समाज के सामर्थ्यवान और सम्पन्न वर्ग निर्बल वर्ग की रक्षा करे, रक्षाबन्धन का यही उद्देश्य : भैय्या जी जोशी

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समाज के सामर्थ्यवान और सम्पन्न वर्ग निर्बल वर्ग की रक्षा करे, रक्षाबन्धन का यही उद्देश्य : भैय्या जी जोशी


समाज के सामर्थ्यवान और सम्पन्न वर्ग निर्बल वर्ग की रक्षा करे, रक्षाबन्धन का यही उद्देश्य : भैय्या जी जोशी


वाराणसी, 18 अगस्त (हि.स.)। व्यक्ति के मध्य स्नेह का सूत्र ऐसा हो कि सुख में, आनन्द में, समस्याओं में लोग एक दूसरे के साथ खड़े रहें। स्नेह के कारण किसी प्रकार के संघर्ष की गुंजाइश नहीं होती। रक्षाबन्धन वास्तव में स्नेह बन्धन है। समाज के सामर्थ्यवान और सम्पन्न वर्ग निर्बल वर्ग की रक्षा करे, रक्षाबन्धन का यही उद्देश्य है। यह उद्गार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य भैय्या जी जोशी ने एक कार्यक्रम में व्यक्त की।

भैय्या जी जोशी रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)काशी मध्य भाग की ओर से पिपलानी कटरा कबीरचौरा स्थित सरोजा पैलेस में आयोजित रक्षाबन्धन उत्सव को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि जिस समाज के मन में दूसरों के प्रति स्नेह का भाव है, वहीं समाज स्थायी रहता है। श्रीमद्भगवत् गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि किसी के प्रति विद्वेष का भाव न हो, उसे ही मनुष्य कहते हैं।

भैय्या जी जोशी ने कहा कि करुणा, वेदना-सम्वेदना, मनुष्यता के आवश्यक गुण हैं। द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरु जी ने कहा है कि अपने समाज के प्रति, विश्व के प्रति, प्रकृति के प्रति आत्मीय स्नेह यह अपने कार्य का आधार है। जिस चिंतन में सबको साथ लेकर चलने का विश्वास है, विश्व पर उसी चिंतन का प्रभुत्व रहेगा। ऐसे चिंतन को मानने वाला एक मात्र हिन्दू समाज ही है। जब कोई कहता है कि भारत विश्व गुरु बनेगा तो इसका अर्थ कदापि नहीं है कि बाकी राष्ट्र भारत के अधीन रहेंगे, बल्कि सभी राष्ट्र भारत का अनुकरण करेंगे।

उन्होंने कहा कि भारत से जो भी सन्त-महात्मा, दुनिया भर में गये वह शस्त्र लेकर नहीं, अपितु शास्त्र लेकर गये। भारत सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय का चिंतन करता है। भैया जी ने वर्तमान समाज में व्याप्त चुनौतियों की चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान जीवन शैली में विकृति आ गयी है, इस देश में अपने आप को राष्ट्र की प्राचीन परम्परा का वाहक मानने वाला नागरिक चाहिए। प्रमाणिकता, एकता, न्याय, परस्पर सहयोग यह जीवन मूल्य हैं। कोई भी समाज, शत-प्रतिशत स्वावलम्बी अथवा शत-प्रतिशत परावलम्बी नहीं हो सकता। भारतीय मूल्य हमें परस्पर स्नेह बन्धन में बंधना सिखाते हैं।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सन्त निरंकारी मिशन के जोनल इंचार्ज सिद्धार्थ शंकर सिंह ने कहा कि संत निरंकारी मिशन का संदेश पूरी दुनिया को एकता के सूत्र में बांधने का है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी एकता के भाव को लेकर आगे बढ़ रहा है। कार्यक्रम के प्रारम्भ में दीप प्रज्ज्वलन के बाद भगवा ध्वज को अतिथियों ने रक्षासूत्र बांधा। संघ की प्रार्थना के उपरान्त उपस्थित लोगों ने एक दूसरे को रक्षा सूत्र बांधकर रक्षा का वचन दिया।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से काशी मध्य भाग के भाग संघ चालक डॉ हेमन्त गुप्त, प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य रामाशीष , सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा, आरएसएस के काशी प्रान्त प्रचारक रमेश, सह प्रान्त कार्यवाह डॉ राकेश तिवारी, काशी विभाग प्रचारक नितिन, काशी मध्य भाग प्रचारक बृजेश आदि की भी मौजूदगी रही।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी / राजेश

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