राष्ट्रीय बालरंगः 22 राज्यों के विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभा से बिखेरी इंद्रधनुषीय छटा
-लोकनृत्य में हरियाणा के बधावा को प्रथम, हिमाचल के पहाड़ी नाटी को द्वितीय, बिहार के सामा चकावा को मिला तृतीय स्थान
भोपाल, 21 दिसंबर (हि.स.)। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा भोपाल के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय परिसर में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय बालरंग महोत्सव 2023 का गुरुवार को पुरस्कार वितरण के साथ समापन हुआ। समापन समारोह में संगीतकार उमेश तरकसवार के निर्देशन में प्रदेश के शासकीय स्कूलों के 80 विद्यार्थियों ने वैश्विक वृंदगान की प्रस्तुति दी। राष्ट्रीय बालरंग महोत्सव में 22 राज्यों के विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभा से इंद्रधनुषीय छटा बिखेरी।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉक्टर कपिल तिवारी एवं लोक शिक्षण आयुक्त अनुभा श्रीवास्तव ने सहभागी विद्यार्थियों का अभिनंदन किया। इस अवसर पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के निदेशक अमिताभ पांडे, उपसचिव मंजूषा राय, लोक शिक्षण संचालकद्वय डीएस कुशवाह, केके द्विवेदी, संयुक्त संचालक लोक शिक्षण (भोपाल संभाग) अरविंद चोरगढे, विभिन्न अधिकारीगण, शिक्षकगण, विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागी विद्यार्थी सहित उनके मेंटर्स एवं अभिभावक उपस्थित रहे।
हरियाणा के बधावा लोकनृत्य ने जीता प्रथम पुरस्कार
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय बालरंग 2023 कार्यक्रम में मध्यप्रदेश सहित 22 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूली विद्यार्थियों ने प्रतिभागिता की। राष्ट्रीय बालरंग 2023 में राज्यों के पारंपरिक लोकनृत्य में विभिन्न राज्यों के प्रतिभागी स्कूली विद्यार्थियों द्वारा दी प्रस्तुतियों में उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए हरियाणा के बधावा लोकनृत्य को प्रथम पुरस्कार 51 हजार रुपये, हिमाचल के पहाड़ी नाटी लोकनृत्य को द्वितीय पुरस्कार 31 हजार रुपये, बिहार के सामा चकावा को तृतीय पुरस्कार 21 हजार रुपये सहित ट्रॉफी एवं प्रशस्ति पत्र दिए गए।
वहीं, छत्तीसगढ़ और असम राज्य के लोकनृत्य को सांत्वना पुरस्कार स्वरूप पांच-पांच हजार रुपये सहित ट्रॉफी एवं प्रशस्ति पत्र दिया गया। इसके साथ फूड जोन, लघु भारत प्रदर्शनी, सहोदय ग्रुप, क्रिएटिव क्राफ्ट प्रदर्शनी एवं अन्य प्रतियोगिता के प्रतिभागियों को भी पुरस्कृत किया गया।
मुख्य अतिथि डॉ कपिल तिवारी ने कहा कि विभिन्न राज्यों की अलग भाषा, वेशभूषा और रहन सहन के अलग होने के बाद भी हमारी सांस्कृतिक विरासत एक है। समृद्ध शिक्षा; कला, भाषा और संस्कृति के समावेश के बिना अधूरी है। उन्होंने कहा कि बच्चों में नैसर्गिक प्रतिभा होती है। विद्यार्थीकाल का सांस्कृतिक शिक्षण जीवन भर साथ रहता है और बालरंग सांस्कृतिक शिक्षण का केंद्र है।
लोक शिक्षण आयुक्त अनुभा श्रीवास्तव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसरण में राष्ट्रीय बालरंग को रंगकर इंद्रधनुषीय छटा बिखेरने के लिए सभी राज्यों से आए प्रतिभागी विद्यार्थी और शिक्षक बधाई के पात्र हैं। उन्होंने विभिन्न राज्यों से आए सभी प्रतिभागी विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बालरंग की यह तीन दिवसीय स्मृतियां बच्चों के जीवन में आजीवन तरोताजा रहेगी। उन्होंने कहा कि बच्चों को उचित मंच और सही मार्गदर्शन मिले तो वह किसी भी क्षेत्र में अपनी प्रतिभा को स्थापित कर समाज में अपनी अनूठी पहचान बना सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि तीन दिवसीय बालरंग महोत्सव में 19 दिसंबर को राज्यस्तरीय बालरंग में प्रदेश के 9 संभागों के लगभग एक हजार प्रतिभागी विद्यार्थियों ने भी बालरंग महोत्सव की थीम- आत्मनिर्भर भारत के अनुरूप अपने जिले की संस्कृति, वेशभूषा, नृत्य एवं खानपान को विभिन्न मंचों पर प्रदर्शित किया। वहीं, 20 और 21 दिसंबर को राष्ट्रीय बालरंग में लगभग 22 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से आए लगभग 450 विद्यार्थियों ने प्रतिभागिता की। विभिन्न साहित्यिक एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में देश भर के स्कूली बच्चों ने अपनी प्रतिभा का मंचन किया।
कार्यक्रम के समापन पश्चात विभिन्न राज्यों के विद्यार्थियों ने एक दूसरे को नम आंखों से विदा किया, इस तीन दिवसीय महोत्सव में विद्यार्थियों के मध्य उत्पन्न एवं स्थापित मैत्री भाव की झलक दिखी।
हिन्दुस्थान समाचार/मुकेश/आकाश
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