बिहार के बोधगया को बुद्धिस्ट सर्किट से जोड़ा जाएगा: सतपाल महाराज

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बिहार के बोधगया को बुद्धिस्ट सर्किट से जोड़ा जाएगा: सतपाल महाराज


-पटना में दो दिवसीय 'यात्रा एवं पर्यटन मेला (टीटीएफ)' शुरू

पटना, 22 अक्टूबर (हि.स.)। बिहार के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे उत्तराखंड सरकार ने पर्यटन धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने आज यहां कहा कि बोधगया (जहां भगवान बुद्ध को दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ था) को बुद्धिस्ट सर्किट से और पटना साहिब गुरुद्वारा को पोंटा साहिब से जोड़ने का प्रयास होगा।

बिहार सरकार की मेजबानी में दो दिवसीय 'यात्रा एवं पर्यटन मेला (टीटीएफ)' के शुभारंभ अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महाराज ने कहा कि देश एवं प्रदेश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का अहम योगदान होता है। पर्यटन के माध्यम से ही हमें नई जगह की संस्कृति और वहां के इतिहास का पता चलता है। हमारे देश के ऋषि मुनियों ने भी पर्यटन को प्रथम महत्व दिया है। प्राचीन गुरुओं, ब्राह्मणों, ऋषियों और तपस्वियों ने कहा है कि बिना पर्यटन मानव अन्धकार प्रेमी होकर रह जायेगा। पाश्चात्य विद्वान आगस्टिन ने कहा है कि बिना विश्व दर्शन ज्ञान ही अधूरा है।

महाराज ने कहा कि बिहार स्थित गंगा की सहयक नदी पुनपुन और गया को, जहां पिंड दान करने का महत्व है उसे बद्रीनाथ धाम में स्थित ब्रह्मकपाल से जोड़ते हुए देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक झारखंड के देवघर स्थित बैद्यनाथ धाम को भी उत्तराखंड स्थित केदारनाथ से जोड़ा जाएगा ताकि श्रद्धालुओं को इनके पौराणिक और धार्मिक महत्व की जानकारी मिल सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सुव्यवस्थित मास्टर प्लान के तहत केदारनाथ धाम एवं बद्रीनाथ धाम के साथ ही जागेश्वर धाम, महासू, टिम्मरसैण आदि का विकास कर रही है। इस वर्ष अभी तक लगभग 42.00 लाख श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आ चुके हैं।

महाराज ने कहा कि हमारी सरकार राज्य में शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सीमांत गांवों, दूरस्थ गतंव्यों में केंद्र सरकार की वाईब्रेंट विलेज योजना के तहत पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय निवासियों के पलायन की समस्या को रोकने की दिशा में कार्य कर रही है। उत्तराखण्ड पर्यटन द्वारा शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा दिये जाने के लिए एक नई पहल शुरू की गयी है, जिसमें यात्रियों, श्रद्धालुओं को हैली के माध्यम से भगवान शिव के निवास स्थान आदि कैलाश तथा ऊँ पर्वत के दर्शन कराये जा रहे हैं। इसके अलावा राज्य में खगोलीय पर्यटन (एस्ट्रो टूरिज्म) को बढ़ावा दिये जाने के लिए कार्य किया जा रहा है।

महाराज ने कहा कि उत्तराखंड में एस्ट्रो टूरिज्म गंतव्यों की बहुतायत है। उत्तराखंड अपने विशाल वन क्षेत्र, प्रकृति आधारित पर्यटन और होम-स्टे के साथ एस्ट्रो टूरिस्ट की पसंद बनने के लिए विशिष्ट स्थिति में है। उत्तराखण्ड पर्यटन द्वारा राज्य के विभिन्न स्थानों पर नक्षत्र सभा (एस्ट्रो टूरिज्म) का आयोजन शुरू किया गया है, जो भारत का पहला वार्षिक अभियान है। उत्तराखण्ड पर्यटन द्वारा आयोजित प्रथम दो नक्षत्र सभा (एस्ट्रो टूरिज्म) की अपार सफलता को देखते हुए अब 08 से 10 नवम्बर तक बेनीताल, चमोली में तृतीय नक्षत्र सभा (एस्ट्रो टूरिज्म) का आयोजन होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद चौधरी

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