लोकसभा चुनावः तमिलनाडु की बहुचर्चित सीट कोयंबटूर पर रोचक मुकाबला, के. अन्नामलाई पर सबकी नजर

लोकसभा चुनावः तमिलनाडु की बहुचर्चित सीट कोयंबटूर पर रोचक मुकाबला, के. अन्नामलाई पर सबकी नजर
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लोकसभा चुनावः तमिलनाडु की बहुचर्चित सीट कोयंबटूर पर रोचक मुकाबला, के. अन्नामलाई पर सबकी नजर


चेन्नई, 17 अप्रैल (हि.स.)। तमिलनाडु में कोयंबटूर लोकसभा सीट सबके लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इसका मुख्य कारण तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष के. अन्नामलाई का चुनाव मैदान में होना है। जब से अन्नामलाई तमिलनाडु भाजपा की कमान संभाले हैं, तब से उन्होंने अपने काम करने की शैली से तमिलनाडु भाजपा की नई छवि बनाई है। इसका नतीजा है कि विपक्षी पार्टियों में उथल-पुथल मच गई है। खासकर द्रमुक और अन्नाद्रमुक घबरा उठी हैं। कमोबेश यही हालत राज्य में अपनी जड़ें जमा रही कांग्रेस पार्टी की भी है ।

तमिलनाडु की राजनीतिक जंग का प्रोफाइल देखने से पता चलता है कि क्षेत्र में काम करके वोट मांगने का कार्य तमिलनाडु की सभी पार्टियां करती हैं लेकिन धरातल की सच्चाई कम लोगों के पास है। यह बात उसी समय से उजागर हो गई थी, जब तमिलनाडु में भाजपा ने अपनी नई सिरे से जड़ें जमानी आरंभ की थीं। खास तौर पर के. अन्नामलाई के नेतृत्व के बाद भाजपा की एक पहचान बनने लगी।

धीरे-धीरे अन्नामलाई ने बड़ी प्रखरता के साथ तमिलनाडु की सत्ता पर सवाल उठाने और एक जीवंत विपक्षी दल की भूमिका निभाने की अगुवाई करने लगे। इसका असर यह हुआ की वह प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह तथा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के चहेते बन गए। इसका उन्हें यह इनाम मिला कि सत्तारूढ़ द्रमुक के गढ़ माने जाने वाले कोयंबटूर लोकसभा क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार के रूप में 39 वर्षीय अन्नामलाई चुनावी मुकाबले के लिए उतारे गए।

पिछले कई महीनों से जिस प्रकार से अन्नामलाई विभिन्न प्रकार के घोटाले के पेपर, वीडियो और ऑडियो सार्वजनिक करते रहे हैं, उससे उनका कद और बढ़ गया है। कच्चातिवु द्वीप का मामला भी इनमें प्रमुख है। इस बीच अपनी चुनावी ताकत साबित करने के लिए सत्तारूढ़ द्रमुक ने सहयोगियों को सीट देने की बजाय कोयंबटूर से अपना उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला किया। पूर्व मेयर पी गणपति राजकुमार द्रमुक के उम्मीदवार हैं। 2019 में द्रमुक की सहयोगी सीपीआईएम ने यह सीट जीती।

इस बार द्रमुक अपनी सफलता को सुनिश्चित करने के लिए तमिलनाडु की बसों में महिलाओं के लिए किराया-मुक्त यात्रा सहित अपनी कई कल्याणकारी योजनाएं लांच की हैं। इसके बावजूद उनकी पार्टी बिजली की उच्च लागत, कावेरी जल समस्या तथा उपज के समर्थन मूल्य और एमएसएमई के बीच असंतोष जैसी कुछ सत्ता-विरोधी लहर से जूझ रही है।

पिछले साल लगभग 3,000 एमएसएमई इकाइयों ने बिजली दरों में बढ़ोतरी के विरोध में भूख हड़ताल की थी। बिजली दरों में बढ़ोतरी के कारण एमएसएमई इकाइयां सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं। सरकार को सौंपे गए ज्ञापनों पर अब तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। एमएसएमई के कारण द्रमुक परेशान है। प्रमुख दलों द्वारा मैदान में उतारे गए उम्मीदवारों में अन्नाद्रमुक के सिंगाई जी रामचंद्रन (36) सबसे कम उम्र के हैं। वह और अन्नामलाई दोनों आईआईएम स्नातक हैं और राजकुमार (58) पत्रकारिता में डॉक्टरेट हैं।

राजनीतिक दलों की बात करें तो द्रमुक ने 500 दिनों में पूरा करने के लिए 100 वादे किए हैं । इन आश्वासनों में नदियों की सफाई, एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा और पूर्व मुख्यमंत्री के कामराज के नाम पर खाद्य वैन शामिल हैं। कामराज स्वतंत्रता आंदोलन के एक अनुभवी कांग्रेस नेता थे, जिन्हें उनकी ईमानदारी और लोगों के लिए किए गए अभूतपूर्व कार्यों के लिए याद किया जाता है। परंपरागत रूप से एआईएडीएमके का गढ़, वामपंथी संगठन और उनसे जुड़े ट्रेड यूनियन श्रमिकों के एक वर्ग पर प्रभाव रखते हैं। इसी तरह, कोयंबटूर में भाजपा के कई प्रभावी क्षेत्र हैं और मजबूत मतदाताओं का आधार है। यह एक ऐसा क्षेत्र भी है, जहां हिंदू संगठनों की तुलनात्मक रूप से अच्छी उपस्थिति है। हालांकि, भाजपा की ताकत का द्रमुक और अन्नाद्रमुक की संगठनात्मक शक्ति से कोई मुकाबला नहीं दिखता।

कोयंबटूर में अन्नाद्रमुक के अभियान का सार यह है कि केवल उसके पिछले शासन के दौरान ही विकास किया। फिलहाल, सांप्रदायिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र में 2022 में दीपावली की पूर्व संध्या पर हुआ कार विस्फोट लोगों के जेहन में ताजा है। हाल ही में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रोड शो किया तो उन्होंने 1998 के सीरियल बम ब्लास्ट के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी, जिसमें 58 लोग मारे गए थे, जो काफी असरकारी रहा है। यह अच्छी बात है कि अन्नामलाई ने यहां राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक इकाई स्थापित करने का वादा किया है, जिसे कोयंबटूर की जनता ने बड़े ही गंभीरता से लिया है।

कुछ दिन पहले, मुख्यमंत्री स्टालिन ने एक सभा को संबोधित करते हुए आरोप लगाया था कि मोदी के नोटबंदी और जीएसटी कार्यान्वयन के 'दोहरे हमले' ने इस पश्चिमी क्षेत्र के उद्योगों को प्रभावित किया है। उन्होंने तब आरोप लगाया, औद्योगिक इकाइयां जो कभी श्रमिकों को काम पर रखने की घोषणा करने वाले नोटिस बोर्ड लगाती थीं अब नीलामी नोटिस लगाती हैं।

यहां के उद्योगों के जानकारों का कहना है कि कच्चे माल और संबद्ध वस्तुओं की कीमतों में लगातार वृद्धि ने एमएसएमई को और नुकसान पहुंचाया है। कच्चे माल में उछाल के कारण उत्पादन लागतों के बढ़ने से ऑर्डर रद्द हो जाते हैं।स्वाभाविक है, इससे इससे निर्यात में और गिरावट आएगी। कोयंबटूर और आसपास के इलाकों में कपड़ा इकाइयां, ऑटो घटकों, वेट ग्राइंडर, मोटर पंप और फाउंड्री की विनिर्माण इकाइयां शामिल हैं, जिनकाे आज प्रोत्साहन की जरूरत है। इतना ही नहीं, कार निर्माता मारुति उद्योग और टाटा मोटर्स अपने ऑटोमोटिव घटकों का 30 प्रतिशत तक आयात करते हैं।

कोयंबटूर से कलामणि जगनाथन (36) नाम तमिलर काच्चू के उम्मीदवार हैं। मतदाताओं के एक वर्ग के बीच उनकी लोकप्रियता से इनकार नहीं किया जा सकता है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि अबकी कोयंबटूर के चुनावी मैदान में उम्मीदवारों को चतुष्कोणीय मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में अन्नामलाई के आने से यहां लड़ाई काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण हो गई है। वर्ष 1999 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के सीपी राधाकृष्णन ने द्रमुक के साथ गठबंधन के तहत सीट जीती थी। हालांकि उस समय भाजपा अन्नाद्रमुक की सहयोगी थी।

हिन्दुस्थान समाचार/ आरबी चौधरी/दधिबल

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