भाजपा : नए मानदंडों की राजनीति
डॉ. मयंक चतुर्वेदी
भारतीय जनता पार्टी द्वारा बिहार सरकार के मंत्री नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया जाना सतह पर भले ही एक संगठनात्मक फेरबदल जैसा दिखता है, किंतु गहराई से देखें तो यह निर्णय मोदी-शाह युग में भाजपा की उस कार्यशैली को उजागर करता है, जिसने पिछले एक दशक में भारतीय राजनीति के स्थापित मानदंडों को लगातार चुनौती दी है। कहना होगा कि यह नियुक्ति उस व्यापक सोच का हिस्सा है जिसके तहत भाजपा संगठन, नेतृत्व और सत्ता तीनों को नए सांचे में ढालने का प्रयास कर रही है।
भाजपा की राजनीति अब उस दौर से काफी आगे निकल चुकी है, जहां वरिष्ठता, जातीय समीकरण या पारंपरिक गुटबाजी के आधार पर बड़े फैसले लिए जाते थे। नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि संगठनात्मक दक्षता, चुनावी विश्वसनीयता और जमीनी पकड़ ही नेतृत्व के प्रमुख पैमाने होंगे। नितिन नबीन की नियुक्ति इसी सोच की अभिव्यक्ति है।
मोदी-शाह युग की इस भाजपा की सबसे विशिष्ट पहचान उसके अप्रत्याशित लेकिन सुविचारित फैसले रहे हैं। 2014 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित करना, 2017 में उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य की कमान योगी आदित्यनाथ को सौंपना या फिर अपेक्षाकृत युवा और कम चर्चित नेताओं को संगठन और सरकार में बड़ी भूमिकाएं देना, मध्य प्रदेश में अच्छे-अच्छे राजनीतिक धुरंधर पता नहीं लगा सके और डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी देना जैसे कई निर्णय हैं। इन सभी निर्णयों ने पारंपरिक राजनीतिक गणनाओं को बार-बार झटका दिया है। नितिन नबीन का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनना भी इसी क्रम की एक कड़ी है, जो यह बताती है कि भाजपा अब ‘सुरक्षित विकल्पों’ की राजनीति नहीं कर रही है, वो ‘क्षमता आधारित जोखिम’ लेने को तैयार है।
मोदी-शाह मॉडल की राजनीति का एक केंद्रीय तत्व यह रहा है कि संगठन को सत्ता से ऊपर रखा जाए। भाजपा का मानना रहा है कि मजबूत संगठन के बिना सत्ता क्षणिक होती है। यही कारण है कि पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे नेताओं को आगे ला रही है, जिनकी जड़ें बूथ स्तर तक फैली हों और जो कार्यकर्ता-आधारित राजनीति को समझते हों। नितिन नबीन की नई भूमिका भी इसी दिशा में देखी जानी चाहिए। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में उनसे अपेक्षा होगी कि वे विभिन्न राज्यों में संगठनात्मक समन्वय को मजबूत करें, चुनावी तैयारियों को धार दें और कार्यकर्ताओं के बीच संवाद को बेहतर बनाएं।
इस नियुक्ति का एक और महत्वपूर्ण पहलू क्षेत्रीय संतुलन से जुड़ा है। भाजपा ने पिछले वर्षों में यह कोशिश की है कि राष्ट्रीय नेतृत्व में देश के हर हिस्से का प्रतिनिधित्व हो। बिहार और पूर्वी भारत को राष्ट्रीय संगठन में अधिक महत्व देना पार्टी की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है। यह क्षेत्र लंबे समय तक सामाजिक न्याय और क्षेत्रीय दलों की राजनीति का केंद्र रहा है, किंतु भाजपा अब यहां संगठनात्मक विस्तार के जरिए अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। नितिन नबीन जैसे नेता, जो शहरी मतदाता, संगठन और प्रशासन तीनों को समझते हैं, इस रणनीति में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
राजनीतिक दृष्टि से यह नियुक्ति यह भी बताती है कि भाजपा नेतृत्व भविष्य की तैयारी कर रहा है। संगठन के भीतर नए चेहरों को आगे लाना और उन्हें जिम्मेदारी देना यह संकेत देता है कि भाजपा अपने नेतृत्व को लेकर दीर्घकालिक सोच रखती है। यह सोच कांग्रेस और अन्य दलों की उस राजनीति से अलग है, जहां नेतृत्व संकट अक्सर चुनाव के समय उभरता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नितिन नबीन को दी गई बधाई को यदि ध्यान से पढ़ा जाए, तो उसमें भाजपा की नेतृत्व-दृष्टि स्पष्ट दिखाई देती है। ‘मेहनती कार्यकर्ता’, ‘जमीनी स्तर पर काम करने वाला नेता’, ‘विनम्रता’ और ‘ऊर्जा’ जैसे शब्द केवल प्रशंसा नहीं हैं, वस्तुतः ये सभी शब्द उस राजनीतिक आदर्श को परिभाषित करते हैं जिसे भाजपा आगे बढ़ाना चाहती है। l संदेश साफ है कि आज की भाजपा में नेतृत्व भाषणों या प्रचार से नहीं, संगठनात्मक श्रम और जनता से निरंतर जुड़ाव से अर्जित किया जा सकता है।
नितिन नबीन का राजनीतिक सफर इस संदर्भ में उल्लेखनीय है। वे एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से आते हैं। युवा मोर्चा से लेकर प्रदेश और राष्ट्रीय संगठन तक उनकी यात्रा बताती है कि भाजपा में संगठनात्मक राजनीति अब भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी चुनावी राजनीति। 2010 से लगातार तीन बार बांकीपुर से विधायक चुना जाना और 2020 में बड़े अंतर से जीत दर्ज करना यह साबित करता है कि उनकी राजनीति पार्टी की छाया के साथ ही जनाधार पर टिकी है। मंत्री के रूप में शहरी बुनियादी ढांचे, सड़कों और यातायात सुधार पर उनका जोर उन्हें बिहार की शहरी राजनीति में एक विशिष्ट पहचान देता है।
वस्तुतः नितिन नबीन की व्यक्तिगत और आर्थिक प्रोफ़ाइल भी भाजपा की उस छवि के अनुरूप है, जिसे पार्टी आगे बढ़ाना चाहती है, मध्यमवर्गीय, स्थिर और अपेक्षाकृत साफ-सुथरी राजनीति। यह पहलू आज के मतदाता के लिए महत्वपूर्ण होता जा रहा है जो विकास के साथ-साथ पारदर्शिता की भी अपेक्षा करता है।
अतः नितिन नबीन की राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति को भाजपा की बदलती राजनीतिक संस्कृति के प्रतीक के रूप में देखा जाना चाहिए। यह निर्णय बताता है कि मोदी-शाह युग की भाजपा नेतृत्व चयन में नए मानदंड स्थापित कर रही है, जहां संगठनात्मक अनुभव, चुनावी क्षमता और जमीनी जुड़ाव सर्वोपरि हैं। यही वह कारण है कि भाजपा आज चुनाव जीतने वाली पार्टी है, एक ऐसी राजनीतिक मशीन बन चुकी है जो लगातार अपने भीतर बदलाव करने की क्षमता रखती है। इस दृष्टि से नितिन नबीन की नियुक्ति भारतीय राजनीति के बदलते चरित्र को समझने की एक महत्वपूर्ण कुंजी भी है।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी

