतिशत तक बढ़ाना है।
केन्द्रीय विद्युत एवं नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह और गुजरात के वित्त और ऊर्जा पेट्रो-केमिकल्स विभाग के मंत्री कनुभाई देसाई ने शुक्रवार को इस राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। यह सम्मेलन आगामी वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट 2024 के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया है। सम्मेलन को गुजरात के ऊर्जा, पेट्रो-केमिकल्स और वित्त मंत्री कनुभाई देसाई सहित गण्यमान्य व्यक्तियों ने संबोधित किया। इस सम्मेलन में देश-विदेश के ऊर्जा एवं नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के 250 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
इस अवसर पर गुजरात के वित्त एवं ऊर्जा मंत्री कनुभाई देसाई ने कहा कि मौजूदा प्रधानमंत्री और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता और दीर्घकालिक योजना के कारण गुजरात नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान देश में पहली बार गुजरात में एक जलवायु परिवर्तन विभाग स्थापित किया गया, जिससे स्थिरता, ऊर्जा परिवर्तन और शुद्ध-शून्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के उपाय सक्षम हुए ।
उन्हाेंने कहा कि गुजरात देश का पहला राज्य है, जिसने राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा के विकास के लिए प्रोत्साहन प्रदान करते हुए नवीकरणीय ऊर्जा पर नीतियां जारी की हैं। गुजरात आज स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता के मामले में देश में पहले स्थान पर है, जो देश की कुल स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता का 25 प्रतिशत है। इसके अलावा, गुजरात में सबसे अधिक स्थापित रूफ-टॉप सौर क्षमता है, जो भारत की कुल रूफ-टॉप सौर क्षमता का 26 प्रतिशत है ।
हिन्दुस्थान समाचार/ बिरंचि सिंह/दधिबल
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